Navratri 6th Day, Mata katyani Vrat Katha : नवरात्रि के छठे दिन की व्रत कथा, जानिए मां कात्यानी की कहानी

Navratri 6th Day, Mata katyani Vrat Katha In Hindi (माता कात्यानी व्रत कथा): नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यानी की पूजा का विधान है। मां शक्तियों की भी शक्ति मानी जाती है। इनकी पूजा करने साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। यहां पढ़िए माता कात्यानी की व्रत कथा हिंदी में।

Mata katyani Vrat Katha

Navratri 6th Day, Mata katyani Vrat Katha In Hindi (माता कात्यानी व्रत कथा): शारदीय नवरात्रि चल रहे हैं। नवरात्रि का छठा दिन माता कात्यानी को समर्पित है। इनके भीतर अनन्त ब्रम्हांड की शक्ति निहित है। इनकी पूजा करने से साधक कभी खाली हाथ नहीं जाता है। माता कात्यानी की पूजा के लिए मन को निश्चल करके ही की जाती है। माता कात्यायनी जगत की पालनहार हैं। इनकी कृपा से दैहिक ,दैविक व भौतिक संतापों का नाश होता है। जिन कन्याओं का विवाह नहीं हो रहा है या मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए माता कात्यायनी का व्रत व पूजन करना शुभ फलदायी होता है। आइए यहां पढ़ते हैं नवरात्रि के छठे दिन व्रथ कथा। माता कात्यानी की कहानी हिंदी में।

Mata katyani Vrat Katha In Hindi (माता कात्यानी व्रत कथा)

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार महर्षि कात्यायन ने माता भगवती को संतान प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की। महर्षि कात्यायन की कठोर तपस्या से भगवती मां प्रसन्न हुईं और उन्हें साक्षात् दर्शन दिये। ऋषि कात्यायन ने अपनी माता से अपनी इच्छा व्यक्त की। तब माँ भगवती ने उन्हें वचन दिया कि वह उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लेंगी। एक समय की बात है, तीनों लोकों में महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार बढ़ गया। इससे सभी देवी-देवता व्याकुल हो गये।

तब त्रिदेव - ब्रह्मा, विष्णु और महेश अर्थात भगवान शिव के तेज से देवी कात्यानी उत्पन्न किया जिन्होने महर्षि कात्यायन के घर में बेटी बनकर जन्म लिया। महर्षि कात्यायन के घर जन्म लेने के कारण उन्हें कात्यायनी नाम दिया गया। माता रानी के घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने के बाद ऋषि कात्यायन ने सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि पर मां कात्यायनी की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना की। इसके बाद मां कात्यायनी ने दशमी के दिन महिषासुर दानव का वध किया और तीनों लोकों को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई। तब से ही माता को महिषासुर मर्दनी भी कहा जाता है।

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