Navratri 2022 6th Day Maa katyayani Puja Vidhi: नवरात्रि छठा दिन, जानें माँ कात्यायनी की महिमा और पूजा विधि
Navratri 2022 6th Day Maa katyayani Puja Vidhi, Timings, Mantra, Aarti, Samagri, Muhurat in Hindi: धार्मिक मान्यताओं अनुसार राक्षस महिषासुर के आतंक को समाप्त करने के लिए देवी दुर्गा ने मां कात्यायनी का रूप लिया था।
Navratri 2022 Day 6: आज मां कात्यायनी की होगी पूजा
- नवरात्रि के 6वें दिन मां कात्यायनी की पूजा का विधान है। 1 अक्टूबर को इनकी पूजा की जाएगी।
- मान्यता है इनकी विधि-विधान से कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत होती है।
- मां कात्यायनी शेर की सवारी करती हैं। इनकी चार भुजाएँ हैं। देवी पार्वती ने ये रूप महिषासुर नामक राक्षस को मारने के लिए धारण किया था।
माँ कात्यायनी की पूजन विधि (Navratri Puja Vidhi ):
- इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और लाल या फिर पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद माँ कात्यायनी की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं।
- हाथों में फूल लेकर माँ को प्रणाम करें।
- मां को पीले फूल, कच्ची हल्दी की गांठ और शहद जरूर अर्पित करें।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करें।
- मां कात्यायनी की कथा सुनें और उनके मंत्रों का जाप करें।
- अंत में माता की आरती उतारें।
- माता को भोग लगाएं और प्रसाद सभी में बांट दें।
- ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
मां कात्यायनी स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कात्यायनी ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥
मां कात्यायनी स्त्रोत
कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते।
कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता॥
कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना।
कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा॥
कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी।
कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी॥
कवच मंत्र
कात्यायनौमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।
ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥
कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी॥
कात्यायनी माता की आरती (Mata Ki Aarti)
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें
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