Navratri Aarti, Maa Shailputri Aarti: जगजननी जय जय आरती...नवरात्रि पूजा में जरूर शामिल करें ये आरती
Navratri 2023 Maa Kali Aarti & Mantra Lyrics in Hindi (अंबे तू है जगदम्बे आरती): अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
Navratri 2023 Puja Vidhi: शारदीय नवरात्रि पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
Navratri 2023 Mata Ji Ki Aarti (जगजननी जय जय आरती): शारदीय नवरात्रि 2023 का प्रारंभ 15 अक्टूबर यानि आज से हो गया है। अब नौ दिनों तक भक्तजन अपने घरों में मां की विधि विधान पूजा करेंगे। मान्यता है कि नवरात्रि में दुर्गा मां की पूजा-अर्चना करने से जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं। इस दौरान कई लोग व्रत भी रखते हैं। साल में आने वाली सभी नवरात्रियों में से शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व माना जाता है। इसके आखिरी दिन दशहरा का त्योहार मनाया जाता है। यहां देखें नवरात्रि की आरती।
Mata Ji Ki Aarti (माता की आरती)
जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत,
टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना,
चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर,
रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला,
कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत,
खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत,
तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित,
नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर,
सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे,
महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना,
निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे,
शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे,
सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी,
तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी,
तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,
नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा,
अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता,
तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता ।
सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित,
वर मुद्रा धारी । [खड्ग खप्पर धारी]
मनवांछित फल पावत,
सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत,
कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति,
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी,
सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।
श्रीदेवीजी की आरती - जगजननी जय जय (Shri Deviji Ki Aarti - Jaijanani Jai Jai)
जगजननी जय! जय!!माँ! जगजननी जय! जय!!
भयहारिणि, भवतारिणि,
माँ भवभामिनि जय! जय ॥
जगजननी जय जय..॥
तू ही सत-चित-सुखमय,
शुद्ध ब्रह्मरूपा ।
सत्य सनातन सुन्दर,
पर-शिव सुर-भूपा ॥
जगजननी जय जय..॥
आदि अनादि अनामय,
अविचल अविनाशी ।
अमल अनन्त अगोचर,
अज आनँदराशी ॥
जगजननी जय जय..॥
अविकारी, अघहारी,
अकल, कलाधारी ।
कर्त्ता विधि, भर्त्ता हरि,
हर सँहारकारी ॥
जगजननी जय जय..॥
तू विधिवधू, रमा,
तू उमा, महामाया ।
मूल प्रकृति विद्या तू,
तू जननी, जाया ॥
जगजननी जय जय..॥
राम, कृष्ण तू, सीता,
व्रजरानी राधा ।
तू वांछाकल्पद्रुम,
हारिणि सब बाधा ॥
जगजननी जय जय..॥
दश विद्या, नव दुर्गा,
नानाशस्त्रकरा ।
अष्टमातृका, योगिनि,
नव नव रूप धरा ॥
जगजननी जय जय..॥
तू परधामनिवासिनि,
महाविलासिनि तू ।
तू ही श्मशानविहारिणि,
ताण्डवलासिनि तू ॥
जगजननी जय जय..॥
सुर-मुनि-मोहिनि सौम्या,
तू शोभाऽऽधारा ।
विवसन विकट-सरुपा,
प्रलयमयी धारा ॥
जगजननी जय जय..॥
तू ही स्नेह-सुधामयि,
तू अति गरलमना ।
रत्नविभूषित तू ही,
तू ही अस्थि-तना ॥
जगजननी जय जय..॥
मूलाधारनिवासिनि,
इह-पर-सिद्धिप्रदे ।
कालातीता काली,
कमला तू वरदे ॥
जगजननी जय जय..॥
शक्ति शक्तिधर तू ही,
नित्य अभेदमयी ।
भेदप्रदर्शिनि वाणी,
विमले! वेदत्रयी ॥
जगजननी जय जय..॥
हम अति दीन दुखी माँ!,
विपत-जाल घेरे ।
हैं कपूत अति कपटी,
पर बालक तेरे ॥
जगजननी जय जय..॥
निज स्वभाववश जननी!,
दयादृष्टि कीजै ।
करुणा कर करुणामयि!
चरण-शरण दीजै ॥
जगजननी जय जय..॥
जगजननी जय! जय!!
माँ! जगजननी जय! जय!!
