Navratri 2023: नवरात्रि में दुर्गसप्तशती का पाठ करने के फायदे और नियम
Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि नौ दिनों का पवित्र त्योहार है जिसके दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि जब भक्त पूरी श्रद्धा के साथ देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं, तो देवी मां की कृपा उन पर हमेशा बनी रहती है। आइए जानते हैं दुर्गसप्तशती पाठ के नियम के बारे में।
Durgasapthsati Path.
Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि शुरू होने वाली है। सनातनधर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है। इस दौरान श्रद्धालु कड़े नियमों के अनुसार अपनी मां की पूजा करते हैं। यह नौ दिनों का त्योहार है जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि जब भक्त देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और भक्तिभाव से दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं, तो देवी मां की कृपा उन पर हमेशा बनी रहती है। 15 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू होने वाले हैं। इस दौरान दुर्गसप्तशती का पाठ करने से साधक की सारी मनोकामना पूरी होती है। आइए जानते हैं इसके नियम के बारे में।
दुर्गसप्तशती पाठ नियम
निर्मल मन जन सो मोहि पावा ,मोहिं कपट छल छिद्र न भावा।
ये चौपाई श्री रासमचरितमानस के सुन्दरकाण्ड से है। भगवान की प्राप्ति की सबसे अनिवार्य शर्तव है मन की निर्मलता और उसके प्रति सम्पूर्ण समर्पण। यही बात गीता में भगवान श्री कृष्ण ने 18 वें अध्याय के अंत में शरणागति पे ही लाकर सभी बातें समाहित कर दी हैं।
जगत जननी मां
माता दुर्गा तो जगत जननी हैं। वह आदि शक्ति जगदंबा हैं। उनका आशीर्वाद प्राप्त करना बहुत आसान है बशर्ते निर्मल मन और निश्छल भक्ति भाव से माता के चरणों में संसार से अनासक्त तथा पूर्ण भक्ति भाव हो। कलयुग केवल नाम अधारा तात्पर्य यह है कि कलयुग में भगवान की प्राप्ति का मात्र एक ही आधार है औऱ वह हैं नाम का जप।
32 नाम
माता के 32 नाम दुर्गाशप्तशती में वर्णित है। पठेत सर्वभायांनमुक्तो भविष्यति न संशयः अर्थात माता के 32 नाम का जो जप करता है उसके भविष्य के बारे में कोई संशय रहता ही नहीं है। ॐ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे यह माता दुर्गा का मुख्य बीज मंत्र है। केवल आप इसी मंत्र को पढ़ें तो ही माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
महा शक्तिशाली मंत्र
माता का 108 नाम भी दुर्गाशप्तशती में वर्णित है। यह बहुत अचूक मंत्र है। महा शक्तिशाली मंत्र है। आसान है। यदि आपकी संस्कृत कमजोर है तो इन नामों को हिंदी में ही पढ़ सकते हैं। उसी प्रकार फल प्राप्त होगा। जय मां दुर्गा यह भी महा नाम है।
आरती भव्य होनी चाहिए
एक बात बहुत महत्वपूर्ण है,वह यह है कि माता की आरती। यदि हम पूजा में कोई त्रुटि कर देते हैं या मन्त्र के उच्चारण में कोई गलती हो जाय तो आरती इन सब भूलों को माफ करती है। आरती भव्य होनी चाहिए। आरती के थाल सनातन धर्म के अनुसार सभी आवश्यक द्रव्यों जे सुसज्जित हों। धूप बत्ती जल रही हो।कपूर की ही आरती हो। अंत में माता से छमा याचना करना चाहिए।
एक मंत्र सभी मनोकामनाएं पूर्ति हेतु अवश्य पढ़ें
देहि सौभाग्य मारोग्यम देहीमें परमम सुखम
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।
इस मंत्र में सभी मनोकामनाएं समाहित हैं। सौभाग्य,आरोग्य,जय,विजय और अंतः दोषों का शमन। इस मंत्र से अपनी सभी कामनाएं माता से आप कह कर अभीष्ट वरदान प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार हम निर्मल भक्ति भाव से अपने जन्म जन्मांतर के लिए माता को प्रसन्न कर सकते हैं।
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