Navratri Havan Mantra Vidhi In Hindi
Navratri Havan Mantra Vidhi (नवरात्रि हवन विधि मंत्र): नवरात्रि की अष्टमी और नवमी पर हवन करने की परंपरा है। मान्यता है हवन पूजन करने से माता प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देती हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व के समापन पर हवन करने का विशेष महत्व बताया गया है। नवरात्रि हवन सामग्री (Havan Samagri) की बात करें तो इसके लिए आपके पास एक हवन कुंड होना चाहिए। साथ ही आम की लकड़ियों, घी, कपूर और आहुति देने वाली सामग्रियों की जरूरत होगी। नवरात्रि हवन में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। अब जानिए नवरात्रि हवन मंत्र (Navratri Havan Mantra In Sanskrit)।
नवरात्रि हवन विधि मंत्र सामग्री (Navratri Havan Vidhi Mantra । Navratri Havan At Home)
इन 5 मंत्रों से 5 बार शुद्ध देसी घी की आहुति दें।
- ॐ प्रजापतये स्वाहा।
- ॐ इन्द्राय स्वाहा।
- ॐ अग्नये स्वाहा।
- ॐ सोमाय स्वाहा।
- ॐ भूः स्वाहा।
Ram Navami Wishes In Hindiयदि हवन 2 या 2 से अधिक लोग कर रहे हैं तो 1 सदस्य घी की आहुति दे, बाकी सदस्य हवन सामग्री से आहुति दें। ये मंत्र इस प्रकार है-
- ऊँ सूर्याय नमः स्वाहा
- ऊँ चंद्रयसे स्वाहा
- ऊं भौमाय नमः स्वाहा
- ऊँ बुधाय नमः स्वाहा
- ऊँ गुरवे नमः स्वाहा
- ऊँ शुक्राय नमः स्वाहा
- ऊँ शनये नमः स्वाहा
- ऊँ राहवे नमः स्वाहा
- ऊँ केतवे नमः स्वाहा
अब 21 बार गायत्री मंत्र का जाप करते हुए आहुति दें। गायत्री मंत्र इस प्रकार है-अब नीचे बताये गये इन मंत्रों से हवन में आहुति दें-
- ॐ गणेशाय नम: स्वाहा।
- ॐ गौरियाय नम: स्वाहा।
- ॐ नवग्रहाय नम: स्वाहा।
- ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा।
- ॐ महाकालिकाय नम: स्वाहा।
- ॐ हनुमते नम: स्वाहा।
- ॐ भैरवाय नम: स्वाहा।
- ॐ कुल देवताय नम: स्वाहा।
- ॐ स्थान देवताय नम: स्वाहा
- ॐ ब्रह्माय नम: स्वाहा।
- ॐ विष्णुवे नम: स्वाहा।
- ॐ शिवाय नम: स्वाहा।
नवदुर्गा नवरात्रि हवन मंत्र (Nav Durga Navratri Havan Mantra)
- ॐ दुर्गा देवी नमः स्वाहा
- ॐ शैलपुत्री देवी नमः स्वाहा
- ॐ ब्रह्मचारिणी देवी नमः स्वाहा
- ॐ चंद्र घंटा देवी नमः स्वाहा
- ॐ कुष्मांडा देवी नमः स्वाहा
- ॐ स्कन्द देवी नमः स्वाहा
- ॐ कात्यायनी देवी नमः स्वाहा
- ॐ कालरात्रि देवी नमः स्वाहा
- ॐ महागौरी देवी नमः स्वाहा
- ॐ सिद्धिदात्री देवी नमः स्वाहा
- ॐ जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा, स्वधा नमस्तुते स्वाहा |
- ॐ ब्रह्मामुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि: भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्रे शनि राहु केतो सर्वे ग्रहा शांति कर: भवंतु स्वाहा।
- ॐ गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।
अब 11 बार महामृत्युंजय मंत्र से आहुति दें-
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंम् पुष्टिवर्धनम्/ उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् मृत्युन्जाय नम: स्वाहा।”
एक बार इस मंत्र से आहुति दें
ॐ शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्यार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते। स्वाहा।
माता के नर्वाण बीज मंत्र से 108 बार आहुतियां दें। मंत्र इस प्रकार है-
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै। स्वाहा”
दुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय में देवताओं द्वारा देवी स्तुति में मंत्र कहे गए हैं। उनसें हवन में आहुति दें-
1. या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
2. या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
3. या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
4. या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
5. या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
6. या देवी सर्वभूतेषु च्छायारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
7. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
8. या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
9. या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
10. या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
11. या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
12. या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
13. या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
14. या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
15. या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
16. या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
17. या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
18. या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
19. या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
20. या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
21. या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
22. इन्द्रियाणामधिष्ठात्री भुतानाञ्चाखिलेषु या ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
23. चितिरूपेण या कृत्स्नमेतद् व्याप्य स्थिता जगत् ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा
24. स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रया । त्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता ।
करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी । शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः ।। स्वाहा
25. या साम्प्रतं चोद्धतदैत्यतापितै । रस्माभिरीशा च सुरैर्नमस्यते ।
या च स्मृता तत्क्षणमेव हन्ति नः । सर्वापदो भक्तिविनम्रमूर्तिभिः ।। स्वाहा
अंत में हवन के बाद एक नारियल के गोले में कलावा बांध लें। उसके ऊपर के भाग को काट कर उसमें घी, पान, सुपारी, लौंग, जायफल और आपके पास जो भी प्रसाद है, उसे उसमें रख दें और बची हुई हवन सामग्री भी उस नारियल में डाल दें। फिर पूर्ण आहुति मंत्र पढ़ते हुए इस गोले को हवनकुंड की अग्नि के बीच में रख दें।
पूर्णाहुति मंत्र : ऊँ पूर्णमद: पूर्णम् इदम् पूर्णात पूर्णादिमं उच्यते, पुणस्य पूर्णम् उदच्यते। पूर्णस्य पूर्णभादाय पूर्णमेवावाशिष्यते।।
इस मंत्र को कहते हुए पूर्ण आहुति दी जाती है। पूर्ण आहुति के बाद परिवार सहित आरती करके हवन संपन्न करें और अंत में माता से क्षमा याचना करें। इसके बाद अपने ऊपर किसी से 1 रुपया का सिक्का उतरवाकर किसी को दे दें। इस तरह आप अपने घर में नवरात्रि हवन कर सकते हैं।