Nag Panchami 2023: नाग पंचमी पर करें इन मंदिरों के दर्शन, कालसर्प दोष से मिल जाएगी मुक्ति

Nag Panchami 2023: भारत देश में कई मंदिर शिवालय हैं। अभी सावन का पवित्र महीना चल रहा है। सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ की पूजा का काफी महत्व है। सावन का महीना इस बार पूरे 59 दिन का है। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।

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Nag Panchami 2023: हिंदू कैलेंडर के अनुसार नाग पंचमी का त्योहार हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। नाग पंचमी पर नाग देवता की विशेष पूजा की जाती है। नाग देवता भगवान शिव के गले की शोभा बढ़ाते हैं। हिंदू धर्म में सांपों को पूजनीय माना जाता है और नाग पंचमी त्योहार नाग देवता को समर्पित है। सृष्टि के पालनकर्ता भगवान शिव शेषनाग पर शयन करते हैं और शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव अपने गले में वासुकि नाग को धारण करते हैं। शास्त्रों में नौ प्रकार के सांपों का उल्लेख है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष या राहु दोष हो तो उसकी शांति के लिए नाग पंचमी की तिथि विशेष मानी जाती है। नाग पंचमी के दिन नागदेवता के शिवालयों और मंदिरों में भारी भीड़ जमा होती है, जहां नाग देवता की पूजा की जाती है।

ये हैं नाग देवता के प्रसिद्ध मंदिरवासुकी नाग मंदिर

उत्तर प्रदेश का इलाहबाद शहर अब प्रयागराजके नाम से जाना जाता है। यहां प्रसिद्ध नाग वासुकी मंदिर है। नाग वासुकी भगवान शिव के गले की शोभा बढ़ाते हैं। इस मंदिर को शेषराज, सर्पनाथ, अनंत और सर्वद्यक्ष कहा जाता है। नाग पंचमी के दिन यहां बहुत बड़ा मेला लगता है।

नागचंद्रेश्वर मंदिर

मध्य प्रदेश के उज्जैन में नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। ये मंदिर साल में एक ही बार नाग पंचमी के त्योहार पर खुलता है। इस मंदिर में भगवान शिव माता पार्वती के साथ सांप के फैले हुए फन के आसन पर विराजमान हैं। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी मूर्ति नहीं है। यह मूर्ति नेपाल से यहां लाई गई थी। ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी नाग पंचमी के दिन यहां प्रार्थना करता है उसे कालसर्प के दोष से मुक्ति मिल जाती है।

तक्षकेश्वर नाथ

यह मंदिर प्रयागराज में यमुना नदी के तट पर स्थित है। यह नाग मंदिर बहुत पुराना है। इस मंदिर की मान्यता है कि जो कोई भी इस मंदिर में शिव और नाग देवता के दर्शन करता है, उसे और उसके परिवार को कभी भी सांपों से डर नहीं लगता है और नाग देवता की कृपा बनी रहती है।

कर्कोटक नाग मंदिर

उत्तराखंड अपने प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है। कर्कोटक नाग मंदिर नैनीताल के पास भीमताल में स्थित है। यह प्राचीन नाग मंदिर कर्कोटक नामक पहाड़ी की चोटी पर बनाया गया था। यह मंदिर पांच हजार साल पुराना बताया जाता है। कर्कोटक नाग मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण के मानसखंड में मिलता है।

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    TNN अध्यात्म डेस्क author

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