Navratri 2023 Vrat Katha In Hindi: नवरात्रि के नौ दिन पढ़ें मां दुर्गा की ये पावन कथा, हर मनोकामना होगी पूरी

Navratri 2023 Vrat Katha In Hindi: ब्राह्मणी के वचन सुन दुर्गा ने कहा- हे ब्राह्मणी! मैं तुम्हें संपूर्ण पापों को दूर करने वाले नवरात्र व्रत के बारे में बताती हूं। जिसको सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है- आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नौ दिन तक विधिपूर्वक व्रत करें यदि दिन भर व्रत न कर सकें तो एक समय भोजन करके व्रत करें।

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Navratri Vrat Katha In Hindi: नवरात्रि व्रत कथा

Navratri 2023 Maa Durga Vrat Katha In Hindi: सनातन धर्म में आश्विन मास की नवरात्रि का विशेष महत्व माना जाता है। इस दौरान भक्त पूरे नौ दिनों तक मां अंबे की विधि विधान पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें तरह-तरह की चीजों का भोग लगाते हैं। बता दें नवरात्रि पर्व इस साल 15 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक रहेगा। नवरात्रि में सुबह-शाम मां भगवती की पूजा करने का विधान बताया गया है। साथ ही इस दौरान नवरात्रि की पावन कथा भी जरूर सुननी चाहिए।

Navratri 2023 Kalash Sthapana Muhurat And Puja Vidhi

Navratri Vrat Katha In Hindi (नवरात्रि व्रत कथा)

प्राचीन काल में मनोहर नाम के नगर में पीठत नाम का एक अनाथ ब्राह्मण रहता था, वह मां दुर्गा का भक्त था। उसके घर संपूर्ण सद्गुणों से युक्त अत्यन्त सुन्दरी कन्या उत्पन्न हुई जिसका नाम उसने सुमति रखा। सुमति अपने पिता के घर सहेलियों के साथ क्रीड़ा करती हुई इस प्रकार बढ़ने लगी जैसे शुक्ल पक्ष में चंद्रमा की कला बढ़ती है। समुति का पिता रोजाना जब मां दुर्गा की पूजा करके होम किया करता था तब समुति वहां उपस्थित रहती थी। एक दिन सुमति अपनी सखियों के साथ खेल में लगने के कारण मां भगवती के पूजन में उपस्थित नहीं हुई। उसके पिता को पुत्री पर क्रोध आया और वह पुत्री से कहने लगा अरी दुष्ट पुत्री! आज तूने मां भगवती का पूजन नहीं किया, इस कारण मैं किसी कुष्ट रोगी के साथ तेरा विवाह करूंगा।

पिता के वचन सुन सुमति को बड़ा दुख हुआ और पिता से कहने लगी- हे पिता! मैं आपकी ही कन्या हूं अर्थात सब तरह से आपके आधीन हूं जैसी आपकी इच्छा हो वैसा ही करो। राजा से, कुष्टी से, दरिद्र से जिसके साथ चाहो मेरा विवाह कर दो पर होगा वही जो मेरे भाग्य में लिखा है, मेरा ऐसा विश्वास है जो जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है क्योंकि कर्म करना मनुष्य के आधीन है पर फल देना ईश्वर के हाथ में होता है।

इस प्रकार अपनी कन्या के निर्भयता से कहे हुए वचन सुन ब्राह्मण और क्रोधित हो गया और उसने अपनी कन्या का विवाह एक कुष्टी के साथ कर दिया और कहने लगा-हे पुत्री! अपने कर्म का फल भोगो, देखें भाग्य के भरोसे रहकर क्या करती हो? पिता के ऐसे वचनों को सुन सुमति सोचने लगी- अहो! मेरा बड़ा दुर्भाग्य है जिससे मुझे ऐसा पति मिला। इस तरह चिंतित मन से कन्या अपने पति के साथ वन में चली गई और डरावने निर्जन वन में उन्होंने वह रात बड़े कष्ट से व्यतीत की।

उस गरीब बालिका की ऐसी स्थिति देख देवी भगवती उस कन्या के पूर्व पुण्य के प्रभाव से उसके सामने प्रकट हुईं और सुमति से कहा- हे दीन ब्राह्मणी! मैं तुझसे प्रसन्न हूं, तुम जो चाहो वरदान मांग सकती हो। भगवती दुर्गा का यह वचन सुन ब्राह्मणी ने कहा- आप कौन हैं? इस पर देवी ने कहा कि मैं आदि शक्ति भगवती हूं और मैं ही ब्रह्मविद्या व सरस्वती हूं। प्रसन्न होने पर प्राणियों का दुख दूर कर उन्हें सुख प्रदान करती हूं। हे ब्राह्मणी! मैं तुझ पर तेरे पूर्व जन्म के पुण्य के प्रभाव से प्रसन्न हूं।

