Navratri 2024 Mata Ki Aarti Live: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी...नवरात्रि की आरती लिखित में यहां देखें
Shardiya Navratri 2024 Aarti, Bhog, Mantra: नवरात्रि का पावन त्योहार इस वर्ष 3 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक रहेगा। नवरात्रि के पहले दिन मां अंबे के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है साथ की कलश स्थापना की जाती है। जिसे घटस्थापना भी कहते हैं।
Navratri 2024 Mata Ki Aarti Live: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी...नवरात्रि की आरती लिखित में यहां देखें
Shardiya Navratri 2024, Mata Ki Aarti Live: शारदीय नवरात्रि सनातन धर्म का बेहद लोकप्रिय त्योहार है जो हर साल आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है और इसका समापन नवमी तिथि पर होता है। नवरात्रि के नौ दिन श्रद्धालु मां अंबे की विधि विधान पूजा करते हैं। साथ ही इस दौरान घरों में सुबह और शाम के समय माता रानी की आरती जरूर की जाती है। लेकिन नवरात्रि का पहला दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिन घटस्थापना करने से लेकर अखंड ज्योत जलाने तक कई जरूरी अनुष्ठान किए जाते हैं।
Navratri Kalash Sthapana Muhurat 2024
जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी आरती लिखित में (Jai Ambe Gauri Aarti Lyrics)
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता ।
सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त 2024 (Navratri Ghat Sthapana Muhurat 2024)
नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त 3 अक्टूबर की सुबह 06 बजकर 15 मिनट से 07 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। तो वहीं घटस्थापना का अभिजित मुहूर्त सुबह 11:46 से दोपहर 12:33 बजे तक रहेगा। प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर 2024 को 12:18 AM से शुरू होकर 4 अक्टूबर 2024 को 02:58 AM बजे तक रहेगी।
Navratri Wishes In Hindi
नवरात्रि पूजा विधि मंत्र सहित (Navratri Puja Vidhi)
- नवरात्रि के पहले दिन श्रद्धालु व्रत का संकल्प लेते हैं। संकल्प लेने के बाद घटस्थापना की तैयारी करते हैं।
- घटस्थापना या कलश स्थापना के लिए सबसे पहले मिट्टी की वेदी में जौ बोया जाता है और फिर उस पर कलश स्थापित किया जाता है।
- इसके बाद देवी-देवताओं का आवाहन किया जाता है।
- इसके बाद अखंड ज्योति जलाएं।
- माता रानी और कलश की विधि विधान पूजा करें।
- माता क मंत्रों का जाप करें। फिर भोग लगाएं।
- अंत में देवी मां की आरती करके प्रसाद को सभी लोगों में बांट दें।
Navratri 2024 Colours
नवरात्रि पूजा मंत्र (Navratri Puja Mantra)
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
शारदीय नवरात्रि 2024 माता की सवारी (Shardiya Navratri 2024 Mata Ki Sawari)
इस बार शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आ रही हैं। ज्योतिष अनुसार माता के पालकी में सवार होकर आना शुभ तो माना जाता है लेकिन मां की इस सवारी पर आने का संबंध महामारी से भी बताया जाता है। कहते हैं जब मां दुर्गा पालकी पर बैठकर आती है तो बीमारी और महामारी का खतरा बढ़ने की आशंका रहती है।
tommorow color of navratri 2024: नवरात्रि के दूसरे दिन का रंग
नवरात्रि के दूसरे दिन हरे रंग का वस्त्र पहनना चाहिए।Maa Durga Chalisa In Hindi : दुर्गा चालसी लिरिक्स हिंदी में
।। चौपाई।।नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अंबे दुःख हरनी।।
निराकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूं लोक फैली उजियारी।।
शशि ललाट मुख महा विशाला।
नेत्र लाल भृकुटी विकराला ।।
रूप मातुको अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे ।।
तुम संसार शक्ति मय कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ।।
अन्नपूरना हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुंदरी बाला ।।
प्रलयकाल सब नासन हारी।
तुम गौरी शिव शंकर प्यारी ।।
शिव योगी तुम्हरे गुण गावैं।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावै।।
रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा।।
धरा रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ।।
रक्षा करि प्रहलाद बचायो ।
हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो ।।
