Navratri 2023: गोरखपुर के इस मंदिर में देवी को चढ़ाया जाता है इंसानी खून, 300 साल से चली आ रही है अनोखी परंपरा

Navratri 2023: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित है एक ऐसा मंदिर है जहां मानव रक्त चढ़ाया जाता है। गोरखपुर के बांसगांव इलाके में स्थित दुर्गा मंदिर में रक्त चढ़ाने की परंपरा लगभग 300 साल से चली आ रही है। इसमें नवजात से लेकर 100 साल के वृद्ध तक का रक्त चढ़ाया जाता है।

Navratri 2023: गोरखपुर के इस मंदिर में देवी को चढ़ाया जाता है इंसानी खून, 300 साल से चली आ रही है अनोखी परंपरा

Navratri 2023: उत्तर-प्रदेश के गोऱखपुर जिले के बांसगांव तहसील में देवी दुर्गा का एक ऐसा प्राचीन मंदिर स्थित है जिसकी एक अजीब परंपरा के बारे में जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। लगभग पिछले 300 साल से इस मंदिर में देवी को प्रसाद स्वरूप रक्त चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। यहां परंपरा के अनुसार नवजात से लेकर 100 वर्ष तक के बच्चे का रक्त चढ़ाया जाता है। लोगों की मान्यता है कि जिन बच्चों के ललाट (लिलार) से रक्त निकल आता है वे इसी मां की कृपा से प्राप्त हुए होते हैं।

परंपरा में शामिल होते हैं श्रीनेत वंश के लोग—

मां दुर्गा के इस मंदिर में श्रीनेत वंश के क्षत्रियों द्वारा नवरात्र में नौवीं तिथि के दिन मां के चरणों में रक्त अर्पण करने की परंपरा है। ये परंपरा लगभग 300 साल से चले आ रही है। श्रीनेत वंश से जुड़े देश-विदेश में रहने वाले लोग इस दिन यहां आकर अपना रक्त मां दुर्गा को अर्पित करते हैं। लोग अपने नवजात बच्चों को लेकर माता के मंदिर में पहुंचते हैं। कम से कम 12 दिन के बच्चे का ही रक्त मां को चढ़ाया जा सकता है।

9 जगहों से लिया जाता है खून—

परंपरा के अनुसार मंदिर में पहुंचे लोगों के शरीर में 9 जगहों से खून निकाला जाता है जिसे बेल-पत्र पर लेकर माता को अर्पित किया जाता है। जिसमें खास बात है कि बच्चों के केवल माथे पर चीरा लगाया जाता है, जबकि विवाहित पुरुषों के शरीर में 9 जगह चीरा लगाकर खून निकाला जाता है।

पशु बलि को रोकने के लिए चली परंपरा—

इस परंपरा को शुरू करने में सबसे बड़ी बात जो सामने आती है वह है पशुओं की बलि को रोकना। क्षत्रिय लोग अपना रक्त माता को चढ़ाकर बेजुवान पशु को कटने से रोकते थे। चीरा लगने के बाद मंदिर के हवन कुंड से निकलने वाली राख को कटी हुई जगह पर लगाया जाता है जिससे खून का निकलना रुक जाता है।

नहीं होता कोई बीमार—

मंदिर के पुजारी श्रवण पाण्डेय बताते हैं कि इतने वर्षों से चली आ रही इस परंपरा के बाद भी आज तक किसी भक्त को कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा है। आज तक किसी को चीरा लगने से टिटनेस नहीं हुआ और ना ही चीरा का निशान ही रहता है। लोगों का मानना है कि यहां रक्त चढ़ाने से मां खुश होती हैं और भक्त के परिवार में खुशहाली आती है।

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कुलदीप राघव author

कुलदीप सिंह राघव 2017 से Timesnowhindi.com ऑनलाइन से जुड़े हैं।पॉटरी नगरी के नाम से मशहूर यूपी के बुलंदशहर जिले के छोटे से कस्बे खुर्जा का रहने वाला ह...और देखें

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