Nirjala Ekadashi Mahatmya: निर्जला एकादशी क्यों मनाई जाती है, जानिए इसका महत्व और कहानी

Nirjala Ekadashi Vrat Katha In Hindi: निर्जला एकादशी को सभी एकादशी में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि ये एकादशी व्रत निर्जला रखा जाता है यानि इसमें जल ग्रहण नहीं किया जाता है। चलिए जानते हैं निर्जला एकादशी की पावन कथा और इसका पौराणिक महत्व।

Nirjala Ekadashi Katha And Mahatva

Nirjala Ekadashi Vrat Katha In Hindi (निर्जला एकादशी पौराणिक कथा): हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार निर्जला एकादशी व्रत रखने से साल में आने वाली सभी एकादशी व्रत का फल एक साथ प्राप्त हो जाता है। क्योंकि ये सबसे बड़ी एकादशी मानी जाती है। ये एकादशी व्रत भीम न भी रखा था इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। इस एकादशी में पानी न पीने का विधान है। इस दिन श्रद्धालु निर्जल रहकर भगवान विष्णु की अराधना करते हैं। चलिए जानते हैं निर्जला एकादशी की कथा और महत्व क्या है।

निर्जला एकादशी व्रत कथा (Nirjala Ekadashi Vrat Katha)

पौराणिक कथा अनुसार महाभारत काल में एक बार पाण्डु पुत्र भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा- ‘हे मुनिवर! मेरे परिवार में सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं और मुझे भी इस व्रत को करने के लिए कहते हैं। लेकिन मैं अपनी भूख बर्दाश्त नहीं कर पाता हूं अत: आप मुझे कोई ऐसा मार्ग बताएं कि बिना उपवास किए ही मैं एकादशी व्रत का फल प्राप्त कर सकूं।'

तब वेद व्यास जी ने निर्जला एकादशी व्रत रखने की सलाह दी। वेद व्यास जी ने भीम से कहा- ‘पुत्र तुम निर्जला एकादशी का व्रत करो। इस दिन अन्न और जल कुछ भी ग्रहण नहीं करना। जो भी मनुष्य एकादशी तिथि के सूर्योदय से लेकर द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना जल पिए ये उपवास रखता है उसे साल की सभी एकादशी का फल एक साथ प्राप्त हो जाता है।' कहते हैं कि महर्षि वेद व्यास के वचन सुनकर भीमसेन ने भी निर्जला एकादशी का व्रत किया।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें

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