Maa Kushmanda Vrat Katha: नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की पूजा, यहां पढ़ें पूरी कथा

Navratri 2024 4th Day, Maa Kushmanda Ki Katha In Hindi (मां कूष्मांडा की कथा): नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा का विधान है। इस दिन मां की विधिवत पूजा की जाती है और कथा का पाठ किया जाता है। यहां पढ़ें मां कूष्मांडा की व्रत कथा।

Maa Kushmanda vrat katha
Maa Kushmanda Ki Katha In Hindi (मां कूष्मांडा की कथा): शारदीय नवरात्रि का त्योहार हर साल बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा की पूजा को समर्पित होता है। ये मां का चौथा रूप माना जाता है। माता कूष्मांडा को आदिशक्ति के नाम से भी जाना जाता है। मां के स्वरूप सूर्य की तरह चमकने वाला है। माता कूष्मांडा की पूजा करने से साधक को हर प्रकार के रोग और दोष से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही मां अपने भक्तों का कल्याण करती हैं। मां कूष्मांडा की पूजा के समय में इस व्रत की कथा का पाठ करना बहुत ही लाभकारी माना जाता है। इनकी कथा का पाठ करने से साधक को हर प्रकार के भय से भी छुटकारा मिल जाता है। आइए यहां पढ़ें मां कूष्मांडा की कथा।

Maa Kushmanda Ki Katha In Hindi (मां कूष्मांडा की कथा)

पौराणिक कथा के अनुसार जब सृष्टि में किसी भी जीव का जन्म नहीं हुआ था। तब उस समय चारों तरफ अंधकार ही फैला हुआ था। उस समय मां जगदम्बा आदिशक्ति कूष्मांडा के रूप में सृष्टि की जरूरत की चीजों को लेकर विराजमान हुईं। जब संसार की रचना का समय तब मां ने ही शिव और ब्रह्मा जी की रचना की थी। उसके बाद सत, रज और तम तीन गुणों परिपूर्ण तीन देवियों की भी रचना की थी। जो सरस्वती, लक्ष्मी और काली के रूप में पूजी जाती हैं। मां आदिशक्ति की ही कृपा प्राप्त करके ब्रह्मा जी संसार के रचियता बने और विष्णु पालनहार, वहीं शिव संहारकर्ता बनें। पुराणों की कथा के अनुसार एक बार जब तारकासुर नामक राक्षस का आंतक बढ़ गया। तब उसे समाप्त करने के लिए शिव जी पुत्र की आवश्यकता पड़ी। इसके कारण शिव जी ने देवी पार्वती से विवाह किया। शिव और पार्वती के विवाह के बाद सारे देवों ने मां पार्वती से तारकासुर के आंतक को खत्म करने की प्रार्थना की। उसके बाद मां पार्वती ने आदिशक्ति का रूप धारण कर सबसे कहा कि वो जल्द ही कार्तिकेय को जन्म देंगी। जो की तारकासुर का वध करेगा। मां का ये रूप देखकर देवताओं की सारी चिंता दूर हो गई। मां का ये रूप अपने भक्तों की रक्षा के लिए सदैव रहता है और इनकी पूजा ध्यान करने से भक्तों की सारी समस्याओं का समाधान भी हो जाता है।
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