Navratri 2023 2nd Day Maa Brahmacharini Katha, Puja Vidhi: नवरात्रि का दूसरा दिन, जानें पूजा विधि, व्रत कथा, मंत्र, आरती और भोग

Navratri 2023 2nd Day Maa Brahmacharini Puja Vidhi, Mantra, Aarti: हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी सादा और शांत स्वरूप की देवी हैं। चलिए जानते हैं देवी की पूजा विधि, मंत्र, आरती और कथा।

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Navratri 2023 Day 2: चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन की पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्र यहां जानें

Navratri 2023 2nd Day Maa Brahmacharini Puja Vidhi and Mantra: चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू है। इस दौरान 9 दिनों तक मां आदिशक्ति के नौ अलग-अलग की पूजा की जाती है। जिसमें दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। देवी ब्रह्मचारिणी अत्यंत शांत और घनघोर तप करने वाली देवी हैं। कहते हैं नवरात्रि में विधि विधान से मां की पूजन करने से जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं। अध्ययन और अध्यापन से जुड़े लोगों के लिए भी देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा जरूर करनी चाहिए। चलिए जानते हैं माता की पूजा विधि, कथा, मंत्र और आरती।

मां के स्वरूप की बात करें तो मां ब्रह्मचारिणी ने अपने एक हाथ में जप की माला तो एक हाथ में कमंडल धारण किया हुआ है। नवरात्रि के दूसरे दिन पूरे परिवार के साथ देवी ब्रह्मचारिणी का व्रत और पूजन करें। इससे आपके जीवन के हर कष्ट मिट जाएंगे।

मां ब्रह्मचारिणी की कथा (Maa Brahmacharini Katha):

धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकबार भगवान शंकर सिर्फ अपनी तपस्या में ही लीन रहते थे। उधर, देवी भगवान से विवाह करना चाहती थी। किंतु शंकर जी ध्यानमग्न ही रहा करते थे। तब एक दिन माता पार्वती कामदेव से शिवजी पर कामवासना का तीर छोड़ने को कहती हैं। आज्ञानुसार, कामदेव ने भगवान शिव पर तीर भी छोड़ दिया। फलस्वरूप, भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई और भगवान कामदेव पर क्रोधित हो गए। क्रोधित होकर शिवजी ने अग्नि का रूप ले लिया। भगवान स्वंय के साथ कामदेव को भी जला दिया। यह देख नारद जी ने देवी पार्वती को सलाह दी कि उन्हें घोर तपस्या करना चाहिए। तब देवी पार्वती पहाड़ पर जाकर कई हजार सालों तक घनघोर तप करती रहीं। देवी तप के दौरान पत्ते आदि खाकर धूप, बारिश और शीत में भी यूं ही तप करती रहीं। देवी की कठोर तपस्या से भगवान शिव आकर्षित हुए। अंततः शिवजी ने उन्हें विवाह का वचन भी दिया।

मां ब्रह्मचारिणी की आरती (Maa Brahmacharini Ki Aarti)

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सकल संसारा।

जय गायत्री वेद की माता। जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए। कोई भी दुख सहने न पाए।

उसकी विरति रहे ठिकाने। जो तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर। जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।

आलस छोड़ करे गुणगाना। मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी। रखना लाज मेरी महतारी।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि (Maa Brahmacharini Puja Vidhi)

  • नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहन लें।
  • माता की पूजा के लिए एक चौकी या पीढ़े पर सफेद आसन बिछा लें।
  • अब इस चौकी पर माता की प्रतिमा स्थापित करें।
  • इसके बाद दूध, घृत, दही, शर्करा व मधु से देवी को स्नान कराएं।
  • सफेद वस्त्र पहना कर उनका श्रृंगार करें।
  • श्रृंगार के बाद अक्षत, रोली, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
  • पूजा के बाद कथा सुनें और देवी के समक्ष हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।
  • अंत में माता को फलों का भोग लगाकर सबको प्रसाद बांटें।

मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र (Maa Brahmacharini Ke Mantra)

1.या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।। ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥

2. या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

3.ध्यान मंत्र वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥ गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्। धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालङ्कार भूषिताम्॥ परम वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन। पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

4. तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्। ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥ शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी। शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

5.कवच मंत्र त्रिपुरा में हृदयम् पातु ललाटे पातु शङ्करभामिनी। अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥ पञ्चदशी कण्ठे पातु मध्यदेशे पातु महेश्वरी॥ षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो। अङ्ग प्रत्यङ्ग सतत पातु ब्रह्मचारिणी॥

मां ब्रह्मचारिणी का भोग (Maa Brahmacharini Bhog)

मां ब्रह्मचारिणी को दूध से बनी किसी चीज का भोग लगाएं। इससे मां की तुरंत कृपा बरसने लगेगी। आप चाहें तो उन्हें खीर का भोग लगा सकते हैं।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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