Navratri Hawan Mantra 2024: नवरात्रि में हवन कैसे किया जाता है? यहां जानें पूजा सामग्री, विधि, मंत्र सबकुछ

Durga Hawan Samagri List, Mantra And Vidhi: नवरात्रि में हवन करना बेहद शुभ माना जाता है। अधिकतर लोग नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि पर हवन पूजन जरूर करते हैं। यहां आप जानेंगे हवन पूजा सामग्री, मंत्र, विधि और महत्व।

Havan Samagri Mantra, Vidhi And Samagri List

Navratri Hawan Mantra, Samagri List And Vidhi (Ram Navami Hawan Vidhi): हिंदू धर्म में हवन पूजा का विशेष महत्व माना गया है। कहते हैं हवन करने से पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त हो जाता है। इसलिए नवरात्रि के आखिरी दिनों में हवन पूजन जरूर किया जाता है। जो लोग अष्टमी को कन्या पूजते हैं वे अष्टमी के दिन ही हवन कर देते हैं तो वहीं जो लोग नवमी को कन्या पूजते हैं वे राम नवमी के दिन हवन करते हैं। यहां हम आपको बताएंगे नवरात्रि में हवन करने की सामग्री, विधि, मंत्र सबकुछ।

Navratri Hawan Samagri (नवरात्रि हवन सामग्री)

हवन कुंड, हवन सामग्री, चन्दन की लकड़ी, मुलैठी की जड़, अश्वगंधा ब्राह्मी, कपूर, गाय का घी, आम की लकड़ी व पल्लव, पीपल का तना व छाल, बेल, नीम, पलाश व गूलड़ की छाल, तिल,चावल, पंचमेवा, सूखा नारियल का गोला, जौ, फूलों की माला, लौंग व इलायची, गुग्गल, लोबान, नवग्रह की लकड़ी, शक्कर, रुमाल के साइज का लाल कपड़ा, शहद, चंदन, रोली, 5 प्रकार के फल, अक्षत, लाल कलावा।

Hawan Puja Vidhi (हवन पूजा विधि)

  • जिस स्थान पर हवन करना है उस स्थान को अच्छे से साफ कर लें।
  • साथ ही हवन कुंड को अच्छे से धोकर साफ करके उसे सुखा लें।
  • सबसे पहले माता की विधि विधान पूजा करें। माता को धूप, दीप और मिष्ठान अर्पित करें।
  • इसके बाद हवन कुंड में आम की लकड़ियां और गोबर की उप्पलों को सजाएं।
  • लकड़ियों और उप्पलों के बीच में कपूर और घी डालें।
  • दूसरी तरफ हवन सामग्री में भी थोड़ा-सा घी मिला लें।
  • फिर नवदुर्गा, नवग्रह, त्रिदेव समेत सभी देवी-देवताओं के लिए आहुति दें।
  • उसके बाद एक सूखा नारियल लें और उस पर कलावा लपेट दें।
  • फिर उस नारियल के सबसे ऊपर खीर, पूड़ी, सुपारी, लौंग, पान का पत्ता, फल आदि रखकर उसे हवन कुंड के बीचो बीच स्थापित कर दें।
  • अब बची हुई हवन सामग्री को यज्ञ में अर्पित कर दें। सामर्थ्य अनुसार हवन की थाली में दक्षिणा अर्पित करें।
  • इसके बाद कपूर या घी के दीप से मां दुर्गा की विधिपूर्वक आरती करें।
  • फिर यज्ञ स्थल पर खड़े होकर हाथ जोड़ें और मां से पूजा में हुई किसी भी तरह की भूल के लिए क्षमा याचना करें।
  • आरती के बाद माता रानी को खीर, पूरी-चना, हलवे और फल का भोग लगाएं।
  • इसके बाद कन्याओं को भोजन कराएं।
  • इसके बाद घर की सबसे छोटी कन्या से सभी के माथे पर तिलक लगवाएं।
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