लक्ष्मी रूप धरो जग माही।
श्री नारायण अंग समाहीं । ।
क्षीरसिंधु मे करत विलासा ।
दयासिंधु दीजै मन आसा ।।
हिंगलाज मे तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी ।।
मातंगी धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ।।
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
क्षिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ।।
केहरि वाहन सोहे भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी ।।
कर मे खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ।।
सोहे अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ।।
नगर कोटि मे तुमही विराजत।
तिहुं लोक में डंका बाजत ।।
शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे ।।
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अधिभार मही अकुलानी ।।
रूप कराल काली को धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा।।
परी गाढ़ संतन पर जब-जब।
भई सहाय मात तुम तब-तब ।।
अमरपुरी औरों सब लोका।
जब महिमा सब रहे अशोका ।।
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हे सदा पूजें नर नारी ।।
प्रेम भक्त से जो जस गावैं।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवै ।।
ध्यावें जो नर मन लाई ।
जन्म मरण ताको छुटि जाई ।।
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग नही बिन शक्ति तुम्हारी ।।
शंकर आचारज तप कीन्हों ।
काम क्रोध जीति सब लीनों ।।
निसदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको।।
शक्ति रूप को मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो।।
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ।।
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहि कीन्ह विलंबा ।।
मोको मातु कष्ट अति घेरों ।
तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो ।।
आशा तृष्णा निपट सतावै।
रिपु मूरख मोहि अति डरपावै ।।
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं एकचित तुम्हें भवानी ।।
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला ।।
जब लगि जियौं दया फल पाऊं।
तुम्हरौ जस मै सदा सुनाऊं ।।
दुर्गा चालीसा जो गावै ।
सब सुख भोग परम पद पावै।।
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी ।।
।। दोहा।।
शरणागत रक्षा कर, भक्त रहे निःशंक ।
मैं आया तेरी शरण में, मातु लीजिए अंक।।
jai ambe gauri: जय अंबे गौरी
जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत,
टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना,
चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर,
रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला,
कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत,
खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत,
तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित,
नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर,
सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे,
महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना,
निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे,
शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे,
सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी,
तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी,
तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,
नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा,
अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता,
तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता ।
सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित,
वर मुद्रा धारी । [खड्ग खप्पर धारी]
मनवांछित फल पावत,
सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत,
कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति,
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी,
सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
नवरात्रि के उपवास में क्या खाना चाहिए
नवरात्रि के उपवास में फल, साबूदाना, कुट्टू की पूरी, दूध और दही का सेवन किया जा सकता है।आज का चौघड़िया मुहूर्त (Aaj Ka Choghadiya Muhurat 2024)
शुभ - उत्तम - 06:15 ए एम से 07:44 ए एमचर - सामान्य - 10:41 ए एम से 12:10 पी एम
