Panchamrit Importance: देवपूजा में बहुत जरूरी होता है पंचामृत, पढ़ें क्या है जो कहा जाता है इसे तीर्थ ग्रहण करना

Panchamrit Importance : पूजा के अंतर्गत तीर्थ जल या पंचामृत ग्रहण करना होता है अति महत्वपूर्ण। देवमूर्ति का कुंकुम , सिंदूर , निकृष्ट प्रकार का अष्टगंध , गुलाल आदि द्रव्यों से युक्त तीर्थ जल को न करें ग्रहण । आइए आपको बताते हैं पंचामृत ग्रहण करने का महत्व और नियम।

पंचामृत का महत्व

मुख्य बातें
  • सदैव गोकर्ण मुद्रा में पंचामृत को करें ग्रहण
  • पंचामृत के जल को कहा जाता है तीर्थ जल
  • पंचामृत ग्रहण के बाद हाथ को सिर पर न फिराएं

Panchamrit Importance: देवापूजा होने के बाद तीर्थ ग्रहण करना एक महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है। किसी मंदिर में जाने पर वहां के पुजारी भक्तजनों को तीर्थ जल देते हैं। यह तीर्थ जल लेते समय हाथ की गोकर्ण मुद्रा करें। यानी अंगूठे के पास तर्जनी उंगली को थाेड़ी झुकाकर उसके पृष्ठ भाग पर एक के पीछे एक तीनों उंगलियां रखें। साधक भगवान का तीर्थ जल हथेली के गहरे हिस्से में लेकर मुंह से आवाज न निकालते हुए प्राशन करें। तीर्थ के रूप में लिया जाने वाला पंचामृत सिर्फ एक ही बूंद लें। इसके पीछे कारण है कि तीर्थ का रूपांतर लार में हो, मल में नहीं। दूसरी बूंद लेने से मुख के अंतर्भाग, अन्ननलिका एवं जठर का लेपन होता है लेकिन उसका अन्न के साथ मिश्रण नहीं होता।

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