Onam Festival 2023: जानिए क्यों मनाते हैं ओणम का पर्व,क्या है इसका महत्व

Onam Festival 2023: ओणम का पर्व मुख्य रूप से दक्षिण भारत की तरफ मनाया जाता है। यह पर्व पूरे 10 दिनों तक चलता है। इस बार ये त्योहार 20 अगस्त से शुरू हो चुका है और 31 अगस्त तक चलने वाला है। क्यों मनाया जाता है ओणम का त्योहार। ओणम कैसे मनाते हैं। यहां पढ़ें सारी डिटेल।

Onam Festival 2023

Onam Festival 2023: दक्षिण भारत के मुख्य त्योहारों में से एक ओणम पर्व की शुरुआत 202 अगस्त 2023 से हो चुकी है। यह पर्व 31 अगस्त 2023 को समाप्त हो जाएगा। मुख्य रूप से ये पर्व 10 दिनों तक चलता है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार ओणम का त्योहार चिंगम महीने में मनाया जाता है। चिंगम महीने को मलयालम पंचाग के हिसाब से साल का पहला महीना माना जाता है। जो अंग्रेजी महीने के हिसाब से अगस्त सितंबर के बीच में आता है। ओणम का पर्व विशेषतौर पर भगवान विष्णु के वामन अवतार की जयंती और राजा बलि के स्वागत के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार केरस में बेहद ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस त्योहर में किसान प्रकृति को अच्छी फसल देने के लिए धन्यवाद देते हैं। आइए जानते हैं ओणम क्यों मनाते हैं।
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क्यों मनाते हैं ओणम

ओणम का त्योहार हिंदू मास के हिसाब से सावन के महीने में मनाया जाता है। ओणम का पर्व मुख्य रूप से 10 दिनों तक मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 20 अगस्त से शुरू हो चुका है। इस साल ये त्योहार 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगा। ओणम का त्योहार मनाने के पीछे एक पौराणिक परंपरा चली आ रही है। इसके अनुसार बहुत समय पहले राक्षस राजा बलि ने कई अनुष्ठान किए जिससे देवताओं को बहुत परेशानी हुई। जब भगवान इंद्र को राजा बलि के अनुष्ठान से परेशानी हुई, तो उन्होंने मदद के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की। राजा बलि एक अच्छे राक्षस राजा थे जो अपनी प्रजा का बहुत ख्याल रखते थे और पूरे केरल राज्य के लोग उनसे प्यार करते थे। इस कारण भगवान विष्णु ने राजा बलि से सीधे युद्ध करना उचित नहीं समझा, उन्होंने वामन अवतार लिया और ब्राह्मण का रूप धारण कर उसके घर चले गये। वहां उन्होंने बलि राजा से भिक्षा मांगी। राजा बलि हठ करके कहते हैं कि आपकी इच्छा अवश्य पूरी होगी और उसी समय वामन अवतार राजा बलि की आज्ञा से तीन मंजिल पृथ्वी मांग लेते हैं। वामन अवतार पहले चरण में संपूर्ण पृथ्वी और दूसरे चरण में संपूर्ण आकाश को नाप लेते हैं। इसके बाद वामन देव ने कहा कि राजन अब मुझे तीसरा पग रखने का स्थान बताइए। राजा बलि अपनी बातों के बहुत पक्के थे इसलिए उन्होंने वामन देव को तीसरे पग धारण करने के लिए अपना शीश आगे कर दिया। जिसके कारण राजा बलि पाताल लोक में चले गए। इस घटना से केरल के सभी लोग बहुत दुखी हुए और भगवान से झगड़ने लगे। भगवान को राजा बलि का व्यक्तित्व बहुत पसंद आया इसलिए उन्होंने केरल के लोगों को आश्वासन दिया कि राजा बलि इस वर्ष उनके साथ 10 दिनों तक रह सकेंगे। ऐसा कहा जाता है कि पूनम को इतनी खुशी के साथ मनाया जाता है क्योंकि इस शुभ दिन पर, केरल के प्रिय राजा बाली दस दिनों तक उनके बीच रहते हैं और उनकी सभी समस्याओं का समाधान करते हैं।
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ओणम का महत्व

केरल में ओणम का पर्व बेहद ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सुबह उठकर लोग ईश्वर की पूजा- उपासना करते हैं। केरल के लोग 10 दिनों तक सुबह केले के फ्राई का नाश्ता करते हैं। 10 दिनों तक घर को रंगोली से सजाया जाता है। महिलाएं ओणम के चौथे दिन आलू चिप्स और अचार तैयार करते हैं। इसके अलाव हर दिन विशेष घर का बना खाना और वलमकरी नामक एक नाव दौड़ होती है। ओणम के आठवें दिन मिट्टी की मूर्तियां बनाई जाती है जिसे वे मां के नाम से जाना जाता है। इस दिन चावल और दूध के खीर बनाने की भी परंपरा है।
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