देवी भगवती ने उस कन्या को उसके पूर्व जन्म का वृतांत सुनाते हुआ कहा कि तू पूर्व जन्म में निषाद (भील) की स्त्री थी और अति पतिव्रता थी। एक दिन तेरे पति ने चोरी की। चोरी के कारण तुम दोनों को सिपाहियों ने पकड़ लिया और जेलखाने में कैद कर दिया। उन लोगों ने तुझे और तेरे पति को भोजन भी नहीं दिया। उस समय नवरात्रि पर्व चल रहा था। इस तरह से नवरात्र के दिनों में तुमने न तो कुछ खाया और न जल ही पिया इस प्रकार तुम्हारा नौ दिन का व्रत हो गया। हे ब्राह्मणी! उन दिनों में जो व्रत हुआ, इस व्रत के प्रभाव से ही मैं प्रसन्न होकर तुझे मनोवांछित वर देती हूं, तुम्हारी जो इच्छा हो सो मांगो।

इस प्रकार देवी मां के वचन सुन ब्राह्मणी बोली अगर आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो माता मैं आपको प्रणाम करती हूं कृपा करके मेरे पति का कोढ़ रोग दूर करो। देवी ने कहा- उन दिनों तुमने जो व्रत किया था उस व्रत का एक दिन का पुण्य अपने पति का अर्पण कर दो इससे तुम्हारा पति कोढ़ मुक्त हो जाएगा।

इस प्रकार देवी के वचन सुन ब्राह्मणी बहुत प्रसन्न हुई और उसने अपने पति नवरात्रि व्रत के एक दिन का पुण्य अर्पित कर दिया, तब उसके पति का शरीर भगवती दुर्गा की कृपा से कुष्ट रोग से रहित हो अति कान्तिवान हो गया। वह ब्राह्मणी पति को ठीक होते देख देवी की स्तुति करने लगी- हे दुर्गे! आप दुर्गति को दूर करने वाली, तीनों लोकों का सन्ताप हरने वालीं, दुखों को दूर करने वालीं, मनोवांछित वर देने वाली और दुष्टों का नाश करने वाली जगत माता हो। हे अम्बे! मेरे पिता ने मुझे कुष्टी मनुष्य के साथ विवाह कर घर से निकाल दिया था। मैं तभी से निर्जन वन में विचर रही हूं, आपने मेरा इस विपदा से उद्धार किया है, हे देवी। आपको प्रणाम करती हूं। मेरी रक्षा करो।

उस ब्राह्मणी की ऐसी स्तुति सुन देवी ने ब्राह्मणी से कहा- तेरे उदालय नामक अति बुद्धिमान, धनवान, कीर्तिवान पुत्र शीघ्र उत्पन्न होगा। ऐसा वर प्रदान कर देवी ने फिर से ब्राह्मणी से कहा कि और जो कुछ तेरी इच्छा हो वह मांग ले। सुमति ने कहा कि हे भगवती दुर्गे! कृपा कर मुझे नवरात्र व्रत की विधि और उसके फल का विस्तार से वर्णन करें।

ब्राह्मणी के वचन सुन दुर्गा ने कहा- हे ब्राह्मणी! मैं तुम्हें संपूर्ण पापों को दूर करने वाले नवरात्र व्रत के बारे में बताती हूं। जिसको सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है- आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नौ दिन तक विधिपूर्वक व्रत करें यदि दिन भर व्रत न कर सकें तो एक समय भोजन करके व्रत करें। नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करें और वाटिका बनाकर उसको प्रतिदिन जल से सींचें। महाकाली, महालक्ष्मी और सरस्वती देवी की मूर्तियां स्थापित कर उनकी नौ दिन तक विधि सहित पूजा करें और पुष्पों से विधिपूर्वक अर्घ्य दें। बिजौरा के फल से अर्घ्य देने पर रूप की प्राप्ति होती है। जायफल से अर्घ्य देने पर कीर्ति, दाख से अर्घ्य देने पर कार्यों में सफलता, आंवले से अर्घ्य देने से सुख की प्राप्ति तो केले से अर्घ्य देने पर आभूषणों की प्राप्ति होती है। इस प्रकार पुष्पों व फलों से अर्घ्य देकर व्रत के नवें दिन विधि-विधान हवन करें। खांड, घी, गेहूं, शहद, जौ, तिल, बिल्व, नारियल, दाख और कदम्ब आदि से हवन करें। इससे मनोवांछित वस्तु की प्राप्ति होती है। इस प्रकार बताई हुई विधि के अनुसार जो व्यक्ति व्रत करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इन नौ दिनों में जो भी दान आदि दिया जाता है उसका करोड़ों गुना फल मिलता है। हे ब्राह्मणी! इस संपूर्ण कामनाओं को पूर्ण करने वाले उत्तम व्रत तीर्थ, मंदिर अथवा घर में विधि के अनुसार करना चाहिए।

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    TNN अध्यात्म डेस्क author

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