Nirjala Ekadashi Aarti: निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु और एकादशी माता की आरती का जरूर करें गान, मां लक्ष्मी बना देंगे धनवान
Nirjala Ekadashi Ki Aarti (निर्जला एकादशी की आरती): निर्जला एकादशी साल में आने वाली सभी एकादशी से बड़ी मानी जाती है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और एकादशी माता की पूजा होती है। इसलिए आज के दिन इन दोनों देवी-देवता की आरती जरूर करनी चाहिए। यहां देखें निर्जला एकादशी आरती के लिरिक्स।
Nirjala Ekadashi Ki Aarti
Nirjala Ekadashi Ki Aarti (निर्जला एकादशी की आरती): निर्जला एकादशी का दिन बेहद शुभ और पवित्र माना जाता है। कहते हैं जो कोई भी श्रद्धालु सच्चे मन से इस एकादशी का व्रत करता है उसके जीवन में सुख-समृद्धि की कभी कमी नहीं होती। साथ ही भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है। निर्जला एकादशी व्रत में सुबह-शाम दोनों समय श्री हरि विष्णु की विधि विधान पूजा-अर्चना करनी चाहिए। साथ ही दो आरतियों को इस पूजा में जरूर शामिल करना चाहिए एक भगवान विष्णु की आरती दूसरी एकादशी माता की आरती। यहां देखें निर्जला एकादशी आरती के लिरिक्स।
निर्जला एकादशी व्रत का पारण कब करेंगे
निर्जला एकादशी की आरती (Nirjala Ekadashi Ki Aarti)
निर्जला एकादशी के दिन एकादशी माता और भगवान विष्णु की आरती की जाती है। मान्यता है इन आरतियों को करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यहां देखें इन दोनों आरतियों के लिरिक्स।
एकादशी माता की आरती (Ekadashi Mata Ki Aarti)
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
ॐ जय एकादशी…॥
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
ॐ जय एकादशी…॥
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥
ॐ जय एकादशी…॥
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
ॐ जय एकादशी…॥
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
ॐ जय एकादशी…॥
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
ॐ जय एकादशी…॥
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥
ॐ जय एकादशी…॥
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
ॐ जय एकादशी…॥
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
ॐ जय एकादशी…॥
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥
ॐ जय एकादशी…॥
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥
विष्णु भगवान की आरती (Vishnu Bhagwan Ki Aarti)
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे ॥
ॐ जय जगदीश हरे ॥
जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिन से मन का ।
सुख-सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥
ॐ जय जगदीश हरे ॥
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी ॥
ॐ जय जगदीश हरे ॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ॥
ॐ जय जगदीश हरे ॥
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी, कृपा करो भर्ता ॥
ॐ जय जगदीश हरे ॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति ॥
ॐ जय जगदीश हरे ॥
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, तुम ठाकुर मेरे ।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे ॥
ॐ जय जगदीश हरे ॥
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा ॥
ॐ जय जगदीश हरे ॥
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे ॥
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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