Navratri 7th Day, Maa Kalratri Katha, Puja Vidhi: नवरात्रि की सप्तमी पर होती है मां कालरात्रि की पूजा, जानें लें व्रत कथा, पूजा विधि, मंत्र, भोग समेत सारी जानकारी

Navratri 7th Day Maa Kalratri Katha, Mantra, Puja Vidhi, Bhog, Aarti Lyrics In Hindi: नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मान्यताओं अनुसार देवी कालरात्रि अकाल मृत्यु से बचाती हैं। यहां हम आपको बताएंगे नवरात्रि के सातवें दिन की व्रत कथा, पूजा विधि, मंत्र, भोग और शुभ रंग।

Navratri 7th Day, Maa Kalratri Katha

Navratri 7th Day Maa Kalratri Katha, Mantra, Puja Vidhi, Bhog, Aarti Lyrics In Hindi (नवरात्रि का सातवां दिन): नवरात्रि का सातवां दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप को समर्पित है। मान्यताओं अनुसार जो श्रद्धालु सच्चे मन से मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना करते हैं उनके सारे दुख दूर हो जाते हैं। इस साल नवरात्रि की सप्तमी 9 अक्टूबर को मनाई जा रही है। बता दें नवरात्रि के सातवें दिन को दुर्गा सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। चलिए आपको बताते हैं नवरात्रि की सप्तमी की पूजा विधि, व्रत कथा, मंत्र, भोग और शुभ रंग।

मां कालरात्रि की व्रत कथा (Maa Kalratri Ki Vrat Katha In Hindi)

पौराणिक कथा के अनुसार एक समय रक्तबीज नामक राक्षस का उत्पाद काफी ज्यादा बढ़ गया था। जिससे मनुष्य समेत सभी देवी-देवता परेशान हो गए थे। ऐसा कहा जाता है कि रक्तबीज नामक राक्षस को एक ऐसा वरदान प्राप्त था कि जैसे ही उसके शरीर से एक भी खून की बूंद धरती पर गिरगी तो उसके एक अन्य असुर पैदा हो जाएगा। जिसकी वजह से उसका अंत करना मुश्किल हो रहा था। तब इस समस्या का हल निकालने के लिए सभी देवता भगवान शिव की शरण में पहुंचे। भगवान शिव ने कहा कि इस दानव का अंत केवल मां पार्वती ही कर सकती हैं। तब सभी देवी-देवताओं ने मां पार्वती से इस राक्षस का अंत करने की प्रार्थना की। जिसके बाद मां पार्वती ने खुद के तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया। फिर माता ने रक्तबीज का अंत कर दिया। माता ने रक्तबीज से निकलने वाले रक्त को अपने मुख में ले लिया।

दुर्गा सप्तमी पूजन विधि (Durga Saptami Puja Vidhi)

नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है। माता की पूजा में चमेली, गुलदाउदी और गुड़हल के फूल का इस्तेमाल जरूर करें। इसके अलावा इस दिन माता को गुड़ का भोग लगाएं। मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें। फिर व्रत कथा पढ़ें। अंत में माता कालरात्रि की आरती करें। इसके बाद प्रसाद सभी में बांट दें।
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