लाभ - उन्नति - 12:10 पी एम से 01:38 पी एम
अमृत - सर्वोत्तम - 01:38 पी एम से 03:07 पी एम
नवरात्रि पूजा विधि : Navratri Puja Vidhi
घट स्थापना के बाद माता को चुनरी, फूल माला और श्रृंगार सामग्री चढ़ाई जाती है।अगर नवरात्रि के नौ दिन के व्रत रख रहे हैं तो पूजा के समय व्रत का संकल्प जरूर लें।
माता के समक्ष देसी घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं।
फिर माता रानी के मंत्रों का जाप करें, दुर्गा चालीसा पढ़ें और दुर्गाशप्तशती का पाठ भी कर सकते हैं।
इसके बाद नवरात्रि की कथा सुनें। फिर माता की आरती करें।
अंत में माता को भोग लगाकर प्रसाद सभी में बांट दें।
Maa Durga 108 Names : मां दुर्गा 108 नाम लिस्ट
सतीसाध्वीभवप्रीताभवानीभवमोचनीआर्यादुर्गाजयाआद्यात्रिनेत्राशूलधारिणीपिनाकधारिणीचित्राचंद्रघंटामहातपामनबुद्धिअहंकाराचित्तरूपाचिताचितिसर्वमंत्रमयीसत्तासत्यानंदस्वरुपिणीअनंताभाविनीभव्याअभव्यासदागतिशाम्भवीदेवमाताचिंतारत्नप्रियासर्वविद्यादक्षकन्यादक्षयज्ञविनाशिनीअपर्णाअनेकवर्णापाटलापाटलावतीपट्टाम्बरपरिधानाकलमंजरीरंजिनीअमेयविक्रमाक्रूरासुंदरीसुरसुंदरीवनदुर्गामातंगीमतंगमुनिपूजिताब्राह्मीमाहेश्वरीऐंद्रीकौमारीवैष्णवीचामुंडावाराहीलक्ष्मीपुरुषाकृतिविमलाउत्कर्षिनीज्ञानाक्रियानित्याबुद्धिदाबहुलाबहुलप्रियासर्ववाहनवाहनानिशुंभशुंभहननीमहिषासुरमर्दिनीमधुकैटभहंत्रीचंडमुंडविनाशिनीसर्वसुरविनाशासर्वदानवघातिनीसर्वशास्त्रमयीसत्यासर्वास्त्रधारिणीअनेकशस्त्रहस्ताअनेकास्त्रधारिणीकुमारीएककन्याकैशोरीयुवतीयतिअप्रौढ़ाप्रौढ़ावृद्धमाताबलप्रदामहोदरीमुक्तकेशीघोररूपामहाबलाअग्निज्वालारौद्रमुखीकालरात्रितपस्विनीनारायणीभद्रकालीविष्णुमायजलोदरीशिवदुतीकरालीअनंतापरमेश्वरीकात्यायनीसावित्रीप्रत्यक्षाब्रह्मावादिनी।अंबेAmbe Mata Ki Aarti: अंबे जी की आरती
नव दुर्गा आरती (Nav Durga Aarti Lyrics)
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी
Navratri bhog: नवरात्रि में माता का भोग
प्रथम दिन: गाय के घी से बनी मिठाईदूसरे दिन: शक्कर पंचामृत का भोग
तीसरे दिन: दूध से बनी मिठाई या खीर का भोग
चौथे दिन: मालपुआ का भोग
पांचवें दिन: केले का भोग
छठा दिन: मीठे पान का भोग
सातवां दिन: गुड़ से बनी मिठाई और खीर का भोग
आठवें दिन: नारियल का भोग
नौवें दिन: खीर, पूरी और हलवा का भोग
दसवें दिन: जलेबी और बालूशाही का भोग
3 October 2024 Panchang: आज का पंचांग
ब्रह्म मुहूर्त 04:38 AM से 05:27 AMप्रातः सन्ध्या 05:02 AM से 06:15 AM
अभिजित मुहूर्त 11:46 AM से 12:33 PM
विजय मुहूर्त 02:08 PM से 02:55 PM
गोधूलि मुहूर्त 06:04 PM से 06:29 PM
सायाह्न सन्ध्या 06:04 PM से 07:18 PM
अमृत काल 08:45 AM से 10:33 AM
निशिता मुहूर्त 11:46 PM से 12:34 AM, अक्टूबर 04
नवरात्रि जोत का मुहूर्त 2024
नवरात्रि जोत जलाने का मुहूर्त सुबह 11:46 से दोपहर 12:33 बजे तक रहेगा। प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर 2024 को 12:18 AM से शुरू होकर 4 अक्टूबर 2024 को 02:58 AM बजे तक रहेगी।नवरात्रि मंत्र (Navratri Mantra)
1. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
2. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
3. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
4. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’
Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि पर इन बातों का रखें विशेष ध्यान
- सुबह की पूजा करने के बाद साधक को सोना नहीं है।
- शारदीय नवरात्रि के दौरान लड़ाई, झगड़ा, अपशब्दों का इस्तेमाल भूल से भी ना करें।
- शराब, मांस, मदिरा, नॉनवेज खाने से परहेज करें।
- शारदीय नवरात्रि शुरू होने से पहले घर की साफ सफाई अच्छे से कर लें।
- नवरात्रि में मंदिर को अच्छे से साफ करके नया आसान तैयार करें।
नवरात्रि पूजा विधि (Navratri Puja Vidhi)
- नवरात्रि के पहले दिन की पूजा थोड़ी अलग होती है। इस दिन माता रानी की पूजा से पहले घटस्थापना की जाती है।
- घट स्थापना के बाद माता को चुनरी, फूल माला और श्रृंगार सामग्री चढ़ाई जाती है।
- अगर नवरात्रि के नौ दिन के व्रत रख रहे हैं तो पूजा के समय व्रत का संकल्प जरूर लें।
- माता के समक्ष देसी घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं।
- फिर माता रानी के मंत्रों का जाप करें, दुर्गा चालीसा पढ़ें और दुर्गाशप्तशती का पाठ भी कर सकते हैं।
