Sanskrit Shlok On Mother's Day: नास्ति मातृसमो गुरुः...मातृ दिवस के संस्कृत श्लोक

Mothers Day Sanskrit Shlok And Quotes: शास्त्रों में माता का दर्जा देवी-देवताओं से ऊपर माना गया है। माता ही अपने बच्चों की पहली गुरु भी होती है। आज मातृ दिवस के शुभ अवसर पर देखें माता को समर्पित संस्कृत श्लोक और कोट्स।

Mothers Day Sanskrit Shlok And Quotes

Mothers Day Sanskrit Shlok And Quotes

Mother's Day Sanskrit Shlok, Sanskrit Shlok On Mother (मातृ दिवस संस्कृत श्लोक): आज यानी 12 मई को दुनियाभर में मातृ दिवस यानी मदर्स डे (Mother's Day 2024) मनाया जा रहा है। बता दें ये पर्व हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। ये दिन हमारे जीवन में माताओं के अमूल्य योगदान को याद करने का होता है। इस दिन बच्चे अपनी मां के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर उनके निस्वार्थ प्रेम और स्नेह के लिए धन्यवाद देते हैं। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं मां की महिमा को समर्पित संस्कृत श्लोक जिनके जरिए आप अपनी माता को मातृ दिवस की शुभकामनाएं (Happy Mothers Day In Sanskrit) दे सकते हैं।

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Mothers Day Sanskrit Shlok And Quotes (मातृ दिवस संस्कृत श्लोक)

1. मातुर्लोके मार्दवं साम्यशून्यम्।

मां की सहृदयता संसार में बेमिसाल है।

Happy Mothers Day In Sanskrit

2. मातृ देवो भवः।

माता ही इस संसार की देवता है।

3. नास्ति मातृसमो गुरुः।

इस संसार में मां के समान कोई गुरु नहीं है।

Mothers Day Quotes In Sanskrit

4. गुरूणां चैव सर्वेषां माता परमेको गुरुः।।

माता सभी गुरूओं में सर्वश्रेष्ठ गुरु मानी जाती है।

5. जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ||

मां और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर हैं।

Mothers Day Ke Sanskrit Shlok

6. नास्ति मातृसमा छाया नास्ति मातृसमा गतिः। नास्ति मातृसमं त्राणं नास्ति मातृसमा प्रपा॥

माता के समान कोई छाया नहीं, कोई आश्रय नहीं, कोई सुरक्षा नहीं। माता के समान इस विश्व में कोई जीवनदाता नहीं।

7. सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता । मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत् ॥

माता का स्थान सभी मनुष्यों के लिए सम्पूर्ण तीर्थों के सामान है और पिता समस्त देवताओं का स्वरूप हैं। इसलिए सभी मनुष्यों का यह परम कर्तव्य है कि वह माता पिता का आदर और सत्कार करें।

8. मातृलाभे सनाथत्वमनाथत्वं विपर्यये।।

माता के जीवित या साथ रहने पर हर कोई अपने आप को सनाथ अनुभव करता है। मां के साथ न रहने पर वह अनाथ हो जाता है।

9. माता गरीयसी यच्च तेनैतां मन्यते जनः।

माता का गौरव सर्वाधिक है इसलिए संसार के लोग मां का आदर करते है।

10. तुर्या भगिनी ज्येष्ठा मातुर्या च यवीयसी। मातामही च धात्री च सर्वास्ता मातरः समृताः।।

मां की छोटी और बड़ी बहनें, नानी और धाय ये सब मां तुल्य हैं। माता के समान ही इनका आदर करना चाहिए।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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