Nirjala Ekadashi 2023 Puja Vidhi: निर्जला एकादशी पर विष्णु भगवान की कृपा पाने के लिए इस विधि से करें पूजा, जानें व्रत के नियम
Nirjala Ekadashi 2023 Puja Time And Vidhi: हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, प्रतिवर्ष ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को रखी जाती है। इस बार यह व्रत 31 मई को है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। शास्त्रों में निर्जला एकादशी व्रत और पूजन को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं। इसके अनुसार पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। आगे जानिए व्रत की पूजा विधि और सही मूहर्त हिंदी में।
Nirjala Ekadashi 2023 date and time puja vidhi vrat niyam
Nirjala Ekadashi 2023 Puja Time And Vidhi: सनातन धर्म में विष्णु भगवान को समर्पित एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। वैसे तो सालभर में 24 एकादशी होती है। लेकिन, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली निर्जला एकादशी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसे भिमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। ये एकादशी सबसे कठोर और चुनौतीपूर्ण व्रतों में एक मानी जाती है। इस व्रत में पानी की एक बूंद भी नहीं ग्रहण किया जाता। इस व्रत में सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक निर्जला उपवास रखा जाता है। मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत रखने से वर्षभर के चौबीसों एकादशी व्रत के समान पुण्यफल की प्राप्ति होती है। इस व्रत और पूजा विधि को लेकर शास्त्रों में कई सारे नियम बताए गए हैं। तो चलिए आज निर्जला एकादशी के विशेष पूजा विधि के बारे में जान लेते हैं।
निर्जला एकादशी 2023 की शुभ मुहूर्त, Nirjala Ekadashi 2023 Shubh Muhurat
एकादशी तिथि आरंभ: 30 मई, मंगलवार, दोपहर 01:07 बजे से
एकादशी तिथि समापन: 31 मंई, बुधवार, दोपहर 01:45 पर।
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 05:24 बजे से लेकर सुबह 06 बजे तक।
व्रत पारण मुहूर्त: 1जून, गुरुवार, सुबह 05:24 से 08:10 बजे तक।
निर्जला एकादशी 2023 पूजा विधि, Nirjala Ekadashi 2023 Puja Vidhi
- निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और निर्जला एकादशी व्रत का संकल्प ले लें।
- अब एक लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर विष्णु भगवान की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- इसके बाद उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं।
- फिर पीले फल, पीले फूल, पीले चावल, अक्षत, हल्दी, तुलसीदल और पीली मिष्ठान के साथ श्रीहरि की पूजा करें।
- इन सभी सामग्रियों को अर्पित करने के बाद एकादशी की व्रत कथा का पठन करें।
- व्रत कथा पढ़ने के बाद ओउम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
- अंत में श्रीहरि की आरती करें और लोगों के बीच प्रसाद वितरण करदें।
- दूसरे दिन यानी द्वादशी तिथि पर सूर्योदय के बाद विष्णु भगवान की पूजा कर के आप अपना व्रत खोल सकते हैं।
निर्जला एकादशी पर क्या न करें, Nirjala Ekadashi Par Kya Na Karein
निर्जला एकादशी के दिन घर में चावल नहीं बनाने चाहिए। एकादशी तिथि पर तुलसी के पत्ते गलती से भी न तोड़ें। अगर पत्ते बेहद आवश्यक हैं तो एक दिन पहले ही पत्तों को तोड़ कर रख लें। निर्जला एकादशी के दिन शारीरिक संबंध बनाने से परहेज करें। इस दिन भूलकर भी घर पर खाने में प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा का इस्तेमाल न करें। इसके अलावा बड़ों से बहस न करें और न ही किसी के बारे में बुरा सोचें।
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अवनि बागरोला author
मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर ट्रेनी कॉपी राइटर कार्यरत हूं। मूल रूप से मध्य प्रदेश के उज्जैन की...और देखें
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