Oil Massage: रोजाना है तेल मालिश की आदत, तो कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये भूल, अनजाने में मुसीबत को बुला रहे करीब
तेल मालिश करना शारीरिक रूप से बहुत ही उपयोगी है लेकिन दिवस विशेष का ध्यान न रखकर की गयी तेल मालिश नुकसान पहुंचा सकती है। कूर्मप्रभाकर के अनुसार तेल मालिश सदैव की दिवस देखकर करनी चाहिए। हर दिन तेल मालिश का शरीर और मन दोनों पर विशेष प्रभाव पड़ता है।
दिन देखकर लगाएं शरीर पर तेल
- सोमवार, शनिवार और बुधवार को लगाएं शरीर पर तेल
- मंगलवार, गुरुवार, रविवार और शुक्रवार को करें परहेज
- मन की अशांति के साथ हो सकता है आयु का भी क्षय
तेल मालिश और वार
रविवार
सप्ताह के प्रथम दिन कहें या अवकाश के दिन शरीर पर तेल की मालिश करने से मानसिक एवं शारीरिक ताप दोनों ही होते हैं। यानी आप बुखार की चपेट में आ सकते हैं या अवसाद तक घेर सकता है।
साेमवार
भगवान भाेलेनाथ के दिवस विशेष पर तेल मालिश करने से आपके व्यक्तित्व के ओज में वृद्धि होती है। इस दिन तेल मालिश जरूर करें।
मंगलवार
हनुमान जी के दिन मंगलवार को भूलकर भी शरीर पर तेल न लगाएं। इस दिन तेल लगाने से मृत्यु या स्वास्थ्य हानि हो सकती है।
बुधवार
शीघ्र धन प्राप्ति चाहते हैं तो बुधवार यानी गणेश जी के इस दिन पर तेल मालिश जरूर करें। लाभ मिलेगा।
बृहस्पतिवार
गुरु ग्रह के दिन बृहस्पतिवार को भूलकर भी तेलश मालिश न करें। एेसा करने से बुद्धि एवं लक्ष्मीहीनता होती है। नुकसान से बचना चाहते हैं तो इस दिन तेल न लगाएं।
शुक्रवार
शुक्रवार के दिन शरीर पर तेल मालिश करने से अशांति और क्लेश जीवन में वास करने लगते से।
शनिवार
अक्सर लोग कहते हैं कि शनिवार को तेल का दान करें न कि शरीर पर तेल लगाएं। जबकि ये सिर्फ एक भ्रांति है। शनिवार को शरीर पर तेल से मालिश करना सुख और शांतिदायक होता है।
वैज्ञानिक कारण
प्रत्येक वार हमारे शरीर के आंतरिक कारकों को प्रभावित करते हैं और हमारे शरीर में पाये जाने वाले हार्मोंस, एन्जाइम को प्रभावित करते हैं। रविवार को ताप वृद्धि के कारण सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणाें एवं शरीर के आंतरिक भावों में निकलने वाली सदाशयी किरणों के प्रभाव की प्रतिक्रिया से बुखार या अन्य शारीरिक घटना होना संभव है। सोमवार को सदाशयी किरणाें की गति लगाए गए तेल की मूल भावनाओं के अनुकूल होने से शरीर की कांति बढ़ती है। मंगल एवं रक्त का रंग एक होता है, तेल औषध की मूल गति है। इस दिवस तेल, रक्त और वायु को शासित करता है, इससे मृत्यु तक संभव होती है। बुधवार सहज वार है। इसलिए व्यक्ति की बौद्धिक शक्ति की तीव्रता औषध मूल से मिलकर विभिन्न आयामों में संचारित कर मार्ग प्रशस्त करती है। गुरुवार, शुक्रवार गुरुपद शारीरिक रचना के द्योतक हैं। इन वारों को शरीर स्वयं पुष्टिकरण का भाव जागृत करता है। अतः अन्य तेल लेपन की आवश्यकता नहीं है। शनिवार आंतरिक उर्जा के समन्वयन का कार्य करता है। अतः तेल लगाना निषिद्ध नहीं है।
डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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