भयहारिणि, भवतारिणि,
माँ भवभामिनि जय! जय ॥
जगजननी जय जय..॥
Maa Shailputri Aarti (माता शैलपुत्री की आरती)
जय शैलपुत्री मातामैया जय शैलपुत्री माता।
रूप अलौकिक पावन
शुभ फल की दाता॥
जय शैलपुत्री माता ॥
हाथ त्रिशूल कमल तल
मैया के साजे ।
शीश मुकुट शोभामयी
मैया के साजे ॥
जय शैलपुत्री माता ॥
दक्षराज की कन्या
शिव अर्धांगिनी तुम ।
तुम ही हो सती माता
पाप विनाशिनी तुम ॥
जय शैलपुत्री माता ॥
वृषभ सवारी माँ की
सुन्दर अति पावन ।
सौभाग्यशाली बनता
जो करले दर्शन ॥
जय शैलपुत्री माता ॥
आदि अनादि अनामय
तुम माँ अविनाशी ।
अटल अनत अगोचर
अतुल आनंद राशि ॥
जय शैलपुत्री माता ॥
नौ दुर्गाओं में मैया
प्रथम तेरा स्थान ।
रिद्धि सिद्धि पा जाता
जो धरता तेरा ध्यान ॥
जय शैलपुत्री माता ॥
प्रथम नवरात्रे जो माँ
व्रत तेरा धरे ।
करदे कृपा उस जन पे
तू मैया तारे ॥
जय शैलपुत्री माता ॥
मूलाधार निवासिनी
हमपे कृपा करना ।
लाल तुम्हारे ही हम
द्रष्टि दया रखना ॥
जय शैलपुत्री माता ॥
करुणामयी जगजननी
दया नज़र कीजे ।
शिवसती शैलपुत्री माँ
चरण शरण लिजे ॥
जय शैलपुत्री माता ॥
मां शैलपुत्री बैल असवार... आरती
शैलपुत्री मां बैल असवार।
करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी।
तेरी महिमा किसी ने ना जानी
पार्वती तू उमा कहलावे।
जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू।
दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी।
आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो।
सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के।
गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं।
प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे।
शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो।
भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
Navratri Aarti: अम्बे तू है जगदम्बे काली आरती लिरिक्स हिंदी में
अम्बे तू है जगदम्बे काली,जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
तेर भक्त जानो पर मैया भीड़ पड़ी है भारी,
दानव दल पर टूट पड़ो माँ कर के सिंह सवारी ।
सो सो सिंहों से है बलशाली,
है अष्ट भुजाओं वाली,
दुखिओं के दुखड़े हारती ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
माँ बेटे की है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता,
पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता ।
सबपे करुना बरसाने वाली,
अमृत बरसाने वाली,
दुखिओं के दुखड़े निवारती ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
नहीं मांगते धन और दौलत ना चांदी ना सोना,
हम तो मांगे माँ तेरे मन में एक छोटा सा कोना ।
सब की बिगड़ी बनाने वाली,
लाज बचाने वाली,
सतिओं के सत को सवारती ।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली। वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
मैया भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली, भक्तों के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती, हम सब उतारे तेरी आरती॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
Maa Durga Mantra: नवरात्रि में करें मां दुर्गा के इन मंत्रों का जाप
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।Shardiya Navratri 2023: ‘अंबे तू है जगदंबे काली आरती लिरिक्स
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी।दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,दुष्टों को तू ही ललकारती।ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता।पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,दुखियों के दुखड़े निवारती।ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,सतियों के सत को संवारती।ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,भक्तों के कारज तू ही सारती।ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥Shailputri Mata Ki Aarti : शैलपुत्री माता की आरती
शैलपुत्री मां बैल असवार |करें देवता जय जयकार ||शिव शंकर की प्रिय भवानी |तेरी महिमा किसी ने ना जानी ||पार्वती तू उमा कहलावे |जो तुझे सिमरे सो सुख पावे ||ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू |दया करे धनवान करे तू ||सोमवार को शिव संग प्यारी |आरती तेरी जिसने उतारी ||उसकी सगरी आस पुजा दो |सगरे दुख तकलीफ मिटा दो ||घी का सुंदर दीप जला के |गोला गरी का भोग लगा के ||श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं |प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं ||जय गिरिराज किशोरी अंबे |शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे ||मनोकामना पूर्ण कर दो |भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो ||Shailputri Kavach Mantra: माँ शैलपुत्री कवच मंत्र
