Nirjala Ekadashi 2023: इन 3 औरतों को नहीं करना चाहिए निर्जला एकादशी का व्रत, जानें क्या कहते हैं भीमसेनी एकादशी के नियम

Nirjala Ekadashi 2023 Rules (किन औरतों को निर्जला एकादशी का व्रत नहीं रखना चाहिए): निर्जला एकादशी व्रत इस साल 31 मई को है। हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी यूं तो बेहद पवित्र मानी जाती है। लेकिन क्या आपको पता कुछ औरतों के लिए ये व्रत रखना नुकसानदेह भी हो सकता है। यहां जानिए किन महिलाओं को एकादशी व्रत रखना वर्जित होता है।

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निर्जला एकादशी व्रत के नियम, कौन महिलाएं न रखें ये व्रत

Nirjala Ekadashi 2023 Rules (किन औरतों को निर्जला एकादशी का व्रत नहीं रखना चाहिए): सनातन धर्म में भगवान विष्णु को समर्पित निर्जला एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। ये एकादशी सबसे कठोर और चुनौतीपूर्ण व्रतों में से एक मानी जाती है। इस व्रत में सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक निर्जला उपवास रखा जाता है। मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत रखने से वर्षभर की चौबीसों एकादशी व्रत के समान पुण्यफल की प्राप्ति होती है। वैसे तो महिलाओं के लिए ये व्रत बेहद शुभ माना जाता है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार कुछ औरतों को निर्जला एकादशी व्रत की मनाही होती है। यहां जानिए वो कौन सी औरतें हैं जिन्हें एकादशी का यह पवित्र व्रत नहीं करना चाहिए।

इन औरतों को निर्जला एकादशी व्रत की मनाही

1. गर्भवती महिलाओं के लिए

शास्त्रों के अनुसार, निर्जला एकादशी व्रत एक ऐसा व्रत है जो संतान का वरदान भी देता है। लेकिन गर्भवती महिला इस दिन पूरा व्रत रहने की बजाय पूजा पाठ करे तो ही बेहतर होगा। दरअसल, यह व्रत बहुत कठिन होता है और गर्भवती महिला को पानी की कमी परेशान कर सकती है। यही वजह है कि निर्जला एकादशी का व्रत गर्भवती महिला को न रखने की सलाह दी जाती है।

2. अधिक उम्र वालीं बीमार महिलाएं

निर्जला एकादशी का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है। इसे करने से वैवाहिक जीवन, संतान की प्राप्ति, धन लाभ जैसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। लेकिन बीमारी में या अधिक उम्र होने पर निर्जला एकादशी व्रत पूरा रखने की बजाय पूजा करके कथा व आरती करनी चाहिए।

3. मासिक धर्म वाली महिलाएं

हिंदू रीति रिवाजों के अनुसार, मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को धार्मिक कार्यों से दूर रहना चाहिए। इस दौरान महिलाएं निर्जला एकादशी का व्रत नहीं रख सकती। लेकिन, अगर व्रत के बीच पीरियड आ जाए तो आप व्रत रखकर पूजा किसी और से करवा सकती हैं। इससे भी आपको उतना ही फल मिलेगा।

शास्त्रों के अनुसार, कुंवारी कन्याएं या पुरुष निर्जला एकादशी का व्रत रख सकते हैं। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से उन्हें मनचाहा वर का वरदान मिलता है। हालांकि, व्रत रखने के कुछ नियमों को जान लेना बेहद जरूरी है। इस दिन किसी भी पेड़ से पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। साथ ही किसी का अनादर भी नहीं करना चाहिए। इसके अलावा एकादशी के एक दिन पहले यानी दशमी तिथि पर खाने में प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा के इस्तेमाल से भी बचना चाहिए।

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