Nirjala Ekadashi Puja Vidhi In Hindi: घर पर निर्जला एकादशी की पूजा कैसे करें? यहां जानिए स्टेप बाय स्टेप पूरी विधि विस्तार से

Nirjala Ekadashi Puja Vidhi In Hindi (निर्जला एकादशी की पूजा कैसे करें): 2024 में निर्जला एकादशी व्रत 18 जून को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस एकादशी व्रत की पूजा विधि बाकी एकादशियों से थोड़ा अलग है। चलिए जानते हैं निर्जला एकादशी व्रत की पूजा कैसे की जाती है।

nirjala ekadashi puja vidhi

Nirjala Ekadashi Puja Vidhi

Nirjala Ekadashi Puja Vidhi In Hindi (निर्जला एकादशी की पूजा कैसे करें): शास्त्रों में ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार जो व्यक्ति इस व्रत को विधि विधान रखता है उसके जीवन में सुख-समृद्धि की कभी कमी नहीं होती। इतना ही नहीं इस व्रत को करने से साल में आने वाली सभी एकादशियों का फल एक साथ प्राप्त हो जाता है। ये व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत में अन्न और जल कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता है। यहां आप जानेंगे निर्जला एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या है।

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निर्जला एकादशी पूजा विधि (Nirjala Ekadashi Puja Vidhi)

  • निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं और घर की अच्छे से साफ-सफाई करें। फिर स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद विधि विधान भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही इस मंत्र का जाप करें- ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय’।
  • उसके बाद रात के समय दीपदान करें और साथ में पीले फूल और फल भगवान को अर्पित करें।
  • इसके बाद शाम में फिर से भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें और भजन कीर्तन करें।
  • फिर अगले दिन सुबह उठकर स्नान कर श्री विष्णु भगवान की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
  • निर्जला एकादशी में जल से भरा कलश दान करना बेहद शुभ माना जाता है। इसलिए ब्राह्मणों को जल का दान जरूर करें।
  • ब्राह्मणों के भोजन करने के बाद व्रत का पारण कर लें।
निर्जला एकादशी का महत्व (Nirjala Ekadashi Ka Mahatva)

मान्यता अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है। ये व्रत शरीर को नई ऊर्जा प्रदान करता है। साथ ही ये एकादशी व्रत करने से साल में आने वाली समस्त एकादशी का फल प्राप्त हो जाता है। कहते हैं पांच पांडवों में भीमसेन ने इस व्रत का पालन किया था और अंत में उन्हें बैकुंठ की प्राप्ति हुई थी।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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