- इसके बाद नवरात्रि की कथा सुनें। फिर माता की आरती करें।
- अंत में माता को भोग लगाकर प्रसाद सभी में बांट दें।
नवरात्रि श्लोक इन संस्कृत (Navratri Shlok In Sanskrit)
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥या देवी सर्वभूतेषु मातृ-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषू कान्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु दया-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु शांति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषू क्षान्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
navratri puja samagri list: नवरात्रि पूजा सामग्री लिस्ट
कलशगंगाजल
मौली
माता की प्रतिमा
रोली
मिट्टी का बर्तन
मिट्टी पर रखने के लिए एक साफ कपड़ा
कलावा
गेहूं या जौ
शुद्ध मिट्टी
अक्षत
सिक्का
मिट्टी का बर्तन
सिंदूर
लाल वस्त्र
पीतल या मिट्टी का दीपक
घी
मिट्टी पर रखने के लिए एक साफ कपड़ा
इसके लिए हवन कुंड
आम की लकड़ी
काले तिल
जटा वाला नारियल
लोबान
लौंग का जोड़ा
गुग्गल
धूप
पंचमेवा
सुपारी
कपूर
कमलगट्टा
हवन में चढ़ाने के लिए भोग
शुद्ध जल
आम के पत्ते का पल्लव
साफ जल
नवरात्रि क्यों मनाई जाती है
देवी दुर्गा ने आश्विन के महीने में महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। इसलिए इन नौ दिनों को शक्ति की आराधना के लिए समर्पित कर दिया गया, चूंकि आश्विन मास में शरद ऋतु का प्रारंभ हो जाता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है।माता की आरती (Mata Ki Aarti)
जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत,
टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना,
चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर,
रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला,
कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत,
खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत,
तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित,
नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर,
सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे,
महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना,
निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे,
शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे,
सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी,
तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी,
तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,
नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा,
अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता,
तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता ।
सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित,
वर मुद्रा धारी ।
मनवांछित फल पावत,
सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत,
कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति,
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी,
सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।
नवरात्रि पूजा विधि : Navratri Puja Vidhi
नवरात्रि के पहले दिन की पूजा थोड़ी अलग होती है। इस दिन माता रानी की पूजा से पहले घटस्थापना की जाती है।घट स्थापना के बाद माता को चुनरी, फूल माला और श्रृंगार सामग्री चढ़ाई जाती है।
अगर नवरात्रि के नौ दिन के व्रत रख रहे हैं तो पूजा के समय व्रत का संकल्प जरूर लें।
माता के समक्ष देसी घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं।
फिर माता रानी के मंत्रों का जाप करें, दुर्गा चालीसा पढ़ें और दुर्गाशप्तशती का पाठ भी कर सकते हैं।
इसके बाद नवरात्रि की कथा सुनें। फिर माता की आरती करें।
अंत में माता को भोग लगाकर प्रसाद सभी में बांट दें।
navratri me baal katwa sakte hain: नवरात्रि में बाल कटवा सकते हैं
नवरात्रि में बाल और नाखून नहीं कटवाना चाहिए।Navratri First Colours in hindi: नवरात्रि प्रथम दिन रंग
3 अक्टूबर 2024पहला दिनशैलपुत्रीपीलाnavratri puja muhurat tommorow 2024: कल नवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त 202406:15 AM से 07:22 AMघटस्थापना अभिजित मुहूर्त 11:46 AM से 12:33 PM
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ 03 अक्टूबर 2024 को 12:18 AM बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त 04 अक्टूबर 2024 को 02:58 AM बजे