ॐकारः में शिरः पातु मूलाधार निवासिनी।हींकारः पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥श्रींकार पातु वदने लावण्या महेश्वरी।हुंकार पातु हृदयम् तारिणी शक्ति स्वघृत।फट्कार पातु सर्वाङ्गे सर्व सिद्धि फलप्रदा॥Shailputri Stuti: माता शैलपुत्री स्तुति
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागरः तारणीम्।धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥त्रिलोजननी त्वंहि परमानन्द प्रदीयमान्।सौभाग्यरोग्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह विनाशिनीं।मुक्ति भुक्ति दायिनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥Ambe Mata Ki Aarti: माता रानी की आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली,जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
तेर भक्त जानो पर मैया भीड़ पड़ी है भारी,
दानव दल पर टूट पड़ो माँ कर के सिंह सवारी ।
सो सो सिंहों से है बलशाली,
है अष्ट भुजाओं वाली,
दुखिओं के दुखड़े हारती ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
माँ बेटे की है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता,
पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता ।
सबपे करुना बरसाने वाली,
अमृत बरसाने वाली,
दुखिओं के दुखड़े निवारती ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
नहीं मांगते धन और दौलत ना चांदी ना सोना,
हम तो मांगे माँ तेरे मन में एक छोटा सा कोना ।
सब की बिगड़ी बनाने वाली,
लाज बचाने वाली,
सतिओं के सत को सवारती ।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली। वरद हस्त सर पर रख दो मां संकट हरने वाली॥
मैया भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली, भक्तों के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती, हम सब उतारे तेरी आरती॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
Navratri Day 1 Vrat katha: नवरात्रि मां शैलपुत्री व्रत कथा
नवरात्रि के पहले दिन की व्रत कथा के अनुसार एक बार राजा दक्ष प्रजापति के आगमन पर वहां मौजूद सभी लोग खड़े हुए, लेकिन भगवान शंकर अपने स्थान से नहीं उठे। राजा दक्ष को भगवान शिव की यह बात अच्छी नहीं लगी और उन्होंने इसे अपना अपमान समझा और उसने इस बात का बदला लेने की सोची। कुछ समय बाद राजा दक्ष ने अपने निवास पर एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने सभी देवी-देवताओं को शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया, लेकिन शिव जी को वहां आमंत्रित नहीं किया।सती ने अपने पति यानि भगवान शिव से अपने पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में जाने की इच्छा ज़ाहिर की। सती के आग्रह पर भगवान शंकर ने उन्हें जाने दिया। जब सती यज्ञ में पहुंचीं, तो वहां उन्हें अपनी मां के अलावा किसी से भी स्नेह नहीं मिला। उन्हें अपनी बहनों की बातें व्यंग्य और उपहास के भाव से भरी लगीं। सती के पिता दक्ष ने भरे यज्ञ में भगवान शंकर के बारे में भला-बुरा कहा।सती ने जब अपने पिता के द्वारा शिव जी के लिए कठोर बातें सुनी, तो वे अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाई और यज्ञ वेदी मे कूदकर उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। फिर सती का अगला जन्म शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में हुआ और वे शैलपुत्री कहलाईं। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शिव से ही हुआ था।Mata Ke Mantra In Hindi: माता रानी के मंत्र
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
अर्थ: अपने भक्तों को सभी तरह के शुभ फल प्रदान करने वाली, सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाली, मंगलमयी, आप शरण लेने के पात्र हैं। तीन नेत्रों वाली अर्थात भूत, भविष्य, वर्तमान को प्रत्यक्ष रूप से देखने वाली एक सिर्फ आप ही हो। तुम ही शिव पत्नी, तुम ही नारायण पत्नी, अर्थात भगवान के सभी स्वरूपों के साथ तुम ही जुड़ी हो। आपको नमस्कार है।
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते। ।
अर्थ: जयंती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, और स्वधा नामों से प्रसिद्ध जगदंबे आपको मेरा नमस्कार है।
Navratri First Day Aarti Lyrics: नवरात्रि पहले दिन की आरती
