Papankusha Ekadashi Vrat Katha 2023: पापांकुशा एकादशी के दिन करें इस व्रत कथा का पाठ, मोक्ष की होगी प्राप्ति

Papankusha Ekadashi Vrat Katha 2023: पापांकुश एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही उसपर भगवान विष्णु की असीम कृपा बरसती है। यहां पढ़ें पापांकुशा व्रथ कथा हिंदी में।

Papankusha Ekadashi

Papankusha Ekadashi Vrat Katha 2023: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है, साल में कुल 24 एकादशियां तिथियां पड़ती हैं। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है क्योंकि यह व्रत व्यक्ति को सभी पापों से मुक्त कराता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति कराता है। (Papankusha Ekadashi Vrat 2023) पंचांग के अनुसार इस वर्ष पापांकुशा एकादशी व्रत 25 अक्टूबर 2023, बुधवार यानि आज रखा जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और पूजा के बाद व्रत कथा का पाठ करना अनिवार्य माना जाता है। सनातन धर्म में कोई भी पूजा बिना कथा के पूरी नहीं होती है। यहां पढ़ें व्रत कथा हिंदी में।

Papankusha Ekadashi Vrat Katha ( पापांकुशा एकादशी व्रत कथा)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने सबसे पहले पापांकुशा एकादशी की कथा युधिष्ठिर को सुनाई थी। विंध्य पर्वत पर क्रोधन नाम का एक बहेलिया रहता था। वह अत्यंत हिंसक, हिंसात्मक तथा अन्यायी व्यक्ति था तथा पाप कर्म करता था। समय बीतता गया और उसके जीवन के अंतिम क्षण निकट आ गये। उसकी मृत्यु से एक दिन पहले यम के दूत ने उन्हें संदेश भेजा कि कल तुम्हारे जीवन का आखिरी दिन होगा और हम तुम्हारे प्राण लेने आएंगे। जब बहेलिया को पता चला तो वह बहुत दुखी और भयभीत हुआ। अपनी परेशानी को लेकर वो अंगिरा ऋषि के आश्रम पहुंचा। उन्होंने ऋषि अंगिरा को प्रणाम किया और उन्हें वह सब कुछ बताया जो उनके साथ हुआ था। उसने कहा कि उसने जीवन भर पाप किया है। वह इससे मुक्ति चाहता है। आप मुझे कोई उपाय बताये जिससे मैं इस पाप से मुक्त हो जाऊं। तब ऋषि ने उसे पापंकुशा एकादशी का विधिवत पालन करने को कहा। उसके बाद बहेलिया ने विधिपूर्वक इश व्रत का पालन किया और अपने पाप से मुक्त हो गया। भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि जो कोई भी पापंकुशा एकादशी का विधिपूर्वक करेगा उसे योग्य जीवनसाथी मिलेगा। धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहेगा। इस व्रत को करने से समस्त परिवार का कल्याण होता है। इस दिन सोना, तिल, अन्न, जल, छाता आदि का दान करना उत्तम होता है।

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