Papankusha Ekadashi Puja 2022 Date, Timings: दशहरा के बाद पापांकुशा एकादशी, श्रीहरि की पूजा के लिए देखें शुभ मुहूर्त

Papankusha Ekadashi Puja 2022 Date Kab Hai, Time, Puja Muhurat: सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाली पापांकुशा एकादशी दशहरा के एक दिन बाद पड़ रही है। यहां जानें पापांकुशा एकादशी की तिथि, श्रीहरि की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।

Papankusha Ekadashi 2022 Date

Papankusha Ekadashi 2022 Date, Shubh Muhurat, Puja Vidhi And More

मुख्य बातें
  • दशहरा के बाद पड़ रही है पावन पापांकुशा एकादशी।
  • सभी पापों से मुक्ति दिलाता है इस एकादशी का व्रत।
  • इस दिन श्रीहरि की पूजा से पूरी होती हैं मनोकामनाएं।
Papankusha Ekadashi Puja 2022 Date, Time, Puja Muhurat: आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi 2022) का व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, सभी एकादशियों की तरह इस एकादशी व्रत का भी खास महत्व है। कहा जाता है कि जो भक्त पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi 2022) पर व्रत रखकर श्रीहरि की पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार, यह व्रत रखने वाले व्यक्ति को यमराज के अत्याचार नहीं सहने पड़ते हैं। इस एकादशी का फल पितरों को भी मिलता है। इस एकादशी व्रत की तैयारी दशहरा के दिन से ही प्रारंभ हो जाती है (Papankusha Ekadashi 2022 Date And Muhurat)।

पापांकुशा एकादशी व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त (Papankusha Ekadashi 2022 Date And Muhurat)

एकादशी तिथि प्रारंभ (Ekadashi Tithi Start Time): 05 अक्टूबर दोपहर 12:00 बजे
एकादशी तिथि समापन (Ekadashi Tithi End Time): 06 अक्टूबर सुबह 09:40
एकादशी व्रत पारण मुहूर्त: 07 अक्टूबर, सुबह 09:00 के बाद
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:56 से दोपहर 12:48 तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:29 से दोपहर 03:28 तक
गोधुली मुहूर्त: शाम 06:19 से शाम 06:56 तक
ऐसे तो एकादशी तिथि की शुरुआत 05 अक्टूबर से हो रही है लेकिन उदया तिथि 06 अक्टूबर को होने की वजह से इसी दिन पापांकुशा एकादशी व्रत रखा जाएगा (Papankusha Ekadashi 2022 Date)।

पापांकुशा एकादशी व्रत की पूजा विधि (Papankusha Ekadashi 2022 Puja Vidhi in Hindi)

एकादशी व्रत पर भक्तों को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प लेना चाहिए। पूजा घर और अपने घर में गंगाजल का छिड़काव करने के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा की स्थापना करें। इसके बाद श्रीहरि को रोली व अक्षत का तिलक लगाएं फिर सफेद फूल और तुलसी चढ़ाएं। घी का दीपक जलाने के बाद उन्हें भोग लगाएं और आरती करें। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना अत्यंत लाभदायक है। एकादशी तिथि पर दान-पुण्य का विशेष महत्व है। आरती से पहले पापांकुशा एकादशी व्रत की कथा का श्रवण जरूर करें।
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