Navratri 2024 Dates, Puja Timings: 9 अप्रैल से नवरात्रि शुरू, जानें कलश स्थापना का सही समय, पूजा विधि, मुहूर्त और संपूर्ण नियम
Navratri 2024 Start Date, Puja Vidhi, Tithi, Timings: चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 9 अप्रैल से होगा। ऐसे में आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि, कलश स्थापना की विधि और सबकुछ।
Navratri 2024: Start Date, Puja Vidhi, Tithi, Timings, Kalash Sthapana Shubh Muhurat
घोड़े पर सवार होकर आएंगी माता रानी, जानें क्या है इसका अर्थ?इस साल चैत्र नवरात्रि में माता का आगमन घोड़े से होगा। घोड़े को माता का शुभ वाहन नहीं माना जाता। ये समाज में अस्थिरता, तनाव अचानक बड़ी दुर्घटना, भूकंप, चक्रवात, सत्ता परिवर्तन, युद्ध के संकेत देता है।
चैत्र नवरात्रि 2024 का कैलेंडर
09 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 1 | प्रतिपदा | मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना |
10 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 2 | द्वितीया | मां ब्रह्मचारिणी पूजा |
11 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 3 | तृतीया | मां चंद्रघंटा पूजा |
12 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 4 | चतुर्थी | मां कुष्मांडा पूजा |
13 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 5 | पंचमी | मां स्कंदमाता पूजा |
14 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 6 | षष्ठी | मां कात्यायनी पूजा |
15 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 7 | सप्तमी | मां कालरात्रि पूजा |
16 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 8 | अष्टमी | मां महागौरी दुर्गा महाअष्टमी पूजा |
17 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 9 | नवमी | मां सिद्धिदात्री, राम नवमी |
चैत्र नवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्तवैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि इस साल 08 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट से शुरू हो जाएगी जो अगले दिन यानी 09 अप्रैल 2024 को रात को 08 बजकर 30 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर चैत्र नवरात्रि 09 अप्रैल से शुरू हो जाएगी। इन योगों में पूजा बहुत ही शुभ और फलदायी साबित होगा।
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन की पूजा विधि1) नवरात्रि के पहले दिन सुबह घर को साफ-सुथरा करके मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और सुख-समृद्धि के लिए दरवाजे पर आम या अशोक के पत्तों का तोरण लगाएं।
2) इस दिन सुबह स्नानादि करके माता दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर स्थापित करना चाहिए।
3) मां दुर्गा की मूर्ति के बाईं तरफ श्री गणेश की मूर्ति रखें। उसके बाद माता के समक्ष मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं, जौ समृद्धि व खुशहाली का प्रतीक माने जाते हैं।
4) मां की आराधना के समय यदि आपको कोई भी मन्त्र नहीं आता हो तो केवल दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' से पूजा कर सकते हैं व यही मंत्र पढ़ते हुए पूजन सामग्री अर्पित करें।
5) अब देवी को श्रृंगार का सामान और नारियल-चुन्नी जरुर चढ़ाएं ।अपने पूजा स्थल से दक्षिण-पूर्व की तरफ घी का दीपक जलाते हुए 'ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्र जनार्दनः। दीपो हरतु में पापं पूजा दीप नमोस्तुते' यह मंत्र पढ़ें और आरती करें। देवी मां की पूजा में शुद्ध देसी घी का अखंड दीप जलाएं।
घर में कलश स्थापना कैसे करें ?1) कलश स्थापना जहां स्थापित करना है वहां अच्छे से सफाई कर गंगाजल छिड़करें। उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में कलश की स्थापना करे।
2) पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं अक्षत अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की तस्वीर स्थापित करें।
3) कलश में पानी, गंगाजल, सिक्का, रोली, हल्दी गांठ, दूर्वा, सुपारी डालें।
4) कलश में 5 आम के पत्ते रखकर उसे ढक दें। ऊपर से नारियल रखें।
5) इसके बाद एक मिट्टी का बर्तन लें और उसमें साफ मिट्टी रखें। अब इसमें कुछ जौ के दाने बो दें और उनपर पानी का छिड़काव करें, इसे चौकी पर स्थापित कर दें। दीप जलाकर गणपति, माता जी, नवग्रहों का आव्हान करें। फिर विधिवत देवी का पूजन करें।
6) 'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:' नवरात्रि के 9 दिनों तक देवी की सुबह शाम आरती करें और इस मंत्र का जाप करें।
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