God's Favorite Flower: हर भगवान को प्रिय है अलग फूल, पूजा में इस बात का ध्यान रखने पर खुलती है किस्मत
God's Favorite Flower: हिन्दू धर्म में सभी देवी-देवताओं की पूजा अलग-अलग विधि-विधान के साथ किया जाता है। पूजा के दौरान दौरान भक्त अपने भगवान का प्रिय भोग और फूल अर्पित करते हैं। वैसे तो भगवान को सभी फूल अर्पित किया जा सकता है, लेकिन उनके पसंदीदा फूल अर्पित करने से आसीम कृपा मिलती है। जीवन के दुख-दर्द दूर होते हैं।
किन देवी-देवाओं को कौन से फूल चढ़ाना अधिक फलदाई
- देवी-देवाताओं को सभी तरह के फूल किये जा सकते हैं अर्पित
- प्रिय भोग और फूल अर्पित करने से अधिक प्रसन्न होते हैं भगवान
- विधि-विधान से पूजा करने पर सभी परेशानियों से मिलती है मुक्ति
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गणेश भगवानदेवता में प्रथम पूजनीय भगवान श्रीगणेश हैं। इनकी कृपा से भी सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गणपति जी को कोई भी फूल अर्पित किया जा सकता है, लेकिन इनको दूर्वा अति प्रिय है। दूर्वा के ऊपरी भाग की तीन या पांच पत्तियां गणेश जी को चढ़ाना ज्यादा शुभ माना जाता है।
शिव जी
भगवान शिव को धतूरा, पान के पत्ते, हरसिंगार, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, सफेद पुष्प अति प्रिय होता है। ऐसे में इनकी पूजा के समय इन फूलों को चढ़ाना फलकारी होता है। ख्याल रखें कि शिव जी को कभी भी तुलसी और केवड़ा नहीं चढ़ानी चाहिए।
श्रीविष्णु
विष्णु भगवान को तुलसी अति प्रिय है। इसके साथ ही कमल, चमेली, चंपा. जूही, मौलसिरी, केवड़ा, कदम्ब, अशोक और वैजयंती के फूल भी बहुत भाते हैं। कार्तिक मास में केतकी के फूलों से पूजा करने से भगवान की विशेष कृपा मिलती है ।
शनि देव
दंडाधिकारी शनि देव को नीले लाजवन्ती के फूल बहुत पसंद है। इसके अलावा इन्हें नीले या गहरे रंग के फूल चढ़ाने भी फलकारी होता है। इससे शनि देव जल्दी ही अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं।
सूर्य देवता
सूर्य देव की रविवार के दिन पूजा की जाती है। इस दिन इन्हें कुटज, कनेर, चंपा, आक, पलाश, अशोक आदि के फूल अति प्रिय होते हैं।
हनुमान जी
संकट मोचन हनुमान जी को लाल और गेरुआ रंग बहुत ही प्रिय है। इस रंग के फूल चढ़ाने से जीवन में चल रही परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
मां भगवती
मां भगवती को सामान्यत: सभी लाल और सफेद फूल पसंद है। बेला, श्वेत कमल, गुड़हल, चमेली, केसर, पलाश, चंपा, कनेर, मदार, अपराजित आदि फूलों से भी देवी की पूजा की जाती है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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