Navratri 2022 Day 2, Maa Brahmacharini Vrat Katha: आज होगी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, नवरात्रि के दूसरे दिन पढ़ें यह पावन व्रत कथा

Navratri 2022 2nd Day, Maa Brahmacharini Vrat Katha In Hindi (मां ब्रह्मचारिणी की व्रत कथा): नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। ज्ञान और वैराग्य की देवी की पूजा इस दिन सफेद या पीले वस्त्र धारण करके करनी चाहिए। पूजा के बाद पढ़ें मां ब्रह्मचारिणी की यह व्रत कथा।

Navratri 2022 2nd Day, Maa Brahmacharini Vrat Katha In Hindi: इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत कल यानी 26 सितंबर, सोमवार से हो गई है। आज नवरात्रि का दूसरा दिन है और इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। मान्यताओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है तथा जीवन से सारे संकट दूर हो जाते हैं। कहा जाता है कि नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए भक्तों को सफेद या पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। जो भक्त मां ब्रह्मचारिणी की सच्चे मन से पूजा करता है उसे शक्ति, संयम, ज्ञान आदि की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से शत्रु पराजित होते हैं और सभी‌ इच्छाएं पूर्ण होती हैं। यहां देखें नवरात्रि के दूसरे दिन के लिए मां ब्रह्मचारिणी की व्रत कथा।

मां ब्रह्मचारिणी की व्रत कथा (Maa Brhamacharini Ji Ki Vrat Katha)पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी का जन्म पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में हुआ था। वह भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाना चाहती थीं इसलिए उन्होंने कठोर तपस्या की। कहा जाता है कि उन्होंने हजार वर्षों तक सिर्फ फल-फूल‌ खाए थे और नीचे जमीन पर रहकर धूप और बारिश सहन किया था।

नहीं प्रसन्न हुए भगवान शिव कहा जाता है कि उन्होंने अपने व्रत के दौरान बिल्व पत्र का सेवन किया था ‌और रोजाना भगवान शिव की पूजा-आराधना की थी। मां ब्रह्मचारिणी की तपस्या से जब भगवान शिव प्रसन्न नहीं हुए तब उन्होंने बिल्व पत्र का सेवन करना भी छोड़ दिया था। जब उन्होंने बिल्वपत्र का त्याग किया था तब उनका नाम अर्पणा पड़ गया था। इसके बाद उन्होंने कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रहकर तपस्या की थी। इतनी कठोर तपस्या की वजह से वह काफी कमजोर हो गई थीं। उनकी हालत देखने के बाद सभी देवता, मुनि, ऋषि और सिद्धगण हैरान हो गए थे और उनकी सराहना कर रहे थे। मां ब्रह्मचारिणी की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें मनोकामना पूर्ति का वरदान मिला था।

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