Navratri 2023 2nd Day Puja Vidhi, Vrat Katha, Mantra: मां ब्रम्हचारिणी के मंत्र, कथा, आरती, भोग और पूजा विधि यहां देखें
Navratri 2023 2nd Day Maa Brahmacharini Puja Vidhi, Mantra, Aarti, Katha: नवरात्रि का दूसरा दिन माता ब्रम्हचारिणी की पूजा को समर्पित है। इस दिन मां दुर्गा के दूसरे रूप ब्रम्हचारिणी की पूजा की जाती है। यहां जानें माता ब्रम्हचारिणी की पूजा विधि, मंत्र,कथा और आरती ।
Navratri 2023 Day 2
Navratri 2023 2nd Day Maa Brahmacharini Puja Vidhi, Mantra, Aarti, Katha: नवरात्रि में माता दुर्गा के पूजा की जाती है। नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रम्हचारिणी जी की पूजा होती है। माता सन्मार्ग दिखाती हैं। इस स्वरूप की भक्ति से शक्ति, त्याग, समृद्धि के साथ साथ 9 ग्रहों की प्रतिकूलता को अनुकूलता में बदलने के लिए मां की कृपा प्राप्त होती है। माता अपने बच्चों को सामान्य पूजा पर भी आशीर्वाद देती है लेकिन हमारा यह कर्तव्य है कि हम इन नवरात्र के दिनों में उनकी पूजा,आराधना तथा अपने तप जप से उनको प्रसन्न करें। माता ब्रम्हचारिणी का आशीर्वाद बहुत जरूरी है। माता ब्रम्हचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखाती हैं। साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित हो माता ब्रम्हचारिणी का स्वरूप बहुत तेज व भव्य है। माता ब्रम्हचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए बहुत कठोर तप किया। इसलिए माता को तपसचारिणी भी कहा गया। माता की शिव प्राप्ति की तपस्या यह दर्शाती है कि परम् पिता शिव को प्राप्त करने के लिए माता ने महान तप किया। माता ब्रम्हचारिणी की पूजा शिव भक्ति मार्ग की तरफ ले जाती है। यहां जानिए मां ब्रम्हचारिणी की पूजा विधि, मंत्र,कथा और आरती ।
मां ब्रम्हचारिणी पूजा विधि ( Brahmacharini Puja Vidhi)
माता ब्रम्हचारिणी की मूर्ति के समक्ष सबसे पहले उनके 32 नामों का जप करें फिर दुर्गासप्तशती का पाठ करें। माता ब्रम्हचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखाने वाली हैं। सभी ग्रह के इष्ट देवता माता दुर्गा के भक्त होते हैं। जैसे किसी की जन्मकुंडली में राहु की प्रतिकूलता हो तो माता ब्रम्हचारिणी से यह बात कहें व उनकी उपासना करें तो बहुत तेज लाभ होगा,इतना लाभ आपको राहु के सीधे जप से नहीं होगा।
मां ब्रम्हचारिणी मंत्र, नवरात्रि के दूसरे दिन का मंत्र( Brahmacharini Mantra)
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणी नमोस्तुते
ये दुर्गा सप्तशती में सप्तश्लोकी दुर्गा में सन्निहित मंत्र है। यह महामंत्र है। कितने बड़े बड़े ज्योतिषी तथा तांत्रिक मात्र इसी मंत्र को सिद्ध कर लिए हैं। यह शरणागति को दिखाता है। हम जैसे भी हैं ,हे माता आपके शरण में हैं। शरणागति ही सर्वश्रेष्ठ भक्ति है।यदि आपके पास समय कम है। केवल इसी मंत्र को कंठस्थ कर लीजिए व सदैव इसका मानसिक जप करते रहिए तो आपके जीवन में कितनी भी बड़ी कठिनाई ही वह अपने आप दूर चली जाएगी। यह मंत्र माता ब्रम्हचारिणी को बहुत प्रिय है।
मां ब्रम्हचारिणी भोग ( Brahmacharini Mata Bhog)
माता ब्रम्हचारिणी को गुड़हल व कमल का पुष्प बहुत प्रिय है।माता को चीनी,मिश्री व पंचामृत का भोग लगता है। माता ब्रम्हचारिणी को दूध व दूध से बने व्यंजन बहुत प्रिय हैं। माता की दूध से बने व्यंजनों का भोग लगाएं।
माता ब्रम्हचारिणी आरती ( Maa Brahmacharini Aarti)
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
मां ब्रम्हचारिणी कथा ( Maa Brahmacharini Katha)
शास्त्रों के अनुसार मां दुर्गा का जन्म पर्वतज के यहां पार्वती के रूप में हुआ था। महर्षि नारद की सलाह पर माता ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए जंगल में कठोर तपस्या की और कई वर्षों तक उपवास भी किया। हजारों वर्षों की कठोर तपस्या के बाद उन्हें ब्रह्मचारिणी नाम दिया गया और उन्हें जप- तप, त्याग और ज्ञान की देवी माना गया। कठोर तपस्या के बाद मां ब्रह्मचारिणी ने तीन हजार वर्षों तक दोबारा तपस्या की। वह जमीन पर गिरे बेल के पत्ते खाकर महादेव की आराधना करती रहीं। फिर उन्होंने कई वर्षों तक बिना पानी पिए उपवास किया। निर्जला और निराहार रहकर तप करने के कारण उन्हें "अर्पणा" नाम भी दिया गया। कठोर तपस्या के कारण मां ब्रह्मचारिणी का शरीर कमजोर होने लगा। उनकी कठोर तपस्या से तीनों लोकों में त्राहि-त्राहि मच गई। देवता, ऋषि-मुनि उनके तप को अभूतपूर्व बताने लगे। तब ब्रह्मा जी ने आकाशवाणी की, “हे देवी!” अब तक आपके जैसा कठोर तप किसी ने नहीं किया। तुम्हारी मनोकामना हर प्रकार से पूर्ण होगी और भगवान शिव तुम्हें पति के रूप में प्राप्त होंगे। शीघ्र ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आएंगे, अब तुम्हें तपस्या छोड़कर घर लौट जाना चाहिए।” नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के इसी स्वरूप की पूजा की जाती है। इनकी आराधना से मन कठिन संघर्षों से विचलित नहीं होता और त्याग, संयम, सदाचार एवं सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। अध्यात्म (Spirituality News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
अध्यात्म और ज्योतिष की दुनिया बेहद दिलचस्प है। यहां हर समय कुछ नया सिखने और जानने को मिलता है। अगर आपकी अध्यात्म और ज्योतिष में गहरी रुचि है और आप इस ...और देखें
6 January 2025 Panchang: पौष मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन कब होगा सूर्योदय, यहां जानिए पूरा पंचांग
Guru Gochar 2025: साल 2025 के इस महीने में गुरु करेंगे गोचर, इन चार राशियों को मिलेगा बंपर लाभ
Guru Nanak Jayanti 2025: इस साल गुरु नानक जयंती कब मनाई जाएगी, नोट कर लें सही तारीख
Kumbh Mela Ke Prakar: 2025 में प्रयागराज में कौन सा कुंभ लग रहा है, जानिए कुंभ मेले के प्रकार
Khichdi 2025 Date: खिचड़ी कब है 2025 में, जानिए मकर संक्रांति पर्व को इस नाम से क्यों जाना जाता है
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited