Mokshada Ekadashi Vrat Katha: मोक्षदा एकादशी व्रत कथा हिंदी में, इसे पढ़ने से हर मनोकामना होगी पूर्ण

Mokshada Ekadashi Vrat Katha In Hindi: सनातन धर्म में मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। जानिए मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा।

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Mokshada Ekadashi Vrat Katha In Hindi

Mokshada Ekadashi Vrat Katha In Hindi: सनातन धर्म में मार्गशीर्ष महीना बेहद पवित्र माना जाता है और इस महीने में पड़ने वाले व्रत-त्योहारों का भी खास महत्व होता है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। ये एकादशी 22 दिसंबर को यानी आज मनाई जा रही है। मान्यता है इस एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। यहां देखें मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा।

Mokshada Ekadashi Vrat Katha In Hindi

एक बार की बात है गोकुल नाम के नगर में वैखानस नामक राजा राज्य करता था। उसके राज्य में वेदों के ज्ञाता ब्राह्मण रहा करते थे। वह राजा अपनी प्रजा का अच्छे से पालन करता था। एक बार रात में राजा ने सपने में देखा कि उनके पिता नरक में कष्ट भोग रहे हैं। जिससे उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। राजा ने प्रात: अपने राज्य के विद्वान ब्राह्मणों को इस सपने के बारे में बताया और कहा- मैंने अपने पिता को नरक में कष्ट उठाते देखा है। पिता ने मुझसे कहा कि हे पुत्र मैं नरक में कष्ट भोग रहा हूं। यहां से मुझे मुक्त कराओ। जबसे मैंने ये सपना देखा है तब से मेरे चित्त में बड़ी अशांति हो रही है। मुझे इस राज्य, धन, पुत्र, स्त्री, हाथी, घोड़े आदि में कुछ भी सुख प्रतीत नहीं होता।

राजा ने ब्राह्मण देवताओं से कहा कि इस दु:ख के कारण मेरा सारा शरीर जल रहा है। अब आप कृपा करके कोई उपाय बताइए जिससे मेरे पिता को मुक्ति मिल जाए। साथ में राजा ने कहा कि उस पुत्र का जीवन व्यर्थ है जो अपने माता-पिता का उद्धार न कर सके। एक उत्तम पुत्र जो अपने माता-पिता और पूर्वजों का उद्धार करता है, वह हजार मूर्ख पुत्रों से अच्छा है। ब्राह्मणों ने कहा- हे राजन! यहां पास ही भूत, भविष्य, वर्तमान के ज्ञाता पर्वत ऋषि का आश्रम है। आप उनके पास जाइए वह आपकी समस्या का हल जरूर निकाल लेंगे। (मोक्षदा एकादशी पूजा विधि और पारण समय 2023)

राजा मुनि के आश्रम की तरफ चल दिए। वहां राजा की मुलाकात पर्वत मुनि से हुई। राजा ने मुनि को साष्टांग दंडवत किया। मुनि ने राजा से उनकी कुशलता के बारे में पूछा। राजा ने कहा कि महाराज आपकी कृपा से मेरे राज्य में सब कुशल हैं, लेकिन मेरा मन बिल्कुल भी शांत नहीं है। ऐसा सुनकर पर्वत मुनि ने आंखें बंद की और भूत विचारने लगे। फिर बोले हे राजन! मैंने योग विद्या से तुम्हारे पिता के कर्मों के बारे में जान लिया है। उन्होंने पूर्व जन्म में कामातुर होकर एक पत्नी को रति दी किंतु सौत के कहने पर दूसरे पत्नी को ऋतुदान मांगने पर भी नहीं दिया। उसी पाप के कारण उन्हें नर्क में जाना पड़ा।

तब राजा ने पिता को नरक से मुक्ति दिलाने का उपाय पूछा। मुनि बोले: हे राजन! आप मार्गशीर्ष एकादशी का उपवास करें और उस उपवास का सारा पुण्य अपने पिता को दे दें। इसके प्रभाव से आपके पिता को नर्क से मुक्ति मिल जाएगी। मुनि का ये वचन सुनकर राजा महल में आये और मुनि के कहने उन्होंने मोक्षदा एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से उनके पिता को मुक्ति मिल गई और स्वर्ग में जाते हुए वे पुत्र से कहने लगे- हे पुत्र तेरा कल्याण हो।

कहते हैं मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी का जो व्रत करते हैं, उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। ये व्रत मोक्ष देने वाला माना गया है। इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती हैं। इस एकादशी तिथि पर गीता-पाठ का अनुष्ठान प्रारंभ करें और प्रतिदिन थोडी देर गीता जरूर पढ़ें।

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