जय शैलपुत्री माता,मैया जय शैलपुत्री माता,रूप अलौकिक पावन,शुभ फल की दाता,जय शैलपुत्री माता।हाथ त्रिशूल कमल तल,मैया के साजे,शीश मुकुट शोभामयी,मैया के साजे,जय शैलपुत्री माता।दक्षराज की कन्या,शिव अर्धांगिनी तुम,तुम ही हो सती माता,पाप विनाशिनी तुम,जय शैलपुत्री माता।वृषभ सवारी माँ की,सुन्दर अति पावन,सौभाग्यशाली बनता,जो करले दर्शन,जय शैलपुत्री माता।आदि अनादि अनामय,तुम माँ अविनाशी,अटल अनत अगोचर,अतुल आनंद राशि,जय शैलपुत्री माता।नौ दुर्गाओं में मैया,प्रथम तेरा स्थान,रिद्धि सिद्धि पा जाता,जो धरता तेरा ध्यान,जय शैलपुत्री माता।प्रथम नवरात्रे जो माँ,व्रत तेरा धरे,करदे कृपा उस जन पे,तू मैया तारे,जय शैलपुत्री माता।मूलाधार निवासिनी,हमपे कृपा करना,लाल तुम्हारे ही हम,द्रष्टि दया रखना,जय शैलपुत्री माता।करुणामयी जगजननी,दया नजर कीजे,शिवसती शैलपुत्री माँ,चरण शरण लिजे,जय शैलपुत्री माताDurga Chalisa: दुर्गा चालीसा
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥
शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ संतन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें।
रिपू मुरख मौही डरपावे॥
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।
जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥
Navratri Vrat Katha In Hindi (नवरात्रि व्रत कथा)
प्राचीन काल में मनोहर नाम के नगर में पीठत नाम का एक अनाथ ब्राह्मण रहता था, वह मां दुर्गा का भक्त था। उसके घर संपूर्ण सद्गुणों से युक्त अत्यन्त सुन्दरी कन्या उत्पन्न हुई जिसका नाम उसने सुमति रखा। सुमति अपने पिता के घर सहेलियों के साथ क्रीड़ा करती हुई इस प्रकार बढ़ने लगी जैसे शुक्ल पक्ष में चंद्रमा की कला बढ़ती है। समुति का पिता रोजाना जब मां दुर्गा की पूजा करके होम किया करता था तब समुति वहां उपस्थित रहती थी। एक दिन सुमति अपनी सखियों के साथ खेल में लगने के कारण मां भगवती के पूजन में उपस्थित नहीं हुई। उसके पिता को पुत्री पर क्रोध आया और वह पुत्री से कहने लगा अरी दुष्ट पुत्री! आज तूने मां भगवती का पूजन नहीं किया, इस कारण मैं किसी कुष्ट रोगी के साथ तेरा विवाह करूंगा।पिता के वचन सुन सुमति को बड़ा दुख हुआ और पिता से कहने लगी- हे पिता! मैं आपकी ही कन्या हूं अर्थात सब तरह से आपके आधीन हूं जैसी आपकी इच्छा हो वैसा ही करो। राजा से, कुष्टी से, दरिद्र से जिसके साथ चाहो मेरा विवाह कर दो पर होगा वही जो मेरे भाग्य में लिखा है, मेरा ऐसा विश्वास है जो जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है क्योंकि कर्म करना मनुष्य के आधीन है पर फल देना ईश्वर के हाथ में होता है।
इस प्रकार अपनी कन्या के निर्भयता से कहे हुए वचन सुन ब्राह्मण और क्रोधित हो गया और उसने अपनी कन्या का विवाह एक कुष्टी के साथ कर दिया और कहने लगा-हे पुत्री! अपने कर्म का फल भोगो, देखें भाग्य के भरोसे रहकर क्या करती हो? पिता के ऐसे वचनों को सुन सुमति सोचने लगी- अहो! मेरा बड़ा दुर्भाग्य है जिससे मुझे ऐसा पति मिला। इस तरह चिंतित मन से कन्या अपने पति के साथ वन में चली गई और डरावने निर्जन वन में उन्होंने वह रात बड़े कष्ट से व्यतीत की।
उस गरीब बालिका की ऐसी स्थिति देख देवी भगवती उस कन्या के पूर्व पुण्य के प्रभाव से उसके सामने प्रकट हुईं और सुमति से कहा- हे दीन ब्राह्मणी! मैं तुझसे प्रसन्न हूं, तुम जो चाहो वरदान मांग सकती हो। भगवती दुर्गा का यह वचन सुन ब्राह्मणी ने कहा- आप कौन हैं? इस पर देवी ने कहा कि मैं आदि शक्ति भगवती हूं और मैं ही ब्रह्मविद्या व सरस्वती हूं। प्रसन्न होने पर प्राणियों का दुख दूर कर उन्हें सुख प्रदान करती हूं। हे ब्राह्मणी! मैं तुझ पर तेरे पूर्व जन्म के पुण्य के प्रभाव से प्रसन्न हूं।
देवी भगवती ने उस कन्या को उसके पूर्व जन्म का वृतांत सुनाते हुआ कहा कि तू पूर्व जन्म में निषाद (भील) की स्त्री थी और अति पतिव्रता थी। एक दिन तेरे पति ने चोरी की। चोरी के कारण तुम दोनों को सिपाहियों ने पकड़ लिया और जेलखाने में कैद कर दिया। उन लोगों ने तुझे और तेरे पति को भोजन भी नहीं दिया। उस समय नवरात्रि पर्व चल रहा था। इस तरह से नवरात्र के दिनों में तुमने न तो कुछ खाया और न जल ही पिया इस प्रकार तुम्हारा नौ दिन का व्रत हो गया। हे ब्राह्मणी! उन दिनों में जो व्रत हुआ, इस व्रत के प्रभाव से ही मैं प्रसन्न होकर तुझे मनोवांछित वर देती हूं, तुम्हारी जो इच्छा हो सो मांगो।
इस प्रकार देवी मां के वचन सुन ब्राह्मणी बोली अगर आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो माता मैं आपको प्रणाम करती हूं कृपा करके मेरे पति का कोढ़ रोग दूर करो। देवी ने कहा- उन दिनों तुमने जो व्रत किया था उस व्रत का एक दिन का पुण्य अपने पति का अर्पण कर दो इससे तुम्हारा पति कोढ़ मुक्त हो जाएगा।