कन्या लग्न प्रारम्भ 03 अक्टूबर 2024 को 06:15 AM बजे
कन्या लग्न समाप्त 03 अक्टूबर 2024 को 07:22 AM बजे
कलश स्थापना मंत्र : Kalash Sthapana Mantra
ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।। ये मंत्र कलश स्थापना करते समय बोलना चाहिए।घटस्थापना के नियम : Kalash Sthapana Ke Niyam
कलश स्थापना के लिए दिन के पहले एक तिहाई समय को सबसे उत्तम माना जाता है। कई लोग घटस्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उत्तम मानते हैं।कलश स्थापना किचित्रा नक्षत्र और वैधृति योग के दौरान करने से बचना चाहिए।navratri kalasthapana vidhi: नवरात्रि कलश स्थापना विधि
घटस्थापना या कलश स्थापना के लिए एक चौड़े मुंह वाले मिट्टी के बर्तन में पवित्र स्थान से मिट्टी लाकर भर लें और फिर उसमें सप्तधान्य बो दें।फिर इस बर्तन के ऊपर कलश रखकर उसमें जल भर दें।
फिर कलश पर कलावा बांध दें। साथ में टीका लगा दें।
अब कलश के ऊपर आम या अशोक के पल्लव रखें।
इसके बाद कलश के मुख पर जटाओं वाला नारियल लाल कपड़े में कलावे से लपेटकर कलश के ऊपर रख दें।
इस बाद माता रानी के आह्वान करें।
नवरात्रि के हर दिन माता रानी के साथ-साथ कलश की भी पूजा करें।
Navratri Fast Rule : नवरात्रि व्रत नियम
नवरात्रि व्रत के समय में तामसिक भोजन घर में ना बनाएं और ना ही खाएं।नवरात्रि व्रत का समापन हमेशा कन्या पूजन के बाद ही करें।
नवरात्रि के दौरान माता रानी की अखंड ज्योत जलाएं।
यदि आप घर में चौकी स्थापित करते हैं तो कभी भी घर को खाली करके ना जाएं।
नवरात्रि के समय में यदि आप पूरे नौ दिन का व्रत रखते हैं तो बीच में व्रत ना खोलें।
धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि के समय में मां धरती लोक पर आती है, इसलिए अपने घर को खाली ना छोड़ें।
इस दौरान सुबह और शाम दोनों ही समय नियमपूर्वक पूजा करें और माता की आरती करें।
नवरात्रि के समय में यदि आप व्रत नहीं भी रख रहे हैं तो भी प्याज लहसुन का प्रयोग ना करें।
नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त 2024 : Navratri Kalash Sthapana Muhurat 2024
नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त 202406:15 AM से 07:22 AMघटस्थापना अभिजित मुहूर्त 202411:46 AM से 12:33 PM
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ03 अक्टूबर 2024 को 12:18 AM बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त04 अक्टूबर 2024 को 02:58 AM बजे
कन्या लग्न प्रारम्भ03 अक्टूबर 2024 को 06:15 AM बजे
कन्या लग्न समाप्त03 अक्टूबर 2024 को 07:22 AM बजे
Navratri Kalash Sthapana Samagri: घटस्थापना पूजन सामग्री
चौड़े मुंह वाला मिट्टी का बर्तनपवित्र जगह की मिट्टी
कलावा/मौली
सुपारी
कलश
सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज)
जटाओं वाला नारियल
लाल रंग का कपड़ा
फूल
माला
मिठाई
दूर्वा (दूब घास)
गंगाजल
अक्षत
आम या अशोक के पत्ते (पल्लव)
सिंदूर
घटस्थापना की विधि : Kalash Sthapana Vidhi In Hindi
घटस्थापना या कलश स्थापना के लिए एक चौड़े मुंह वाले मिट्टी के बर्तन में पवित्र स्थान से मिट्टी लाकर भर लें और फिर उसमें सप्तधान्य बो दें।फिर इस बर्तन के ऊपर कलश रखकर उसमें जल भर दें।
फिर कलश पर कलावा बांध दें। साथ में टीका लगा दें।
अब कलश के ऊपर आम या अशोक के पल्लव रखें।
इसके बाद कलश के मुख पर जटाओं वाला नारियल लाल कपड़े में कलावे से लपेटकर कलश के ऊपर रख दें।
इस बाद माता रानी के आह्वान करें।
नवरात्रि के हर दिन माता रानी के साथ-साथ कलश की भी पूजा करें।
shardiya navratri 2024 mata ke sawari: शारदीय नवरात्रि माता की सवारी
शारदीय नवरात्रि इस साल 3 अक्टूबर 2024 से शुरू हो रही है। इसका समापन 12 अक्टूबर को होगा। इस साल माता रानी पालकी पर सवार होकर आ रही हैं।Navratri Bhog For 9 Days 2024 List: नवरात्रि भोग लिस्ट
पहला दिनशारदीय नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना करने का विधान है। मां शैलपुत्री को गाय के घी से बना हलवा और रबड़ी का भोग लगाएं।
दूसरा दिन
शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। मां ब्रह्मचारिणी के भोग में शक्कर और पंचामृत को शामिल करें। इससे जातक को दीर्घायु का वरदान प्राप्त होता है।
तीसरा दिन
