Nag Panchami Ki Kahani: नाग पंचमी की व्रत कथा और कहानी हिंदी में यहां देखें

Nag Panchami Ki Kahani (नाग पंचमी की कहानी): नाग पंचमी का त्योहार हमारी परंपरा और संस्कृति से जुड़ा है। नागों के साथ जहां तमाम रहस्य जुड़े हैं, वहीं ये जीवन की रक्षा करने वाले भी माने जाते हैं। नाग पंचमी पर विधिवत पूजन करने से इन देवता की कृपा मिलती है। साथ ही व्रत कथा पढ़ने का भी विधान है। यहां देखें नाग पंचमी की व्रत कथा हिंदी में।

Nag Panchami Ki Vrat Katha In Hindi

Nag Panchami Vrat Katha (नाग पंचमी व्रत कथा): नाग पंचमी सनातन धर्म का एक विशेष त्योहार है। जिसे हर कोई बेहद श्रद्धा और आस्था के साथ मनाता है। ये पर्व नाग देवता को समर्पित होता है। इस साल नाग पंचमी 24 अगस्त को मनाई जा रही है। इस दिन शुभ मुहूर्त में नागों की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। नाग पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त (Nag Panchami Ka Shubh Muhurat 2024) सुबह 05:55 AM से 07:51 AM तक रहेगा। जानिए नाग पंचमी पूजा की व्रत कथा (Naga Panchami Ki Katha)।

Nag Panchami Vrat Katha (नाग पंचमी की कहानी)

प्राचीन काल में एक सेठजी थे जिनके सात पुत्र थे और सातों के विवाह हो चुके थे। सबसे छोटे पुत्र की पत्नी श्रेष्ठ चरित्र की और सुशील थी, परंतु उसके भाई नहीं था। एक दिन उस घर की बड़ी बहू ने घर लीपने के लिए पीली मिट्टी लाने के लिए सभी बहुओं को साथ चलने को कहा तो सभी एक साथ डलिया और खुरपी लेकर मिट्टी खोदने के लिए निकल पड़ीं। जब बहुएं मिट्टी खोद रही थीं तभी वहां एक सर्प निकला, जिसे बड़ी बहू खुरपी से मारने लगी।
यह देखकर छोटी बहू ने उसे रोका और कहा इसे मत मारो? यह बेचारा निरपराध है। यह सुनकर बड़ी बहू ने उसे नहीं मारा तब वो सांप एक ओर जा बैठा। तब छोटी बहू ने उससे कहा मैं अभी लौट कर आती हैं तुम यहां से जाना मत। इतना कहकर वह सबके साथ मिट्टी लेकर घर चली गई और कामकाज में फंसकर सर्प से जो वादा किया था वो उसे भूल गई।
उसे दूसरे दिन वह बात याद आई तो वो सब को साथ लेकर वहां पहुंची। सर्प अभी भी उस स्थान पर बैठा था जिसे देखकर छोटी बहूं बोली: सर्प भैया नमस्कार! सर्प ने कहा: तू भैया कह चुकी है, इसलिए तुझे छोड़ देता हूं, नहीं तो झूठी बात कहने के कारण में तुझे अब तक डस लेता। वह बोली: भैया मुझसे भूल हो गई, उसकी क्षमा मांगती हूं।
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