इस प्रकार देवी के वचन सुन ब्राह्मणी बहुत प्रसन्न हुई और उसने अपने पति नवरात्रि व्रत के एक दिन का पुण्य अर्पित कर दिया, तब उसके पति का शरीर भगवती दुर्गा की कृपा से कुष्ट रोग से रहित हो अति कान्तिवान हो गया। वह ब्राह्मणी पति को ठीक होते देख देवी की स्तुति करने लगी- हे दुर्गे! आप दुर्गति को दूर करने वाली, तीनों लोकों का सन्ताप हरने वालीं, दुखों को दूर करने वालीं, मनोवांछित वर देने वाली और दुष्टों का नाश करने वाली जगत माता हो। हे अम्बे! मेरे पिता ने मुझे कुष्टी मनुष्य के साथ विवाह कर घर से निकाल दिया था। मैं तभी से निर्जन वन में विचर रही हूं, आपने मेरा इस विपदा से उद्धार किया है, हे देवी। आपको प्रणाम करती हूं। मेरी रक्षा करो।
उस ब्राह्मणी की ऐसी स्तुति सुन देवी ने ब्राह्मणी से कहा- तेरे उदालय नामक अति बुद्धिमान, धनवान, कीर्तिवान पुत्र शीघ्र उत्पन्न होगा। ऐसा वर प्रदान कर देवी ने फिर से ब्राह्मणी से कहा कि और जो कुछ तेरी इच्छा हो वह मांग ले। सुमति ने कहा कि हे भगवती दुर्गे! कृपा कर मुझे नवरात्र व्रत की विधि और उसके फल का विस्तार से वर्णन करें।
ब्राह्मणी के वचन सुन दुर्गा ने कहा- हे ब्राह्मणी! मैं तुम्हें संपूर्ण पापों को दूर करने वाले नवरात्र व्रत के बारे में बताती हूं। जिसको सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है- आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नौ दिन तक विधिपूर्वक व्रत करें यदि दिन भर व्रत न कर सकें तो एक समय भोजन करके व्रत करें। नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करें और वाटिका बनाकर उसको प्रतिदिन जल से सींचें। महाकाली, महालक्ष्मी और सरस्वती देवी की मूर्तियां स्थापित कर उनकी नौ दिन तक विधि सहित पूजा करें और पुष्पों से विधिपूर्वक अर्घ्य दें। बिजौरा के फल से अर्घ्य देने पर रूप की प्राप्ति होती है। जायफल से अर्घ्य देने पर कीर्ति, दाख से अर्घ्य देने पर कार्यों में सफलता, आंवले से अर्घ्य देने से सुख की प्राप्ति तो केले से अर्घ्य देने पर आभूषणों की प्राप्ति होती है। इस प्रकार पुष्पों व फलों से अर्घ्य देकर व्रत के नवें दिन विधि-विधान हवन करें। खांड, घी, गेहूं, शहद, जौ, तिल, बिल्व, नारियल, दाख और कदम्ब आदि से हवन करें। इससे मनोवांछित वस्तु की प्राप्ति होती है। इस प्रकार बताई हुई विधि के अनुसार जो व्यक्ति व्रत करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इन नौ दिनों में जो भी दान आदि दिया जाता है उसका करोड़ों गुना फल मिलता है। हे ब्राह्मणी! इस संपूर्ण कामनाओं को पूर्ण करने वाले उत्तम व्रत तीर्थ, मंदिर अथवा घर में विधि के अनुसार करना चाहिए।
Maa Shailputri Aarti (माता शैलपुत्री की आरती)
जय शैलपुत्री मातामैया जय शैलपुत्री माता।
रूप अलौकिक पावन
शुभ फल की दाता॥
जय शैलपुत्री माता ॥
हाथ त्रिशूल कमल तल
मैया के साजे ।
शीश मुकुट शोभामयी
मैया के साजे ॥
जय शैलपुत्री माता ॥
दक्षराज की कन्या
शिव अर्धांगिनी तुम ।
तुम ही हो सती माता
पाप विनाशिनी तुम ॥
जय शैलपुत्री माता ॥
वृषभ सवारी माँ की
सुन्दर अति पावन ।
सौभाग्यशाली बनता
जो करले दर्शन ॥
जय शैलपुत्री माता ॥
आदि अनादि अनामय
तुम माँ अविनाशी ।
अटल अनत अगोचर
अतुल आनंद राशि ॥
जय शैलपुत्री माता ॥
नौ दुर्गाओं में मैया
प्रथम तेरा स्थान ।
रिद्धि सिद्धि पा जाता
जो धरता तेरा ध्यान ॥
जय शैलपुत्री माता ॥
प्रथम नवरात्रे जो माँ
व्रत तेरा धरे ।
करदे कृपा उस जन पे
तू मैया तारे ॥
जय शैलपुत्री माता ॥
मूलाधार निवासिनी
हमपे कृपा करना ।
लाल तुम्हारे ही हम
द्रष्टि दया रखना ॥
जय शैलपुत्री माता ॥
करुणामयी जगजननी
दया नज़र कीजे ।
शिवसती शैलपुत्री माँ
चरण शरण लिजे ॥
जय शैलपुत्री माता ॥
Navratri Colors Day Wise, Navratri Ke 9 Rang (नवरात्रि के 9 दिन के रंग)
नवरात्रि के पहले दिन का रंग - नारंगीनवरात्रि के दूसरे दिन का रंग - सफेद
नवरात्रि के तीसरे दिन का रंग - लाल
नवरात्रि के चौथे दिन का रंग-नीला
नवरात्रि के पांचवे दिन का रंग - पीला
नवरात्रि के छठे दिन का रंग - हरा
नवरात्रि के सातवें दिन का रंग - ग्रे
नवरात्रि के आठवें दिन का रंग - बैंगनी
नवरात्रि के नौवें का रंग - पीकॉक ग्रीन रंग
Mata Ambe Ki Aarti: माता रानी की आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली,जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
तेर भक्त जानो पर मैया भीड़ पड़ी है भारी,
दानव दल पर टूट पड़ो माँ कर के सिंह सवारी ।