शारदीय नवरात्र का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है। मां चंद्रघंटा को दूध से बनी चीजों का भोग अर्पित करें। इससे धन लाभ के योग बनते हैं।
चौथा दिन
शारदीय नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा की उपासना करने का विधान है। मां कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाना चाहिए। इससे मां कुष्मांडा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पांचवा दिन
शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं। इससे व्यक्ति के बिजनेस और करियर में उन्नति होती है
छठा दिन
शारदीय नवरात्र के छठे दिन दिन मां कात्यायनी की उपासना की जाती है। मां कात्यायनी को शहद और फल का भोग लगाना चाहिए। इससे जातक को धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
सातवां दिन
शारदीय नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि को समर्पित है। मां कालरात्रि को गुड़ से बनी चीजों को अर्पित करना चाहिए। इससे बिगड़े काम पूरे होते हैं।
आठवां दिन
शारदीय नवरात्र के आठवें दिन महागौरी को नारियल का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इससे जातक की सभी मुरादें पूरी होती हैं।
नौवें दिन
शारदीय नवरात्र के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। मां सिद्धिदात्री को पूड़ी, खीर या हलवा का भोग लगाएं। इससे जातक पर मां की कृपा सदैव बनी रहती है।
Navratri colours 2024: नवरात्रि के नौ रंग
3 अक्टूबर 2024पहला दिनशैलपुत्रीपीला4 अक्टूबर 2024दूसरा दिनब्रह्मचारिणीहरा
5 अक्टूबर 2024तीसरा दिनचन्द्रघण्टाभूरा
6 अक्टूबर 2024चौथा दिनकूष्मांडानारंगी
7 अक्टूबर 2024पांचवां दिनस्कंदमातासफेद
8 अक्टूबर 2024छठा दिनकात्यायनीलाल
9 अक्टूबर 2024सातवां दिनकालरात्रिनीला
10 अक्टूबर 2024आठवां दिनमहागौरीगुलाबी
11 अक्टूबर 2024नौवां दिनसिद्धिदात्रीबैगनी
नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त 2024 : Navratri Kalash Sthapana Muhurat 2024
नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त 202406:15 AM से 07:22 AMघटस्थापना अभिजित मुहूर्त 202411:46 AM से 12:33 PM
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ03 अक्टूबर 2024 को 12:18 AM बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त04 अक्टूबर 2024 को 02:58 AM बजे
कन्या लग्न प्रारम्भ03 अक्टूबर 2024 को 06:15 AM बजे
कन्या लग्न समाप्त03 अक्टूबर 2024 को 07:22 AM बजे
navratri poojan saman list: नवरात्रि पूजा सामान लिस्ट
कलशगंगाजल
मौली
माता की प्रतिमा
रोली
मिट्टी का बर्तन
मिट्टी पर रखने के लिए एक साफ कपड़ा
कलावा
गेहूं या जौ
शुद्ध मिट्टी
अक्षत
सिक्का
मिट्टी का बर्तन
सिंदूर
लाल वस्त्र
पीतल या मिट्टी का दीपक
घी
मिट्टी पर रखने के लिए एक साफ कपड़ा
इसके लिए हवन कुंड
आम की लकड़ी
काले तिल
माँ शैलपुत्री उपासना मंत्र
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
घटस्थापना के नियम (Kalash Sthapana Ke Niyam)
कलश स्थापना के लिए दिन के पहले एक तिहाई समय को सबसे उत्तम माना जाता है। कई लोग घटस्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उत्तम मानते हैं।कलश स्थापना किचित्रा नक्षत्र और वैधृति योग के दौरान करने से बचना चाहिए।नवरात्रि के पहले दिन माता को किस चीज का भोग लगाएं
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री को देसी घी का भोग अवश्य अर्पित करें।शारदीय नवरात्रि क्या करें क्या न करें (Navratri Me Kya Kare Kya Na Kare)
- नवरात्रि में प्याज, लहसुन, शराब, मांस-मछली का सेवन न करें।
- इस दौरान भूलकर भी कभी घर में लड़ाई, झगड़ा, कलह, कलेश इत्यादि न करें।
- नवरात्रि में साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- इस दौरान काले कपड़े और चमड़े की चीज़ें पहनने से भी बचें।
- नवरात्रि भर दाढ़ी, बाल और नाखून न कटवाएं।
नवरात्रि घटस्थापना के नियम (Navratri Ghatasthapana Ke Niyam)
- घटस्थापना के लिए दिन के पहले एक तिहाई समय को सबसे उत्तम माना जाता है।
- कोई अन्य स्थिति होने पर आप अभिजीत मुहूर्त में घटस्थापना कर सकते हैं।
- मान्यताओं के अनुसार, कलश स्थापना किचित्रा नक्षत्र और वैधृति योग के दौरान नहीं करना चाहिए। हालांकि यह समय पूर्ण रूप से वर्जित नहीं है।
- कलश स्थापना दिन के मध्य काल से पहले हर हाल में कर लेनी चाहिए।
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