Navratri 2022 Day 5, Maa Skandmata Vrat Katha: नवरात्रि के पांचवें दिन पढ़ें मां स्कंदमाता की कथा
Navratri 2022 5th day, Maa Skandmata Vrat Katha In Hindi (मां स्कंदमाता की व्रत कथा): चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इनकी पूजा से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है।
मां स्कंदमाता की कथा (Skandmata Ki Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार तारकासुर नाम का एक राक्षस था। उसने घोर तपस्या करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर लिया था। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी प्रकट हुए। राक्षस तारकासुर ने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान मांगा। जिस पर ब्रह्मा जी ने उसे कहा कि ऐसा संभव नहीं है क्योंकि जन्म लेने वाले हर प्राणी का अंत निश्चित है। ये सुनकर तारकासुर निराश हो गया लेकिन उसने बड़ी ही चालाकी से पुनः वरदान मांगा कि उसकी मृत्यु सिर्फ भगवान शिव के पुत्र के हाथों ही हो।
ऐसा वरदान मांगने के पीछे उसकी ये सोच थी कि उसे लगता था कि भगवान शिव तो कभी विवाह करेंगे नहीं तो उनका पुत्र भी नहीं होगा। इस तरह से वो हमेशा के लिए अमर हो जाएगा। ब्रह्मा जी ने उसे ये वरदान दे दिया। वरदान पाते ही उसने लोगों के ऊपर भीषण हिंसा और अत्याचार करना शुरू कर दिया। उसके अत्याचारों से लोगों के अंदर एक भय पैदा हो गया। फिर सभी पीड़ित भगवान शिव के पास गए और भगवान से तारकासुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाएं की प्रार्थना की।
तब भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया और उनका एक पुत्र हुआ, जिसका नाम स्कन्द अर्थात कार्तिकेय था। फिर माता पार्वती ने अपने पुत्र को तारकासुर से युद्ध लड़ने के लिए प्रशिक्षित करने हेतु स्कंदमाता का रूप धारण किया। जिसके बाद स्कन्द यानी कार्तिकेय ने राक्षस तारकासुर का वध कर दिया।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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