सो सो सिंहों से है बलशाली,
है अष्ट भुजाओं वाली,
दुखिओं के दुखड़े हारती ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
माँ बेटे की है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता,
पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता ।
सबपे करुना बरसाने वाली,
अमृत बरसाने वाली,
दुखिओं के दुखड़े निवारती ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
नहीं मांगते धन और दौलत ना चांदी ना सोना,
हम तो मांगे माँ तेरे मन में एक छोटा सा कोना ।
सब की बिगड़ी बनाने वाली,
लाज बचाने वाली,
सतिओं के सत को सवारती ।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली। वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
मैया भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली, भक्तों के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती, हम सब उतारे तेरी आरती॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
Mata Ki Aarti (माता की आरती)
जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत,
टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना,
चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर,
रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला,
कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत,
खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत,
तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित,
नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर,
सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे,
महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना,
निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे,
शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे,
सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी,
तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी,
तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,
नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा,
अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता,
तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता ।
सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित,
वर मुद्रा धारी । [खड्ग खप्पर धारी]
मनवांछित फल पावत,
सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत,
कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति,
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी,
सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।
Mata Ke Mantra: माता के मंत्र
दुर्गा मां के इन मंत्रों का करें जाप:1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
3. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
4. नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' का जाप अधिक से अधिक अवश्य करें।
नवरात्रि 2023 घटस्थापना मुहूर्त (Navratri 2023 Kalash Sthapana Muhurat)
आश्विन नवरात्रि घटस्थापना 15 अक्टूबर 2023 रविवार को है।नवरात्रि घटस्थापना शुभ मुहूर्त सुबह 11:44 से दोपहर 12:30 तक रहेगा।
प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 की रात 11:24 PM से शुरू होगी।
प्रतिपदा तिथि की समाप्ति 16 अक्टूबर 2023 को 12:32 AM पर होगी।
चित्रा नक्षत्र का प्रारम्भ 14 अक्टूबर 2023 को 04:24 PM पर होगा।
चित्रा नक्षत्र की समाप्ति 15 अक्टूबर 2023 को 06:13 PM पर होगी।
वैधृति योग का प्रारम्भ 14 अक्टूबर 2023 को 10:25 AM बजे होगा।
वैधृति योग की समाप्ति 15 अक्टूबर 2023 को 10:25 AM बजे होगी।
Pehla Navratri Kis Mata Ka Hai: नवरात्रि के पहले दिन किस माता की पूजा की जाती है
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माता शैलपुत्री के माथे पर अर्धचंद्र होता है। देवी शैलपुत्री दाएं हाथ में त्रिशूल तथा बाएं हाथ में कमल का पुष्प लिए रहती हैं। इनकी सवारी वृष यानी कि नंदी बैल है।Navratri Mantra: नवरात्रि माता रानी मंत्र
पहला दिन- शैलपुत्री - ह्रीं शिवायै नम:।दूसरा दिन- ब्रह्मचारिणी - ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
तीसरा दिन- चन्द्रघण्टा- ऐं श्रीं शक्तयै नम:।
चौथा दिन- कूष्मांडा- ऐं ह्री देव्यै नम:।
पांचवा दिन- स्कंदमाता-ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।
छठा दिन- कात्यायनी- क्लीं श्री त्रिनेत्राय नम:।
सातवाँ दिन- कालरात्रि- क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
