हर दिन पतली हो रही है जोशीमठ के नृसिंह देवता मंदिर की मूर्ति, जानिए क्या कहती है इससे जुड़ी भविष्यवाणी
Narsingh Devta Temple at Joshimath: उत्तराखंड का जोशीमठ शहर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। जोशीमठ का हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। यहां पर 1200 साल पुराना नृसिंह देव का मंदिर है। वहीं, इस मंदिर से जुड़ी भविष्यवाणी भी काफी चर्चा में है। जानिए नृसिंह देव मंदिर का इतिहास और क्या है इससे जुड़ी भविष्यवाणी।
Nar Singh Dev Temple Uttarakhand
- उत्तराखंड का जोशीमठ ऐतिहासिक शहर है।
- जोशीमठ में 1200 साल पुराना नृसिंह देव मंदिर है।
- नृसिंह मंदिर में भगवान विष्णु के शांत स्वरूप के दर्शन होते हैं।
नृसिंह मंदिर में भगवान विष्णु के शांत स्वरूप के दर्शन होते हैं। बद्रीनाथ के कपाट बंद होने के बाद यहां पर भगवान विष्णु की शीतकालीन गद्दी की पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार भगवान श्री नरसिंह जी के दर्शन उपरान्त भी बद्रीनाथ जी के दर्शनों की परम्परा है। बोरान में विराजमान शालीग्राम शिला में नरसिंह जी का अलोगिक विग्रह है। यहां पर नृसिंह देव की मूर्ति की बाई कलाई पतली है और ये हर दिन पतली होती जा रही है। स्थलपुराण के अनुसार जब तक श्री नरसिंह भगवान कला रूप में यहां विराजमान रहेंगे तभी तब बद्रीनाथजी के दर्शन बद्रीनाथ धाम में होंगे, तत्पश्चात् भविष्यनद्री में भगवान श्री बद्रीनाथजी विराजमान होंगे।
संबंधित खबरें
जोशीमठ से जुड़ी भविष्यवाणी
लोककिवदंतियों के अनुसार जब नृसिंह देव की मूर्ति का हाथ टूट कर गिर जाएगा तो बद्रीनाथ के दर्शन नहीं हो पाएंगे। दरअसल विष्णुप्रयाग के समीप पटमिला पर स्थित जय व विजय नाम के पहाड़ आपस में मिल जाएंगे। इससे बद्रीनाथ के दर्शन नहीं हो पाएंगे। इसके बाद जोशीमठ में मौजूद तपोवन क्षेत्र में भविष्य बद्री में भगवान बद्रीनाथ के दर्शन होंगे। आदि शंकराचार्य जी ने ही भविष्य बद्री मंदिर की स्थापना की थी।
जोशीमठ का इतिहास
पौराणिक काल में यह नगरी कार्तिकेयपुर नाम से जानी जाती थी, कत्यूरी वंश के शासक यहीं से गढवाल राज का शासन चलाते थे, यहां भगवान वासुदेव की आठ फीट ऊंची 24 अवतारों वाली प्रतिमा गान्धार शैली के उत्कृष्ठ दर्शन कराती है। आदिगुरू शंकराचार्यजी ने पांच साल यही व्यतीत किए तथा इसे ज्योर्तिमठ नाम दिया जो बाद में अपभ्रंश हो कर जोशीमट हो गया है।
श्रीबद्रीधाम के कपाट खुलने पर यहीं से श्री बद्रीनाथ धाम जाती है। श्रीबद्रीनाथ जी के रावल (दक्षिण भारतीय नम्बूघारी ब्राह्मण) यही रहते हैं। यह भक्तों की धार्मिक, ऐतिहासिक, पौराणिक आस्था का केन्द्र हैं।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
शिवम् पांडे सिनेमा के आलावा राजनीति, व्यापार और अंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों में खास रुचि है। पत्रकारिता में लगभग सात साल का अनुभव रखने वाले शिवम् पांडे बॉ...और देखें
Aaj Ka Panchang, 1 February 2025: फरवरी के पहले दिन का पंचांग, जानिए शुभ मुहूर्त, राहुकाल, ब्रह्म मुहूर्त, दिशा शूल और शनिवार के उपाय
Basant Panchami 2025 Vrat Vidhi in Hindi: कैसे रखा जाता है बसंत पंचमी का व्रत, जानिए स्टेप बाय स्टेप पूरी विधि
Basant Panchami 2025 Puja Vidhi, Shubh Muhurat Live: बसंत पंचमी का त्योहार कब मनाया जाएगा 2 या 3 फरवरी, नोट कर लें सही तारीख, मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र
Basant Panchami 2025 Puja Samagri And Vidhi: बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा कैसे करें, जानिए किन सामग्रियों की पड़ेगी जरूरत
Saraswati Vandana Prarthna Lyrics: या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता...ये सरस्वती वंदना मूर्ख को भी बना सकती है ज्ञानी, देखें इस प्रार्थना के लिरिक्स
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited