Durga Ashtami 2023 Shubh Muhurat, Puja Vidhi, Samagri Live Updates: दुर्गा अष्टमी पूजा विधि, मंत्र, व्रत कथा, आरती और कन्या पूजन विधि यहां देखें
Durga Ashtami 2023 Shubh Muhurat, Puja Vidhi, Samagri List, Mantra, Vrat Katha And Aarti Live Updates: आज शारदीय नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी है। इस दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। कई भक्त दुर्गा अष्टमी पर कन्या पूजन और हवन पूजा करते हैं। यहां जानिए महा अष्टमी पूजा मुहूर्त, विधि, मंत्र, कथा, आरती सबकुछ।
Navratri Maha Ashtami 2023 Puja Vidhi, Muhurat, Kanya Puja Vidhi And Havan Mantra
Navratri Ashtami 2023 Time, Shubh Muhurat, Puja Vidhi, Mantra (Ashtami Kanya Pujan Time 2023): नवरात्रि के आठवें दिन को महाअष्टमी (Maha Ashtami 2023) और दुर्गा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन देवी दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। भागवत पुराण अनुसार भगवान शिव के साथ उनके अर्धांगिनी के रूप में महागौरी ही विराजमान रहती हैं। नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां महागौरी की पूजा करने से चक्र जागृत हो जाते हैं। साथ ही इस दिन कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं। इस साल नवरात्रि की अष्टमी तिथि 21 अक्टूबर 2023 की रात 9 बजकर 53 मिनट से 22 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 58 मिनट तक रहेगी।
Navratri Havan Mantra Vidhi And Shubh Muhurat 2023
नवरात्रि अष्टमी पूजा विधि (Navratri Ashtami Puja Vidhi)
-नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां की विधि विधान पूजा करें।
-सबसे पहले कलश और भगवान गणेश का ध्यान करें।
-इसके बाद मां के मंत्रों का जाप करें।
-मां को लाल चुनरी, सिंदूर, चावल आदि चीजें जरूर चढ़ाएं।
-सफेद फूल हाथ में लेकर माता का ध्यान करें। फिर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
-अंत में मां महागौरी की व्रत कथा सुनें और उनकी आरती भी जरूर करें।
-फिर माता को हलवा, पूरी और चने का भोग लगाएं।
-अगर इस दिन कन्या पूजन कर रहे हैं तो माता की पूजा के बाद कन्याओं की पूजा करें।
-कन्याओं को लाल चुनरी चढ़ाएं साथ ही उन्हें हलवा-पूरी और चने का भोजन कराएं।
-अंत में उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
माता महागौरी का ध्यान मंत्र (Mata Mantra)
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
नवरात्रि महा अष्टमी, हवन और कन्या पूजन से जुड़ी हर जरूरी जानकारी पाने के लिए बने रहिए हमारे इस लाइ ब्लॉग पर।
Mahishasura Mardini Stotram Aigiri Nandini: महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि
अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुतेगिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥
सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते
त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते
दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २ ॥
अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते
शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमलय शृङ्गनिजालय मध्यगते ।
मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ३ ॥
अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्द गजाधिपते
रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते ।
निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ४ ॥
अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते
चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते ।
दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदुत कृतान्तमते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ५ ॥
अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे
त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे ।
दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ६ ॥
अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते
समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते ।
शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ७ ॥
धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके
कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके ।
कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ८ ॥
सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते
कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते ।
धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदंग निनादरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ९ ॥
जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते
झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते ।
नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १० ॥
अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते
श्रितरजनी रजनीरजनी रजनीरजनी करवक्त्रवृते ।
सुनयनविभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमरभ्रमराधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ११ ॥
सहितमहाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते
विरचितवल्लिक पल्लिकमल्लिक झिल्लिकभिल्लिक वर्गवृते ।
शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १२ ॥
अविरलगण्ड गलन्मदमेदुर मत्तमतङ्ग जराजपते
त्रिभुवनभुषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते ।
अयि सुदतीजन लालसमानस मोहन मन्मथराजसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १३ ॥
कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते
सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले ।
अलिकुलसङ्कुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १४ ॥
करमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते
मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते ।
निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १५ ॥
कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे
प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे
जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १६ ॥
विजितसहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते
कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते ।
सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते ।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १७ ॥
पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे
अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत् ।
तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १८ ॥
कनकलसत्कलसिन्धुजलैरनुषिञ्चति तेगुणरङ्गभुवम्
भजति स किं न शचीकुचकुम्भतटीपरिरम्भसुखानुभवम् ।
तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम्
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १९ ॥
तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते
किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते ।
मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २० ॥
अयि मयि दीन दयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे
अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते ।
यदुचितमत्र भवत्युररीकुरुतादुरुतापमपाकुरुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २१ ॥
Kanya Pujan 2023: कन्या पूजा में क्या दें दक्षिणा
कन्या पूजन पर कन्याओं को लाल रंग के वस्त्र, श्रृंगार सामग्री, नारियल, मिठाई और शिक्षा संबंधित दक्षिणा दें।<b>नवरात्रि अष्टमी पारण समय 2023 (Navratri Ashtami 2023 Parana Time)</b>
नवरात्रि अष्टमी 22 अक्टूबर को है। इस दिन आप सुबह से लेकर शाम तक किसी भी समय नवरात्रि व्रत का पारण कर सकते हैं। बस इस बात का ध्यान रखें की व्रत खोलने से पहले कन्याओं का पूजन जरूर करें।8th Day of Navratri Aarti in Hindi, मां महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया। जय उमा भवानी जय महामाया॥हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरा वहा निवास॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे। जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता। कौशिक देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुंड में था जलाया। उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
Navratri 8th Day Vrat Katha In Hindi, नवरात्रि के आठवें दिन की व्रत कथा
मां महागौरी से संबंधित दो कथाएं हैं- पहली कहानी के अनुसार देवी महागौरी 16 वर्ष की वो अविवाहित कन्या हैं जिन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के वर्षों कठोर तपस्या की थी।उनके त्वचा पर धूल जम गई जिससे वह काली दिखाई देने लगीं। मां की इस कठोर तपस्या से महादेव प्रसन्न हुए और उन्होंने देवी महागौरी को विवाह का वचन दिया। इसके बाद जल से मां पार्वती की मिट्टी और धूल को साफ किया गया जिससे उनका सफेद रंग पुनः वापिस आ गया। इस तरह से उनका नाम महागौरी पड़ा।मां महागौरी से संबंधित दूसरी कथा के अनुसार शुंभ और निशुंभ दो राक्षस पृथ्वी पर तबाही मचाने लगे थे। जिसका अंत केवल देवी ही कर सकती थीं। तब भगवान ब्रह्मा की सलाह पर भगवान शिव ने देवी पार्वती की त्वचा को काला कर दिया। देवी पार्वती ने अपना रूप रंग फिर से प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की। तब भगवान महादेव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें मानसरोवर में स्नान करने की सलाह दी। मानसरोवर के जल में स्नान करने से देवी पार्वती की काली छवि फिर से श्वेत हो गई। माता के इस रूप को कौशिकी कहा गया।
Durga Ashtami Havan Mantra: दुर्गा अष्टमी हवन मंत्र
अष्टमी के दिन हवन करने से पहले मां महागौरी की विधि विधान पूजा कर लें। इसके बाद हवन की तैयारी करें। नवरात्रि हवन की पूरी विधि जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करेंं। Navratri Havan Mantra Vidhi In Hindiकन्या पूजा में क्या खिलाना शुभ है
कन्या पूजा के दौरान काले चने की सब्जी, खीर, पूड़ी, हलवा का भोग लगाना बहुत शुभ माना जाता है।Durga Ashtami Puja Vidhi: दुर्गा अष्टमी पूजा विधि
- दुर्गा अष्टमी पर सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर स्वच्छ हो जाएं।
- फिर पूजा की तैयारी शुरू करें।
- सबसे पहले कलश और भगवान गणेश की पूजा करें।
- फिर माता को लाल चुनरी अर्पित करें और उन्हें तिलक लगाएं।
- माता को अक्षत, लाल फूल और सिंदूर अर्पित करें।
- धूप दीप जलाकर माता का गुणगान करें।
- दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- माता के मंत्रों का भी जाप करें।
- दुर्गा अष्टमी की व्रत कथा सुनें।
- माता को मिठाई और हलवा पूरी का भोग लगाएं।
- अंत में माता अंबे की आरती करें और प्रसाद सभी में बांट दें।
- अगर आपको अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना है तो माता की पूजा के बाद करें।
नवरात्रि अष्टमी भोग (Navratri 8th Day Bhog)
अष्टमी तिथि पर मां महागौरी को नारियल या फिर नारियल से बनी चीजों का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा जो लोग अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं वो इस दिन मां को पूरी, सब्जी, हलवे, काले चने का भोग भी लगाते हैं।Durga Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi, दुर्गा आरती लिरिक्स हिंदी में लिखित
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता। सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी । [खड्ग खप्पर धारी]
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
नवरात्रि अष्टमी व्रत कथा (Navratri Ashtami Vrat Katha)
महिषासुर जो सभी असुरों में से सबसे शक्तिशाली था, जिसकी शक्तियों से स्वर्ग के सभी देवता भी डरे हुए थे। उसने हर जगह आतंक फैला रखा था। महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवता त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महादेव) के पास पहुंचे। सभी देवताओं की विनती सुनकर त्रिदेवों ने नवदुर्गा का निर्माण किया। जिसके चलते हर देवता ने देवी दुर्गा को अपने-अपने विशेष हथियार प्रदान किये। त्रिदेवों द्वारा निर्मित आदिशक्ति मां दुर्गा इसके बाद पृथ्वी लोक पर गईं और उन्होंने असुरों का वध कर दिया। महिषासुर के साथ मां दुर्गा का युद्ध कई दिनों तक चला और अंत में मां दुर्गा ने उस राक्षस का वध करके स्वर्ग लोक को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई। कहते हैं उसी दिन से दुर्गा अष्टमी के पर्व का प्रारम्भ हुआ था।दुर्गा अष्टमी कन्या पूजन मुहूर्त 2023 (Durga Ashtami Kanya Pujan Muhurat 2023)
पहला मुहूर्त 07:51 AM से 09:16 AM तक रहेगा।दूसरा मुहूर्त 09:16 AM से 10:41 AM तक रहेगा।
तीसरा मुहूर्त 10:41 AM से 12:05 PM तक रहेगा।
चौथा मुहूर्त 01:30 PM से 02:55 PM तक रहेगा।
Navratri Eighth Day Wishes In Hindi: नवरात्रि आठवें दिन की विशेेज
देवी दुर्गा हमें शाश्वत शांति और समृद्धि का मार्ग दिखाए.दुर्गा अष्टमी की शुभकामनाएं
दुर्गा अष्टमी शुभ मुहूर्त 2023 (Durga Ashtami Puja Muhurat 2023)
दुर्गा अष्टमी 22 अक्टूबर 2023, रविवार को मनाई जाएगी।अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 21 अक्टूबर 2023 की रात 09:53 बजे से होगा।
अष्टमी तिथि की समाप्ति 22 अक्टूबर 2023 की शाम 07:58 बजे पर होगी।
सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:26 से शाम 06:44 बजे तक रहेगा।
रवि योग शाम 06:44 बजे से 23 अक्टूबर की सुबह 06:27 बजे तक रहेगा।
दुर्गा अष्टमी हवन मुहूर्त पूरे दिन रहेगा।
दुर्गा अष्टमी की शुभकामनाएं
सबसे शक्तिशाली माँ शक्ति आपके परिवार को बुराई से बचाए और सभी की इच्छाएँ पूरी करें.दुर्गा अष्टमी की शुभकामनाएं
Durga Ashtami Messages: दुर्गा अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं
यह त्योहार आपके जीवन को नई खुशियों से भर दे,जो आपको और आपके प्रियजनों को
अभी और हमेशा के लिए सकारात्मक ऊर्जा से भर दे.
दुर्गा अष्टमी की शुभकामनाएं
कन्या पूजन सामग्री (Kanya Pujan Samagri)
साफ जल (जिससे कन्याओं का पैर धुलाना है)साफ कपड़ा (जिससे कन्याओं का पैर पोंछना है)
रोली (कन्याओं के माथे पर टीका लगाने के लिए)
कलावा (हाथ में बांधने के लिए)
चावल (टीके के साथ लगाने के लिए)
फूल (कन्याओं पर चढ़ाने के लिए)
चुन्नी (कन्याओं को उढ़ाने के लिए)
फल (कन्याओं के खाने के लिए)
मिठाई (कन्याओं के भोग के लिए)
हलवा-पूरी और चना (कन्याओं का भोजन)
Navratri Asthami Hawan Vidhi: नवरात्रि अष्टमी हवन विधि
हवन करने के लिए सबसे पहले हवन कुंड को गंगाजल से शुद्ध कर लें। हवन कुंड के चारों तरफ कलावा बांध दें।इसके बाद उस पर स्वास्तिक बनाकर पूजा करें. फिर बाद हवन कुंड पर अक्षत, फूल और चंदन आदि अर्पित करें।इसके बाद हवन सामग्री तैयार कर लें। इसमें घी, शक्कर, चावल और कपूर डालें।फिर हवन कुंड में पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशा की ओर 4 आम की लकड़ी रखें।फिर इसके बीच में पान का पत्ता रखकर उस पर कपूर, लौंग, इलायची, बताशा आदि रखें।इसके बाद हवन कुंड में आम की लकड़ियां रखकर अग्नि प्रज्वलित करें।अब मंत्र बोलते हुए हवन सामग्री से अग्नि में आहुति दें। हवन संपूर्ण होने के बाद 9 कन्याओं की पूजा कर उन्हें भोजन कराएं।इसके बाद उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें। फिर कन्याओं को दक्षिणा या उपहार देकर श्रद्धापूर्वक विदा करें।Navratri Asthami Kanya Pujan Vidhi: नवरात्रि अष्टमी कन्या पूजन विधि
कन्या भोज और पूजन के लिए कन्याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित करना चाहिए। गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ स्वागत करें और देवी दुर्गा के सभी नौ रूपों का ध्यान करें। कन्याओं को स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को हल्दी, कच्चा दूध, पुष्प एवं दूर्वा मिश्रित जल से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना चाहिए। उसके बाद सभी देवी स्वरूपा कन्याओं के माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाना चाहिए। इसके बाद मां भगवती का ध्यान करके कन्याओं को सुरुचि पूर्ण भोजन कराएं।Navratri Asthami Hawan Shubh Muhurat: नवरात्रि अष्टमी हवन मुहूर्त
दुर्गा अष्टमी 22 अक्टूबर रविवारअष्टमी तिथि शुरू- 21 अक्टूबर रात 9 बजकर 55 मिनटअष्टमी तिथि समापन- 22 अक्टूबर रात को 5 बजकर 48 मिनटहवन का समय- पूरे दिनNavratri Asthami Havan Samagri: नवरात्रि अष्टमी हवन साम्रगी
हवन कुंड, आम की लकड़ी, चावल, जौ, कलावा, शक्कर, गाय का घी, पान का पत्ता, काला तिल, सूखा नारियल, लौंग, इलायची, कपूर, बताशा आदि।Navratri Asthami Havan Samagri: नवरात्रि अष्टमी हवन साम्रगी
हवन कुंड, आम की लकड़ी, चावल, जौ, कलावा, शक्कर, गाय का घी, पान का पत्ता, काला तिल, सूखा नारियल, लौंग, इलायची, कपूर, बताशा आदि।Navratri Asthami Kanya Pujan Vidhi: नवरात्रि अष्टमी कन्या पूजन विधि
कन्या भोज और पूजन के लिए कन्याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित करना चाहिए। गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ स्वागत करें और देवी दुर्गा के सभी नौ रूपों का ध्यान करें। कन्याओं को स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को हल्दी, कच्चा दूध, पुष्प एवं दूर्वा मिश्रित जल से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना चाहिए। उसके बाद सभी देवी स्वरूपा कन्याओं के माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाना चाहिए। इसके बाद मां भगवती का ध्यान करके कन्याओं को सुरुचि पूर्ण भोजन कराएं।Navratri Asthami Mahagauri Aarti: नवरात्रि अष्टमी महागौरी आरती
'जय महागौरी जगत की माया ।जय उमा भवानी जय महामाया ॥हरिद्वार कनखल के पासा ।महागौरी तेरा वहा निवास ॥चंदेर्काली और ममता अम्बेजय शक्ति जय जय मां जगदम्बे ॥भीमा देवी विमला माताकोशकी देवी जग विखियाता ॥हिमाचल के घर गोरी रूप तेरामहाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ॥सती 'सत' हवं कुंड मै था जलायाउसी धुएं ने रूप काली बनाया ॥बना धर्म सिंह जो सवारी मै आयातो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ॥तभी मां ने महागौरी नाम पायाशरण आने वाले का संकट मिटाया ॥शनिवार को तेरी पूजा जो करतामाँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ॥'चमन' बोलो तो सोच तुम क्या रहे होमहागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो'' ॥Navratri 8th Day, Maa Mahagauri Vrat Katha ( नवरात्रि मां महागौरी व्रत कथा)
पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की। इस दौरान पार्वती मां को पानी और भोजन से वंचित रहीं, जिससे उनका पूरा शरीर काला पड़ गया। माता पार्वती की घोर तपस्या को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। जब उनका शरीर काला पड़ गया तब भगवान शिव ने उन्हें गंगाजल से शुद्ध किया तो उनका शरीर फिर से चमक उठा। इस दौरान उनका रंग सफेद हो गया, इसी कारण उन्हें महागौरी कहा गया।Navratri 8th Day, Maa Mahagauri Puja Vidhi ( नवरात्रि अष्टमी महागौरी पूजा विधि)
नित्य की भांति माता दुर्गा के इस स्वरूप की उपासना करेंगे। माता को लौंग, गुड़हल,धूप ,स्वर्ण रंग की चुनरी,मीठा,गुड़,स्वर्ण आभूषण इत्यादि अर्पित मरते हैं। दुर्गासप्तशती का पाठ करें। सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ करें। सिद्धिकुंजिकास्तोत्र का पाठ करें। माता दुर्गा के 108 नामों को पढ़कर एक नाम पर एक गुड़हल ,गुड़ ,शक्कर ,काली मिर्च व लौंग चढ़ाते जाएं। माता की भव्य आरती करें। अंत में किसी त्रुटि के लिए क्षमा याचना करके प्रसाद ग्रहण करें। दुर्गा मंदिर में माता की आराधना व दर्शन अवश्य करें। माता की प्रतिमा की एक परिक्रमा करें। माता की पूजा में गुड़ का प्रसाद व मीठा अवश्य होता है। कुश या लकड़ी का आसन अच्छा माना जाता है। किसी मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए संकल्पित पूजा करें। जो लोग माता दुर्गा की नित्य उपासना करते हैं,वो वैदिक विधि से महागौरी की पूजा करें।Navratri Asthami Mahagauri Strot: नवरात्रि महागौरी स्तोत्र
सर्वसङ्कट हन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्.ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्.डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्.वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥Navratri Asthami Kanya Pujan Vidhi: नवरात्रि अष्टमी कन्या पूजन विधि
कन्या भोज और पूजन के लिए कन्याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित करना चाहिए। गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ स्वागत करें और देवी दुर्गा के सभी नौ रूपों का ध्यान करें। कन्याओं को स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को हल्दी, कच्चा दूध, पुष्प एवं दूर्वा मिश्रित जल से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना चाहिए। उसके बाद सभी देवी स्वरूपा कन्याओं के माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाना चाहिए। इसके बाद मां भगवती का ध्यान करके कन्याओं को सुरुचि पूर्ण भोजन कराएं।Navratri Asthami Hawan Vidhi: नवरात्रि अष्टमी हवन विधि
हवन करने के लिए सबसे पहले हवन कुंड को गंगाजल से शुद्ध कर लें। हवन कुंड के चारों तरफ कलावा बांध दें।इसके बाद उस पर स्वास्तिक बनाकर पूजा करें. फिर बाद हवन कुंड पर अक्षत, फूल और चंदन आदि अर्पित करें।इसके बाद हवन सामग्री तैयार कर लें। इसमें घी, शक्कर, चावल और कपूर डालें।फिर हवन कुंड में पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशा की ओर 4 आम की लकड़ी रखें।फिर इसके बीच में पान का पत्ता रखकर उस पर कपूर, लौंग, इलायची, बताशा आदि रखें।इसके बाद हवन कुंड में आम की लकड़ियां रखकर अग्नि प्रज्वलित करें।अब मंत्र बोलते हुए हवन सामग्री से अग्नि में आहुति दें। हवन संपूर्ण होने के बाद 9 कन्याओं की पूजा कर उन्हें भोजन कराएं।इसके बाद उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें। फिर कन्याओं को दक्षिणा या उपहार देकर श्रद्धापूर्वक विदा करें।Navratri Asthami Mahagauri Aarti: नवरात्रि अष्टमी महागौरी आरती
'जय महागौरी जगत की माया ।जय उमा भवानी जय महामाया ॥हरिद्वार कनखल के पासा ।महागौरी तेरा वहा निवास ॥चंदेर्काली और ममता अम्बेजय शक्ति जय जय मां जगदम्बे ॥भीमा देवी विमला माताकोशकी देवी जग विखियाता ॥हिमाचल के घर गोरी रूप तेरामहाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ॥सती 'सत' हवं कुंड मै था जलायाउसी धुएं ने रूप काली बनाया ॥बना धर्म सिंह जो सवारी मै आयातो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ॥तभी मां ने महागौरी नाम पायाशरण आने वाले का संकट मिटाया ॥शनिवार को तेरी पूजा जो करतामाँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ॥'चमन' बोलो तो सोच तुम क्या रहे होमहागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो'' ॥Navratri Asthami Bhog: महागौरी का प्रिय भोग और पुष्प
मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी को मोगरे का फूल अति प्रिय है। ऐसे में साधक को इस दिन मां के चरणों में इस फूल को अर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही मां को नारियल की बर्फी और लड्डू अवश्य चढ़ाएं। क्योंकि मां का प्रिय भोग नारियल माना गया है।Navratri Asthami Havan Muhurat: नवरात्रि अष्टमी हवन मुहूर्त
दु्र्गा अष्टमी - 22 अक्टूबर रविवारअष्टमी तिथि शुरू- 21 अक्टूबर रात 9 बजकर 53 मिनटअष्टमी तिथि समापन- 22 अक्टूबर रात 7 बजकर 58 मिनटसर्वाथ सिद्धि योग- सुबह 6 बजकर 22 मिनट से 6 बजकर 44 मिनट तकअष्टमी हवन मुहुर्त - पूरे दिन रहेगा।Navratri Asthami Maha Gauri Puja Vidhi: नवरात्रि अष्टमी महागौरी पूजा विधि
नवरात्रि की महा अष्टमी के दिन मां दुर्गा की आठवीं शक्ति देवी महागौरी की पूजा में श्वेत वस्त्र धारण करें। घर की छत पर लाल रंग की ध्वजा लगाएं। देवी महागौरी को चंदन, रोली, मौली, कुमकुम, अक्षत, मोगरे का फूल अर्पित करें। देवी के सिद्ध मंत्र श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम: का जाप करें। माता के प्रिय भोग नारियल का प्रसाद चढ़ाएं। फिर 9 कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन कराएं। संधि काल में भी माता की पूजा करें।Navratri Asthami Colour: नवरात्रि अष्टमी रंग
नवरात्रि के आठवें दिन यानी अष्टमी को महागौरी की पूजा होती है। इस दिन गुलाबी रंग पहनना शुभ होता है। इस दिन गुलाबी रंग के कपड़े पहन कर माता की पूजा करेंNavratri Asthami Ambe Mata Aarti: नवरात्रि अष्टमी अंबे माता आरती लिरिक्स
जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी ।तुमको निशदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥मांग सिंदूर विराजत,टीको मृगमद को ।उज्ज्वल से दोउ नैना,चंद्रवदन नीको ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै ।रक्तपुष्प गल माला,कंठन पर साजै ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥केहरि वाहन राजत,खड्ग खप्पर धारी ।सुर-नर-मुनिजन सेवत,तिनके दुखहारी ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती ।कोटिक चंद्र दिवाकर,सम राजत ज्योती ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥शुंभ-निशुंभ बिदारे,महिषासुर घाती ।धूम्र विलोचन नैना,निशदिन मदमाती ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥चण्ड-मुण्ड संहारे,शोणित बीज हरे ।मधु-कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥ब्रह्माणी, रूद्राणी,तुम कमला रानी ।आगम निगम बखानी,तुम शिव पटरानी ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥चौंसठ योगिनी मंगल गावत,नृत्य करत भैरों ।बाजत ताल मृदंगा,अरू बाजत डमरू ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता,भक्तन की दुख हरता ।सुख संपति करता ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥भुजा चार अति शोभित,वर मुद्रा धारी । [खड्ग खप्पर धारी]मनवांछित फल पावत,सेवत नर नारी ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥कंचन थाल विराजत,अगर कपूर बाती ।श्रीमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योती ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥श्री अंबेजी की आरति,जो कोइ नर गावे ।कहत शिवानंद स्वामी,सुख-संपति पावे ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी ।Navratri Asthami Kanya Pujan Shubh Muhurat: नवरात्रि अष्टमी कन्या पूजन शुभ मुहूर्त
पहला मुहूर्त सुबह के 7 बजकर 51 मिनट से 9 बजकर 16 मिनटदूसरा मुहूर्त सुबह के 9 बजकर 16 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट तकतीसरा 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर के 12 बजकर 5 मिनट तकचौथा 1 बजकर 30 मिनट से दोपहर के 2 बजकर 55 मिनट तकNavratri Asthami Katha: नवरात्रि अष्टमी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए हजारों वर्षों कड़ी तपस्या की थीं। इस दौरान माता पार्वती ने अन्न, जल का त्याग कर दिया था, जिसके कारण उनका पूरा शरीर काला पड़ गया था।मां पार्वती के इस कठोर तप को देखकर शिव जी प्रसन्न हुए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। शरीर के काले पड़ जाने के कारण शिव जी ने उन्हें गंगा जल से पवित्र किया, जिसके बाद उनका शरीर फिर से कांतिमय हो गया। इस दौरान उनका वर्ण सफेद हो गया जिस कारण वह महागौरी कहलाईं।नवरात्रि अष्टमी महागौरा आरती: Navratri Asthami Mahagauri Aarti
जय महागौरी जगत की माया।जया उमा भवानी जय महामाया।हरिद्वार कनखल के पासा।महागौरी तेरा वहां निवासा।चंद्रकली और ममता अम्बे।जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे।भीमा देवी विमला माता।कौशिकी देवी जग विख्याता।हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।तभी मां ने महागौरी नाम पाया।शरण आनेवाले का संकट मिटाया।शनिवार को तेरी पूजा जो करता।मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।नवरात्रि अष्टमी कन्या पूजन साम्रगी: Navratri Asthami Kanya Pujan Samagri
कन्याओं के पैर धोन के लिए साफ जलपैर को साफ करने के लिए साफ कपड़ारोलीतिलकअक्षतफूल चुन्नीफलमिठाईभोजन साम्रगीकन्याओं के बैठने के लिए आसननवरात्रि अष्टमी हवन मंत्र: Navratri Asthami Havan Mantra
ओम आग्नेय नम: स्वाहा, ओम गणेशाय नम: स्वाहा, ओम गौरियाय नम: स्वाहा,ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा,ओम दुर्गाय नम: स्वाहा,ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा,ओम हनुमते नम: स्वाहा, ओम भैरवाय नम:स्वाहा, ओम कुल देवताय नम: स्वाहा,ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा,ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा,ओम विष्णुवे नम: स्वाहा,ओम शिवाय नम: स्वाहा,ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा,स्वधा नमस्तुति स्वाहा।ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा। ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा। ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।Ekadashi 2025: एकादशी व्रत 2025, जानें जनवरी से दिसंबर तक की डेट्स
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