Mokshada Ekadashi 2022 Date, Muhurat: मोक्षदा एकादशी 2022 की डेट और मुहूर्त, जानें कब करना है व्रत का पारण
Mokshada Ekadashi 2022 Date, Time, Puja Muhurat: मोक्षदा एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित व्रत है। ऐसी मान्यता हैं कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में कुरुक्षेत्र में गीता का ज्ञान दिया था। जानें मोक्षदा एकादशी 2022 की तिथि व शुभ मुहूर्त और कब करना है इस व्रत का पारण।

Mokshada Ekadashi 2022 Date, Time, Puja Muhurat: हिंदू धर्म में हर एकादशी का खास महत्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। आपको बता दें हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एक एकादशी आती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। ऐसी मान्यता हैं कि इस व्रत को करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं भगवान विष्णु अवश्य पूर्ण करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। बता दें इसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। यदि आप भी इस बार मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने की सोच रहे है या रखते हैं, तो यहां आप इसकी सही तिथि और शुभ मुहूर्त जान सकते हैं।
Gita Jayanti 2022 Date in India
When is Mokshada Ekadashi in 2022
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। धर्म के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत बहुत ही फलदाई होता है। ऐसा मान्यता हैं कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते है। शास्त्र के अनुसार इस व्रत को करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। कुछ जगहों पर इसे पितरों को मोक्ष दिलाने वाली एकादशी के नाम से भी पुकारा जाता है। बता दें इसी दिन भगवान कृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया था। पंचांग के अनुसार साल 2022 में मोक्षदा एकादशी का व्रत 03 दिसंबर 2022,शनिवार को रखा जाएगा।
Mokshada Ekadashi 2022, Date and Time in India
Mokshada Ekadashi 2022 Start Date and Time | 03 दिसंबर 2022, सुबह 05:29 से |
Mokshada Ekadashi 2022 End Date and Time | 04 दिसंबर 2022, सुबह 05:34 पर |
Mokshada Ekadashi 2022 Vrat Paran | 04 दिसंबर 2022, को |
सुबह स्नान करके भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें और उनकी पूजा करते हुए व्रत का संकल्प लें। पूजा के अंत में श्री कृष्ण जी की आरती जरूर करें। व्रत न भी करें तो चावल का सेवन न करें। इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है तो मोक्षदा एकादशी पर गीता पाठ अवश्य करें। व्रत के अगले दिन पारण करें। स्नान दान करने के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
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