आठवां दिन- महागौरी- श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
नौवां दिन- सिद्धिदात्री- ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त 2023 (Navratri Kalash Sthapana Muhurat 2023)
नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त सुबह 11:44 से 12:30 तक रहेगा। वहीं प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 को 11:24 पी एम बजे से 15 अक्टूबर की रात 12:32 बजे तक रहेगी।नवरात्रि घटस्थापना सामग्री की लिस्ट (Navratri Ghatasthapana/Kalash Sthapana Samagri List)
- लकड़ी की चौकी
- चौकी पर बिछाने के लिए पीला या लाल कपड़ा
- यदि जौ उपलब्ध न हो तो गेहूं
- कलश के लिये आम के पत्ते
- घट स्थापना के लिए कलश और ढक्कन
- जौ बोने के लिए मिट्टी का बर्तन
- शुद्ध मिट्टी
- कलावा
- हल्दी की गांठ
- जायफल
- जौ
- गंगाजल
- रोली
- सिन्दूर
- सुपारी
- तिल
- नारियल
- पंचमेवा
- मिश्री
- सूखे मेवे
- पूजन के लिए पान के पत्ते
- पूजा के लिए फूल माला
- फल
- मखाने
- घी
- माता के लिये वस्त्र
- माता के लिए सुहाग का सामान
नवरात्रि घटस्थापना पूरी सामग्री लिस्ट (Navratri Ghatasthapana/Kalash Sthapana Samagri List 2023)
कलश, गंगाजल , मौली, रोली,अक्षत, सिक्का, गेहूं या अक्षत, आम के पत्ते का पल्लव, 5 आम के पत्ते की डली, मिट्टी का बर्तन, शुद्ध मिट्टी, मिट्टी पर रखने के लिए एक साफ कपड़ा, कलावा, गेहूं या जौ, पीतल या मिट्टी का दीपक, घी, रूई बत्ती, सिंदूर, लाल वस्त्र, जटा वाला नारियल आदि।2023 में पहली नवरात्रि कब है?
इस साल प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट से शुरू होगी और 16 अक्टूबर को सुबह 12 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि में शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023 से प्रारंभ होंगे। इस साल शारदीय नवरात्रि का प्रथम दिन 15 अक्टूबर को होगा।navratri drawing 2023: नवरात्रि ड्राइंग
Shardiya Navratri 2023: मां शैलपुत्री स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥Navratri 2023 Durga Chalisa: दुर्गा चालीसा
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥निरंकार है ज्योति तुम्हारी।तिहूं लोक फैली उजियारी॥शशि ललाट मुख महाविशाला।नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥रूप मातु को अधिक सुहावे।दरश करत जन अति सुख पावे॥तुम संसार शक्ति लै कीना।पालन हेतु अन्न धन दीना॥अन्नपूर्णा हुई जग पाला।तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥प्रलयकाल सब नाशन हारी।तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥रूप सरस्वती को तुम धारा।दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।परगट भई फाड़कर खम्बा॥रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।श्री नारायण अंग समाहीं॥क्षीरसिन्धु में करत विलासा।दयासिन्धु दीजै मन आसा॥हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।महिमा अमित न जात बखानी॥मातंगी अरु धूमावति माता।भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥श्री भैरव तारा जग तारिणी।छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥केहरि वाहन सोह भवानी।लांगुर वीर चलत अगवानी॥कर में खप्पर खड्ग विराजै।जाको देख काल डर भाजै॥सोहै अस्त्र और त्रिशूला।जाते उठत शत्रु हिय शूला॥नगरकोट में तुम्हीं विराजत।तिहुंलोक में डंका बाजत॥शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।रक्तबीज शंखन संहारे॥महिषासुर नृप अति अभिमानी।जेहि अघ भार मही अकुलानी॥रूप कराल कालिका धारा।सेन सहित तुम तिहि संहारा॥परी गाढ़ संतन पर जब जब।भई सहाय मातु तुम तब तब॥अमरपुरी अरु बासव लोका।तब महिमा सब रहें अशोका॥ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥प्रेम भक्ति से जो यश गावें।दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥शंकर आचारज तप कीनो।काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥शक्ति रूप का मरम न पायो।शक्ति गई तब मन पछितायो॥शरणागत हुई कीर्ति बखानी।जय जय जय जगदम्ब भवानी॥भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥मोको मातु कष्ट अति घेरो।तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥आशा तृष्णा निपट सतावें।रिपू मुरख मौही डरपावे॥शत्रु नाश कीजै महारानी।सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥करो कृपा हे मातु दयाला।ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।सब सुख भोग परमपद पावै॥देवीदास शरण निज जानी।करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥ ॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥Navratri Prasad for Nine Days 2023: नवरात्रि नौ दिन भोग
