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चैत्र नवरात्रि के पहले दिन की पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती सभी जरूरी जानकारी

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन की पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती सभी जरूरी जानकारी

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन की पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती सभी जरूरी जानकारी

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी 22 मार्च को घटस्थापना (Ghatsthapana) के साथ माता शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। कहते हैं माता के इस स्वरूप की पूजा से व्यक्ति को तमाम प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं। साथ ही सुखद वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है। जिनके विवाह में परेशानियां आ रही हैं उन्हें मां शैलपुत्री की पूजा जरूर करनी चाहिए। मां शैलपुत्री चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करती हैं। ऐसे में इनकी पूजा से कुंडली में चंद्र ग्रह की स्थिति भी मजबूत हो जाती है।

धार्मिक मान्यताओं अनुसार मां शैलपुत्री को गाय का घी या इससे बनी चीजें अर्पित करनी चाहिए। ऐसा करने से माता रानी तुरंत प्रसन्न हो जाती हैं और अपने भक्तों का सुखद जीवन का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। पौराणिक कथाओं अनुसार, माता शैलपुत्री पिछले जन्म में भगवान शिव की पत्नी थीं। माता शैलपुत्री पर्वत राज हिमालय के जन्मी थीं। इसी कारण उन्हें शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है।

जानें नवरात्रि के पहले दिन की देवी मां शैलपुत्री की पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती, महत्व सबकुछ...

Mar 22, 2023 | 10:01 AM IST

माता शैलपुत्री की व्रत कथा (Maa Shailputri Vrat katha)

पौराणिक कथा अनुसार एक बार राजा दक्ष प्रजापति के आगमन पर वहां मौजूद सभी लोग उनके स्वागत में खड़े हो गए थे, लेकिन भगवान शंकर अपने स्थान पर ही बैठे रहे। राजा दक्ष को भगवान शिव की ये बात अच्छी नहीं लगी। कुछ समय बाद दक्ष ने एक बार अपने निवास स्थान पर एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने सभी देवी-देवताओं को आने का निमंत्रण भेजा, लेकिन अपने अपमान का बदला लेने के लिए भगवान शिव जी को नहीं बुलाया।

सती ने भगवान शिव से अपने पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में जाने की इच्छा जताई। सती के आग्रह पर भगवान शंकर ने उन्हें जाने की अनुमति दे दी। जब सती यज्ञ में पहुंचीं तो वहां उन्हें केवल अपनी मां से ही स्नेह प्राप्त हुआ। वहीं सती को अपनी बहनों की बातें व्यंग्य और उपहास के भाव से भरी प्रतीत हुई। सती के पिता दक्ष ने भरे यज्ञ में भगवान शंकर का अपमान किया और उनके लिए अपमानजनक शब्द कहे।

अपने पिता के मुख से अपने पति यानी भगवान शंकर के लिए भला-बुरा सुनकर सती ने यज्ञ वेदी मे कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। कहते हैं सती का अगला जन्म शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में हुआ और वे शैलपुत्री कहलाईं। फिर शैलपुत्री का विवाह भगवान शिव से हुआ था।
Mar 22, 2023 | 08:58 AM IST

मां शैलपुत्री भोग (Maa Shailputri Bhog)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता शैलपुत्री को सफेद चीजों का भोग लगाना चाहिए। क्योंकि सफेद रंग इनका प्रिय होता है। इस दिन माता को गाय का घी और गाय के घी से बनी चीज़ें जरूर अर्पित करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है इन चीज़ों के अर्पण से माता रानी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को आरोग्य और सुखी जीवन का आशीर्वाद देती हैं।
Mar 22, 2023 | 08:01 AM IST

मां दुर्गा के सोलह श्रृंगार

कुमकुम या बिंदी, सिंदूर, काजल, मेहंदी, गजरा, लाल रंग का जोड़ा, मांग टीका, नथ, कान के झुमके, मंगल सूत्र, बाजूबंद, चूड़ियां, अंगूठी, कमरबंद, बिछुआ, पायल।
Mar 22, 2023 | 07:37 AM IST

मां शैलपुत्री की आरती (Mata Shailputri Ki Aarti)

शैलपुत्री मां बैल पर सवार करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि सिद्धि परवान करे तू। दये करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती जिसने तेरी उतारी।
उसकी सगरी आस जगा दो। सगरे दुख तकलीफ मिटा दो।
घी का सुंदर दीप जलाकर। गोला गरी का भोग लगा कर।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी। शिव मुख चंद चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
Mar 22, 2023 | 06:48 AM IST

मां शैलपुत्री की पूजा विधि (Maa Shailputri Puja Vidhi In Hindi)

  • नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद सफेद वस्त्र धारण करें।
  • अब लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर गंगा जल छिड़ककर उसे शुद्ध करलें।
  • इसपर केसर से स्वास्तिक बनाएं और यहां मां शैलपुत्री की प्रतिमा स्थापित करें।
  • अगर आपके पास मां शैलपुत्री की प्रतिमा नहीं है तो आप मां दुर्गा की प्रतिमा भी स्थापित कर सकते हैं।
  • पूजन के समय माता की मनपसंद सफेद वस्त्र, सफेद फूल और सफेद रंग की मिठाइयां अवश्य चढ़ाएं।
  • पूजा के बाद मां शैलपुत्री के मंत्रों का 108 बार जाप करें।
  • फिर माता की आरती गाकर पूजा का समापन करें।
Mar 22, 2023 | 06:19 AM IST

मां शैलपुत्री व्रत कथा (Maa Shailputri Vrat Katha In Hindi)

पौराणिक कथा के अनुसार, मां शैलपुत्री (मां सती) राजा दक्ष की पुत्री थी। एक बार राजा दक्ष ने अपने राजमहल में एक यज्ञ का आयोजन रखा था। इस यज्ञ में उन्होंने सभी देवी-देवताओं को बुलाया था। लेकिन अपने अपमान का बदला लेने के लिए उन्होंने अपनी पुत्री के पति यानी भगवान शिव को ही उस यज्ञ में नहीं बुलाया था। जब माता सती ने भगवान शिव को अपने पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में जाने की बात कहीं, तो भगवान ने उन्हें उस यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। लेकिन, जब माता सती अपने पिता के पास राजमहल पहुंची तो उन्हें पता चला कि भगवान शिव को छोड़ सभी देवताओं बुलाया गया है। यह देख माता दुखी हो गईं। राजा दक्ष सिर्फ इतने से शांत नहीं बैठे वह सभी देवताओं के सामने भगवान शिव के लिए अपमानजनक शब्द बोलने लगें। ये सब सुनकर माता सती को बर्दाश्त नहीं हुआ। वह क्रोधित हो गईं और उसी समय यज्ञ की वेदी में कूदकर अपने प्राण की आहुति दे दीं। शास्त्र के अनुसार, इसके बाद माता सती का अगला जन्म हिमालय राज्य के घर कन्या के रूप में हुआ। जो शैलपुत्री कहलाती हैं।
Mar 22, 2023 | 05:59 AM IST

क्यों नवरात्रि के पहले दिन की जाती है माँ शैलपुत्री की पूजा

शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा इसलिए की जाती है, क्योंकि माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। हिमालय को पर्वतों का राजा माना जाता है, जो हमेशा अपने स्थान पर कायम रहता है। ऐसी मान्यता है कि, यदि कोई भक्त अपने आराध्य देवता या देवी के लिए ऐसी ही अडिग भावना रखे, तो उसे इसका भरपूर फल मिलता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए ही नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
Mar 22, 2023 | 05:59 AM IST

मां शैलपुत्री की पूजा से ये मिलता है लाभ

माँ के इस रूप को करुणा और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार माँ शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं, इसलिए चंद्रमा की उपासना करने से इसके द्वारा व्यक्ति पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव निष्क्रिय हो जाते हैं।
Mar 22, 2023 | 05:59 AM IST

ऐसा होता है मां शैलपुत्री का स्वरूप (Maa Shailputri Ka Swaroop)

माता शैलपुत्री का जन्म पर्वत राज हिमालय के घर हुआ था। इसी कारण से उन्हें शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। माता के स्वरूप की बात करें, तो उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल व और बाएँ हाथ में कमल का फूल है। देवी के माथे पर अर्ध चंद्र सुशोभित है। नंदी बैल यानि वृषभ माता की सवारी है, इसलिए देवी शैलपुत्री को वृषारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है। माँ शैलपुत्री ही सती के नाम से भी जानी जाती हैं।
Mar 22, 2023 | 05:58 AM IST

मां शैलपुत्री भोग (Maa Shailputri Bhog)

मां शैलपुत्री को सफेद वस्‍तु बहुत प्रिय है, इसलिए नवरात्रि के पहले दिन की पूजा में मां को सफेद वस्‍त्र और सफेद फूल अवश्य चढ़ाएं और साथ ही सफेद रंग की मिठाई का भोग भी लगाएँ। मां शैलपुत्री की सच्चे मन से आराधना करने पर मनोवांछित फल और कन्‍याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है।
Mar 22, 2023 | 05:57 AM IST

मां शैलपुत्री मंत्र (Maa Shailpurti Mantra)

-ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥

-वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

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