Naraka Chaturdashi 2022 Puja Vidhi, Muhurat: जानिए नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त, पूजा सामाग्री, मंत्र और आरती

Naraka Chaturdashi 2022 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Time, Samagri, Mantra: नरक चतुर्दशी के दिन विधि विधान से श्री हरि भगवान विष्णु और यमदेव की पूजा अर्चना करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है तथा नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है। लेकिन ध्यान रहे बिना मंत्र व आरती के पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है। ऐसे में मंत्रों का जप करना व आरती करना ना भूलें।

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नरक चतुर्दशी 2022 तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा सामाग्री, आरती व मंत्र

मुख्य बातें
  • कल यानी 24 अक्टूबर 2022 को मनाई जाएगी नरक चतुर्दशी।
  • इस दिन यमदेव की पूजा का है विधान।
  • बिना आरती व मंत्रों के पूजा होती है अधूरी, करें इन मंत्रो का जप अकाल मृत्यु का भय होगा खत्म।

Naraka Chaturdashi 2022 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Samagri List: इस बार दिवाली और नरक चतुर्दशी का पर्व एक साथ मनाया जाएगा। सालभर में यही एक दिन होता है, जब यमदेव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से यमदेव की पूजा अर्चना करने व दीप जलाने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है तथा नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है। पौरणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने घोर अत्याचारी राक्षस नर्कासुर का वध किया था और 16 हजार कन्याओं को (Naraka Chaturdashi 2022) उसकी बंदी से मुक्त करवाया था। इसे रूप चौदस भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिवत भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है व त्वचा संबंधी बीमारियों से मुक्ति मिलती है।

कहा जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर तिल के तेल से मालिस करने से निरोगी काया की प्राप्ति होती है। इससे व्यक्ति के समस्त पापों नाश होता है। लेकिन यदि पूजा शुभ मुहूर्त में ना किया जाएगा तो इसका फल नहीं मिलता। वहीं इस दिन श्री हरि भगवान विष्णु और यमदेव के आरती व मंत्रों का भी जप (Naraka Chaturdashi) करना चाहिए। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार बिना आरती व मंत्रों के नरक चतुर्दशी की पूजा स्वीकार नहीं की जाती है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम आपको नरक चतुर्दशी की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा सामाग्री, पूजा विधि, मंत्र व आरती से लेकर संपूर्ण जानकारी देंगे। आइए जानते हैं।

नरक चतुर्दशी तिथि व शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इस बार नरक चतुर्दशी कल यानी 24 अक्टूबर 2022 को है। चतुर्दशी तिथि आज यानी 23 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर कल शाम 05 मिनट पर समाप्त होगी। यहां देखें पूजा का शुभ मुहूर्त।

Naraka Chaturdashi 2022 Date, Time, Puja Muhurat

अभ्यंग स्नान मुहूर्त - 24 अक्टूबर 2022, सुबह 04:52 से 06:13 तक

चंद्रोदय समय - सुबह 04 बजकर 52 मिनट

Narak Chaturdashi Puja Samagri, नरक चतुर्दशी पूजा सामाग्री

नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली, रूप चौदस अथवा नरक पूजा के नाम से जाना जाता है। ध्यान रहे पूजा में यदि सामाग्री पूरी ना हो तो पूजा फलदायी नहीं मानी जाती है। ऐसे पूजा से पहले काला तिल, चावल, चांदी का सिक्का, 13 दीये, पूजा की थाली, रोली धूप, फूल, मिठाई समेत सारी चीजें एकत्रित कर लें। इसके बाद पूजा आरंभ करें। ध्यान रहे इस दिन दीप दान व तर्पण का अधिक महत्व है इसलिए शाम के समय यमदेव की पूजा कर दी जलाना ना भूलें।

Narak Chaturdashi Mantra, नरक चतुर्दशी पर करें इस मंत्र का जप

यदि आप लंबे समय से किसी बीमारी से पीड़ित है या त्वचा संबंधी रोग पीछा नहीं छोड़ रहा है, तो नरक चतुर्दशी के दिन यमदेव के इस मंत्रों का जप करें। इससे आपको निरोगी काया की प्राप्ति होगी।

।।ओम् हुं हुं हुं यमाय ह्रीं हुं फट्।।

यमराज गायत्री मंत्र

सूर्य पुत्राय विद्महे महाकालाय धीमहि।

तन्नो यम: प्रचोदयात्।।

Narak Chaturdashi Aarti, नरक चतुर्दशी पर करें भगवान विष्णु का आरती

ओम् जय जगदीश हरे, स्वाम! जय जगदीश हरे।

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे।।

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।

सुख संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का।

ओम जय जगदीश हरे..।।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी।

ओम जय जगदीश हरे....।।

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी।।

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो हर्ता।।

दीनबुंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे।।

ओम् जय जगदीश हरे....।।

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा।।

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा

तेरा मुझको अर्पण क्या लागे मेरा।। ओम् जय...

जगदीश्वर जी की आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे।

ओम् जय जगदीश हरे।।

हनुमान जी की पूजा का है विधान

आपको शायद ही पता होगा कि, इस दिन हनुमान जी की पूजा का भी विधान है। वाल्मिकी रामायण के अनुसार, हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हुआ था। ऐसे में इस दिन हनुमान जी की पूजा करना ना भूलें।

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