Panch Prayag: उत्तराखंड के ये हैं पंच प्रयाग, अलकनंदा नदी में मिलती हैं ये नदियां

Panch Prayag: हिंदी में 'पंच' का अर्थ होता है पांच और 'प्रयाग' का अर्थ है संगम। ये नदियां मिलकर पवित्र नदी गंगा (Ganga) का निर्माण करती हैं, जिन्हें जीवनदायिनी देवी के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि पंच प्रयाग में डुबकी लगाने से आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष मिलता है।

Panch Prayag, Travel, Uttarakhand Tourism

Panch Prayag: उत्तराखंड के ये हैं पंच प्रयाग।

Panch Prayag: पंच प्रयाग (Panch Prayag) उत्तराखंड (Uttarakhand) में पांच पवित्र नदियों विष्णुप्रयाग (Vishnuprayag), नंदप्रयाग (Nandaprayag), कर्णप्रयाग (Karnaprayag), रुद्रप्रयाग (Rudraprayag) और देवप्रयाग (Devprayag) का संगम है। हिंदी में 'पंच' का अर्थ होता है पांच और 'प्रयाग' का अर्थ है संगम। ये नदियां मिलकर पवित्र नदी गंगा (Ganga) का निर्माण करती हैं, जिन्हें जीवनदायिनी देवी के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि पंच प्रयाग में डुबकी लगाने से आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष मिलता है। देवप्रयाग को पंच प्रयागों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। सतोपंथ, भागीरथी, अलकनंदा, विष्णुगंगा, धौलीगंगा, नंदाकिनी, पिंडर और मंदाकिनी रास्ते में अलग-अलग बिंदुओं पर मिलती हैं और अंत में पवित्र देवप्रयाग बिंदु पर गंगा का निर्माण करती हैं। देशभर से श्रद्धालु इन स्थलों (Travel) पर आते हैं और पानी में डुबकी लगाते हैं।

Sawan 2023: 4 जुलाई से शुरू हो रहा सावन, जानें इस दौरान क्या करें और क्या नहीं

ये हैं पंच प्रयाग

विष्णुप्रयाग (Vishnuprayag)

प्रसिद्ध पंच प्रयागों में से पहला, विष्णुप्रयाग वह स्थान है जहां विष्णु गंगा नदी (इस बिंदु के बाद अलकनंदा के नाम से जानी जाती है) धौलीगंगा नदी से मिलती है। विष्णु प्रयाग में भगवान विष्णु का एक प्राचीन मंदिर है, जो विष्णु कुंड नाम के एक कुंड के बगल में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि ऋषि नारद ने इस पवित्र स्थान पर भगवान विष्णु की पूजा की थी। विष्णुप्रयाग कई आश्रमों का भी घर है और रिवर राफ्टिंग के लिए काफी लोकप्रिय है।

नंदप्रयाग (Nandaprayag)

नंदप्रयाग उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा और नंदाकिनी नदी का संगम स्थल है। मान्यता के अनुसार नंदप्रयाग का नाम यादव राजा नंदा के नाम पर पड़ा। इस स्थान पर भगवान विष्णु के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और समर्पण ने उन्हें एक बच्चे जैसे विष्णु होने का आशीर्वाद दिया। प्रसिद्ध गोपालजी मंदिर भी यहीं स्थित है।

कर्णप्रयाग (Karnaprayag)

ऋषिकेश से लगभग 174 किलोमीटर दूर कर्णप्रयाग वह स्थान है जहां पिंडर नदी पिंडर ग्लेशियर से निकलती है और अलकनंदा नदी से मिलती है। चमोली क्षेत्र में स्थित कर्णप्रयाग का नाम महाभारत के योद्धा कर्ण के नाम पर पड़ा है। कर्णप्रयाग बद्रीनाथ के रास्ते में स्थित है। मान्यता के अनुसार यहीं पर कर्ण ने ध्यान किया था और अपने पिता भगवान सूर्य से कवच और कुंडल प्राप्त किए थे। स्वामी विवेकानंद को अपने शिष्यों के साथ यहां ध्यान करने के लिए भी जाना जाता है।

रुद्रप्रयाग (Rudraprayag)

रुद्रप्रयाग मंदाकिनी नदी और अलकनंदा के संगम पर स्थित है। इसका नाम भगवान शिव के नाम पर रखा गया है, जिन्हें रुद्र भी कहा जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने यहां तांडव किया था। उन्होंने अपनी रुद्र वीणा बजाई और उसकी ध्वनि से भगवान विष्णु को आकर्षित कर उन्हें जल में बदल दिया। माना जाता है कि रुद्रप्रयाग में स्थित एक काली चट्टान पर नारद ने तपस्या की थी और बाद में इसे नारद शिला के नाम से जाना जाने लगा। यहां रुद्रनाथ और चामुंडा देवी के मंदिर हैं। ऋषिकेश से लगभग 142 किलोमीटर दूर रुद्रप्रयाग में सड़क अलग हो जाती है। एक सड़क केदारनाथ की ओर जाती है और दूसरी बद्रीनाथ की ओर। रुद्रप्रयाग में देखने लायक कई मंदिर हैं, जिनमें सबसे प्रमुख अलकनंदा नदी के तट पर स्थित कोटेश्वर महादेव मंदिर है। हरे-भरे पत्तों से ढका यह खूबसूरत गुफा-मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने यहीं रुककर ध्यान किया था।

देवप्रयाग (Devprayag)

देवप्रयाग वह स्थान है, जहां अलकनंदा नदी भागीरथी से मिलती है। सभी पांच नदियां यहां मिलकर पवित्र नदी गंगा का निर्माण करती हैं। देवप्रयाग का शाब्दिक अर्थ है 'पवित्र संगम'। ये हिंदुओं के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। ऋषिकेश से लगभग 73 किलोमीटर दूर टिहरी गढ़वाल में स्थित देवप्रयाग आप साल के किसी भी महीने में जा सकते हैं। देवप्रयाग ऋषिकेश से बद्रीनाथ के मार्ग पर स्थित है। भारत की सबसे बड़ी और पवित्र नदी गंगा देवप्रयाग से मैदानी इलाकों और आगे बंगाल की खाड़ी की ओर अपनी यात्रा शुरू करती है।

अगर आप कभी उत्तराखंड घूमने का प्लान करें, तो इन पंच प्रयाग पर आने की कोशिश करें। ये पांचों पंच प्रयाग उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में आते हैं।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

दीपक पोखरिया author

पहाड़ से हूं, इसलिए घूमने फिरने का शौक है। दिल्ली-नोएडा से ज्यादा उत्तराखंड में ही मन लगता है। कई मीडिया संस्थानों से मेरी करियर यात्रा गुजरी है और मई...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited