Nag Panchami Puja Vidhi, Aarti: नाग पंचमी की पूजा कैसे करें, यहां जानिए पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती, महत्व समेत सारी जानकारी
Nag Panchami Puja Vidhi, Muhurat, Mantra, Katha, Aarti (नाग पंचमी पूजा विधि): नाग पंचमी का त्योहार बड़े ही श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। इस साल ये त्योहार 9 अगस्त को मनाया जा रहा है। इस त्योहार में नाग देवता की पूजा होती है। यहां हम आपको बताएंगे नाग पंचमी की पूजा विधि क्या है।
Nag Panchami 2024 Puja Vidhi, Muhurat, Katha And Aarti
Nag Panchami Puja Vidhi, Muhurat, Mantra, Katha, Aarti (नाग पंचमी पूजा विधि): नाग पंचमी का त्योहार नाग देवता को समर्पित है। जो हर साल श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। बता दें इस साल ये पर्व 9 अगस्त को मनाया जा रहा है। कहते हैं नाग पंचमी की पूजा करने से परिवार को सांपों के भय से मुक्ति मिल जाती है। इतना ही नहीं राहु-केतु के दोषों से भी छुटकारा मिल जाता है। पौराणिक मान्यता अनुसार इस अवसर पर नाग देवता की प्रतिमा को दूध से अभिषेक कराने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। जानिए नाग पंचमी की पूजा विधि क्या है (Nag Panchami Ki Puja Kaise Kare)।
नाग पंचमी पूजा विधि (Nag Panchami Puja Vidhi In Hindi)
- नाग पंचमी के दिन मुख्य रूप से वासुकि, अनंत, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख इन 8 नागों की पूजा की जाती है।
- नाग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर साफ वस्त्र धारण कर लें।
- इसके बाद भगवान शिव और नाग देवता का ध्यान करें।
- पूरे दिन व्रत रहें। अन्न का बिल्कुल भी सेवन न करें।
- फिर एक चौकी पर नाग देवता का चित्र बनाएं। आप चाहें को नाग देवता की प्रतिमा भी रख सकते हैं या फिर मिट्टी से नाग देवता की प्रतिमा बना लें।
- फिर नाग देवता को हल्दी सिंदूर, अक्षत, दूध, फल और फूल चढ़ाएं।
- इसके बाद कच्चे दूध में चीनी और घी मिलाकर नाग देवता का अभिषेक करें।
- इसके बाद नाग देवता की कथा सुनें और अंत में आरती करें।
नाग पंचमी पूजा मुहूर्त 2024 (Nag Panchami 2024 Puja Muhurat)
नाग पंचमी पूजा का पहला मुहूर्त 9 अगस्त की सुबह 5 बजकर 47 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12:53 बजे तक रहेगा।
Nagdwara Aarti (नागद्वारची आरती)
आरती नागद्वारा, शेषशाई अवतारा,
सद्भावे ओवाळितो, पावे दिगंबर द्वारा ।
आरती नागद्वारा ।।धृ ।।
मेरुच्या शिखरी जडले, सिंहासन भारी ।
त्यावर बैसुनिया, सृष्टी रचली या सारी ।।१।।
आरती नागद्वारा……
श्रीराम अवतारी, बंधू लक्ष्मण होशी ।
पाळली राम आज्ञा, पुर्ण कार्य तू करशी ।।२।।
आरती नागद्वारा……
श्रीकृष्ण अवतारी, ज्येष्ठ बंधू बळीराम ।
प्रताप थोर होतो, जगी मिळविले नाव ।।३।।
आरती नागद्वारा……
श्रावण महिन्यात, दिवस नागपंचमी रात्र ।
आनंद थोर होतो देवा तुझ्या मंडपात ।।४।।
आरती नागद्वारा……
शेष सिंधु सागरात, शेषसाई अनंत ।
तेथे तुम्ही नांदता हो, ज्याला म्हणतात लक्ष्मीकांत ।।५।।
आरती नागद्वारा……
कालीया नांव तुझे, घेता उतरले ओझे ।
स्मरण केली या हो, देवा सार्थक होई माझे।।६।।
आरती नागद्वारा……
देवा मी ज्ञान धरीले, दुःख माझे हरीले ।
हरीला सेवा केली, शंकर मजला पावले ।।७।।
आरती नागद्वारा……
वैशाख महिन्यात, दिवस नागपंचमी रात्र ।
आनंद थोर होतो देवा तुझ्या मंडपात ।।८।।
आरती नागद्वारा……
आज देव शेषराये, भक्ती तुझी पुर्ण होय ।
नवखंड पृथ्वीशी, देवा भरुनी आला आहे ।।९।।
आरती नागद्वारा……
पाचतत्व पंच ज्योती, ओवळीले नागनाथा ।
भक्तजन आरत्या गावी, जागा चारणापाशी द्यावी ।।१०।।
आरती नागद्वारा……
आरती नागद्वारा, गणेश गायन करी ।
नित्य नेम महाभारी, सर्वदिन सेवा करी ।।११।।
आरती नागद्वारा……
नाग पंचमी पर भूलकर भी न करें ये काम (Nag Panchami Par Kya Na Kare)
नाग देवता का अभिषेक तांबे के पात्र से ना करें। इस दिन तवे और कढ़ाई में खाना बनाने से बचें क्योंकि नाग पंचमी पर लोहे की चीजों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से नाग देव नाराज हो जाते हैं। इसके अलावा इस दिन नुकीली और धारदार चीजें जैसे चाकू, कैंची, सुई आदि का इस्तेमाल न करें। इस दिन जमीन की खुदाई भी नहीं करनी चाहिए।
नाग पंचमी का महत्व (Nag Panchami Ka Mahatva)
नाग पंचमी का त्योहार नाग देवता को समर्पित है। सनातन धर्म में सर्पों की पूजा करने की पंरपरा पौराणिक काल से चली आ रही है। कहते हैं जो कोई नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करता है उसके परिवार के सदस्यों पर सर्प डंस का भय नहीं रहता। इतना ही नहीं इससे कालसर्प दोष तक से मुक्ति मिल जाती है।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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