शैलपुत्री मां को गाय के घी का भोग लगाना चाहिए।दूसरे दिन शक्कर और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए।तीसरे दिन इस दिन दूध से बनी मिठाइयां, खीर आदि का भोग लगाएं।चौथे दिन माता को मालपुए का भोग लगाया जाता है। पांचवे दिन माता को केले का भोग चढ़ाया जाता है।छठवें दिन लौकी, मीठे पान और शहद चढ़ाया जाता है। सातवें दिन कालरात्रि को गुड से निर्मित भोग लगाना चाहिए।आठवें दिन नारियल चढ़ाएं।नौवे दिन हलवा-पूड़ी और खीर का भोग लगाएं।शारदीय नवरात्रि माता की सवारी क्या है
हाथी पर माता का आगमन इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि इस साल खूब अच्छी वर्षा होगी और खेती अच्छी होगी। देश में अन्न धन का भंडार बढ़ेगा। इस बार रविवार को नवरात्रि शुरू होने पर देवी हाथी पर सवार होकर आएंगीं।Navratri 2023 Shailputri Stuti: माता शौलपुत्री स्तुति
वंदे वांच्छितलाभायाचंद्रार्धकृतशेखराम्।वृषारूढांशूलधरांशैलपुत्रीयशस्विनीम्॥पूणेंदुनिभांगौरी मूलाधार स्थितांप्रथम दुर्गा त्रिनेत्रा।पटांबरपरिधानांरत्नकिरीटांनानालंकारभूषिता॥प्रफुल्ल वदनांपल्लवाधरांकांतकपोलांतुंग कुचाम्।कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीक्षीणमध्यांनितंबनीम्॥navratri ke 9 rang: नवरात्रि के नौ रंग
पहला दिन नारंगीदूसरा दिन सफेदतीसरा दिन लालचौथा दिन नीलापांचवां दिन पीलाछठवां दिन हरासातवां दिन भूराआठवां दिन बैंगनीनौवां दिन पीकॉक ग्रीनGhat Sthapana shubh muhurat: घट स्थापना शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्र पर घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 21 मिनट से सुबह 10 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। साथ ही, घट स्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से 12:30 मिनट तक रहेगा।Navratri 2023 Mantra: नौ देवियों के बीज मंत्र
ह्रीं शिवायै नम:ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:ऐं श्रीं शक्तयै नम:ऐं ह्री देव्यै नम:ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:Navratri Puja Samagri: नवरात्रि पूजा का जरूरी सामान
नवरात्रि में माता की पूजा-अर्चना में शंख, सिंदूर, रोली, मौली, कपूर, धूप, लाल पुष्प या पुष्पहार, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ पटरा, आसन, चौकी, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, कमलगट्टा, नैवेद्य, बताशा, मधु, शक्कर, नारियल, गंगाजल आदि की भी आवश्यकता पड़ती है इसलिए अभी से इन चीजों को घर पर लाकर रख लें।navratri vrat food: नवरात्रि के व्रत में खाएं ये 5 चीजें
ड्राई फ्रूटस और नट्सकद्दू और लौकीदहीफल- सब्जियांनारियलShardiya Navratri 2023 Bhajan: नवरात्रि भजन लिरिक्स
हे नाम रे, सबसे बड़ा तेरा नाम लिरिक्स...काल के पंजे से माता बचाओ, जय माँ अष्ट भवानी।काल के पंजे से माता बचाओ, जय माँ अष्ट भवानी।।हे नाम रे, सबसे बड़ा तेरा नाम,ओ शेरोंवाली, ऊँचे डेरों वाली,बिगड़े बना दे मेरे काम।ऐसा कठिन पल, ऐसी घड़ी है,विपदा आन पड़ी है।तू ही दिखा अब रास्ता,ये दुनिया रास्ता रोके खड़ी है।मेरा जीवन बना इक संग्राम।।भक्तों को दुष्टों से छुड़ाए,भुजती जोत जगाई।जिसका नहीं है कोई जगत में,तू उसकी बन जाए।तीनो लोक करे तोहे प्रणाम।।हे, क्या भेट चढ़ाऊं तुझपे,तू प्रसन्न हो जाए।दुश्मन थर थर काँपे माँ,जब तू गुस्से में आये।।Navratri 2023 Bhog Mantra: नवरात्रि भोग मंत्र
त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये । गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।। सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।। ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।Navratri 2023 Bhog: नवरात्रि नौ दिन भोग लिस्ट
प्रथम रूप- मां शैलपुत्री - देसी घी से बनी मिठाईदूसरा रूप- मां ब्रह्मचारिणी-चीनी और फलतीसरा रूप- मां चंद्रघंटा-दूध, मिठाई और खीरचौथा रूप- मां कुष्मांडा-मालपुए या दहीपांचवां रूप- मां स्कंदमाता-केला, पेड़ा, सौंफछठां रूप- मां कात्यायनी- शहद, लड्डू, दहीसातवां रूप- मां कालरात्रि- गुड़, पेड़ा, दहीआठवां रूप- मां महागौरी -नारियल, पेड़ानवां रूप- मां सिद्धिदात्री -तिल, सफेद लड्डूShani Gochar 2024: शनि के मीन राशि में गोचर से इन राशियों को होगी परेशानी, दुखों का टूट सकता है पहाड़, बचने के लिए तुरंत करें ये काम
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