Nirjala Ekadashi Vrat Niyam: निर्जला एकादशी पर पानी कब पिएं, इस विधि से लेंगे जल तो व्रत नहीं होगा भंग
How To Drink Water On Nirjala Ekadashi (क्या निर्जला एकादशी व्रत में पानी सकते हैं) : भगवान विष्णु को समर्पित निर्जला एकादशी व्रत इस साल कल यानी 31 मई को है। इसे भिमसेनी एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। निर्जला एकादशी व्रत सबसे श्रेष्ठ और कठिन व्रतों में से एक है, क्योंकि इस दिन पानी पीना वर्जित होता है। पर, शास्त्रों में बिना व्रत भंग लिए पानी पीने के नियम बताए गए हैं, आइए जानते हैं उन नियमों को।
क्या निर्जला एकादशी व्रत में पानी सकते हैं, निर्जला एकादशी के नियम
How To Drink Water On Nirjala Ekadashi (क्या निर्जला एकादशी व्रत में पानी सकते हैं) : निर्जला एकादशी व्रत हर साल ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी पर रखी जाती है, जो कि इस साल 31 मई, बुधवार को पड़ी है। यह व्रत सभी व्रतों में सर्वश्रेष्ठ और कठोर मानी जाती है। इस व्रत में सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक बिना जल ग्रहण किए निर्जला उपवास रखने का विधान है। लेकिन, कुछ लोगों को ज्येष्ठ के मौसम में निराजला रह पाना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में शास्त्रों में व्रत खंडित न हो और जल भी ग्रहण कर सकें, इसके लिए कुछ नियम बताए गए हैं। इन नियमों का पालन करने से आपके प्यास भी बुझ जाएंगे और व्रत भी भंग नहीं होती। तो चलिए जानते हैं निर्जला एकादशी व्रत पर पानी पीने के नियम।
निर्जला एकादशी व्रत में पानी कब पीना चाहिए
1. सूर्योदय से पहले ही करलें जल ग्रहण
निर्जला एकादशी व्रत वाले दिन यूं तो जल ग्रहण करने की मनाही होती है। साथ ही व्रत के नियमों का सही से पालन करने पर ही व्रत का पूर्ण फल मिल पाता है। पर अगर आपको प्यासे रहने में दिक्कत होती है तो आप एकादशी वाले दिन सूर्योदय से पहले जल ग्रहण कर सकते हैं। इससे आपके व्रत नहीं टूटेंगे और व्रत के पुण्य फल भी मिल जाएंगे।
2 आचमन वाले जल ले सकते हैं
निर्जला एकादशी का व्रत रखें हैं लेकिन पानी न पीने के कारण आप थोड़े असहज महसूस कर रहे हैं तो पूजा के समय आप आचमन वाले जल पी सकते हैं। इससे आपका व्रत खंडित नहीं होगा और आपकी प्यास भी बुझ जाएगी।
3 पशुवत विधि से ग्रहण करें जल
अगर किसी व्यक्ति ने निर्जला एकादशी का व्रत रखा है और प्राण संकट में अटकी है तो ऐसे में थाली में जल डालकर सामने रख लें। सबसे पहले 12 बार 'ओम नमो नारायणाय' का जाप करें। इसके बाद घुटने और बाजू को जमीन पर लगाकर पशुवत विधि (पशु की तरह बिना हाथ लगाए सीधे मुंह से) से जल ग्रहण कर सकते हैं। ऐसा करने से व्रत भंग नहीं होता।
निर्जला एकादशी व्रत करने की विधि
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, निर्जला एकादशी व्रत को चौबीसों एकादशी व्रतों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। यह सबसे कठोर और पुण्य फल देने वाला व्रत है। कहते हैं इस दिन निर्जला व्रत रख भगवान विष्णु की पूजा करने से जन्मों-जन्मांतर के सारे पाप धुल जाते हैं। जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इतना ही नहीं, घर-परिवार में भी खुशियों का माहोल बना रहता है।
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