Navratri 2024 Day 2, Maa Brahmacharini Ki Aarti And Mantra: मां ब्रह्मचारिणी की आरती और मंत्र यहां देखें
Navratri 2024 2nd Day, Maa Brahmacharini Ki Aarti And Mantra In Hindi (मां ब्रह्मचारिणी की आरती): नवरात्रि के दूसरे दिन की पूजा में मां ब्रह्मचारिणी की आरती और मंत्रों को जरूर शामिल करें। यहां देखें लिरिक्स।
Maa Brahmacharini Ki Aarti And Mantra
Navratri Day 2 Aarti And Mantra: मां ब्रह्मचारिणी माता पार्वती का अविवाहित रूप माना जाता है। इनकी पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। ब्रह्मचारिणी संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है ब्रह्म के समान आचरण करने वाली है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार मां ब्रह्मचारिणी पर्वतराज हिमालय के घर जन्मी थीं। उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की। जिस वजह से इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आरती जरूर करें।
Maa Brahmacharini Ki Aarti (मां ब्रह्मचारिणी की आरती)
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
Maa Brahmacharini Ke Mantra (मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र)
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालङ्कार भूषिताम्॥
परम वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
स्त्रोत
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
कवच मंत्र
त्रिपुरा में हृदयम् पातु ललाटे पातु शङ्करभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पञ्चदशी कण्ठे पातु मध्यदेशे पातु महेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अङ्ग प्रत्यङ्ग सतत पातु ब्रह्मचारिणी॥
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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