Nirjala Ekadashi Vrat Niyam: साल की सबसे बड़ी एकादशी आज, निर्जला एकादशी का व्रत कैसे रखा जाता है के 4 तरीके, कब पिएं पानी
How to keep Nirjala Ekadashi Fast in Hindi (निर्जला एकादशी व्रत में क्या खा सकते हैं) : विष्णु भगवान को समर्पित निर्जला एकादशी का व्रत हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखी जाती है। हिंदू शास्त्रों में इस व्रत को रखने के कई नियम और तरीके बताए गए हैं। यहां जानें निर्जला एकादशी का व्रत कैसे रखा जाता है और निर्जला एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए।
Nirjala Ekadashi ka Vrat Kaise Rakha jaata hai
How to keep Nirjala Ekadashi Fast in Hindi (निर्जला एकादशी व्रत में क्या खा सकते हैं) : हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी व्रत का एक खास महत्व है। इस व्रत में किसी भी तरह के भोजन और पानी का सेवन नहीं किया जाता है। निर्जला एकादशी को साल की 24 एकादशियों के तुल्य माना गया है। निर्जला एकादशी प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह व्रत 31 मई को है। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को रखने के 4 तरीके हैं। इनमें से किसी एक तरीके को अपनाकर आप व्रत रख सकते हैं। आइए जान लेते हैं हर तरीके के बारे में विस्तार से।
निर्जला एकादशी का व्रत कैसे रखा जाता है- पहला तरीका: निर्जला एकादशी व्रत रखने का सबसे पहला तरीका है कि आप दशमी तिथि के समाप्त होने से पहले खाना-पानी बंद कर दें। इस दौरान एकादशी तिथि को जल का भी सेवन नहीं करना चाहिए। इसके बाद द्वादशी तिथि को 11 ब्राह्मणों को भोजन और मीठा जल का पान करके आप भगवान के चरणामृत को ग्रहण कर सकते हैं।
- दूसरा तरीका: अगर आप निर्जला एकादशी व्रत रखना चाहते हैं तो इस तिथि को सूर्योदय से पहले जल ग्रहण कर सकते हैं। सूर्योदय के बाद बिना जल सेवन के निर्जला एकादशी का व्रत रखना चाहिए। इसके बाद द्वादशी तिथि को 11 ब्राह्मणों को जल-पान करा कर भगवान के चरणामृत को ग्रहण कर सकते हैं।
- तीसरा तरीका: निर्जला एकादशी व्रत को रखने का एक तरीका यह भी है कि आप तिथि को सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत रखें। सूर्यास्त के बाद सिर्फ पानी ग्रहण कर सकते हैं। इस दौरान खाना नहीं खाएं।
- चौथा तरीका: निर्जला एकादशी को पूजा करने तक पानी इत्यादि का सेवन ना करें। इसके बाद 11 लोगों को जल-पान कराकर आप पानी पी सकते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस श्रेष्ठ निर्जला एकादशी व्रत को पांडवों में भीम ने भी किया था। इस कारण इसे पांडव या भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस तिथि पर प्यासा रहकर ब्राह्मणों को जल-पान कराने से काफी उन्नति होती है।
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