पिता की बुरी आदतों का असर पड़ता है बच्चों पर भी, ये 9 उपाय बना देंगे बिगड़ी बात
Parenting Tips: यदि राम चाहिए तो पिता का दशरथ होना होता है जरूरी। पिता के व्यवहार का असर पड़ता है बच्चे के ग्रह पर। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन घर के झगड़े तीसरी संतान के भाग्य को रोकते हैं। इसलिए जरूरी है परविश में विशेष बाताें का ध्यान रखा जाए।
पिता की बुरी आदतों का बच्चों पर प्रभाव
- शनि और राहु ज्यादा मजबूत होना है अशुभ संकेत
- पिता के झूठ बोलने का असर पड़ता है दूसरे बच्चे पर
- घर के झगड़े का दुष्प्रभा पड़ता है तीसरी संतान पर
पिता की बुरी आदतों का बच्चे पर प्रभाव
शनि और राहु ज्यादा मजबूत होंगे तो बच्चे के मानसिक विकास या भाग्य में बाधा आएगी। ये ग्रह बलवान होंगे तो बच्चे का विकास रुक जाएगा। खराब बृहस्पति और बुध व्यक्ति को झूठ बोलने पर मजबूर करेगा। पिता अगर झूठ बाेलते हैं तो बच्चे काे विशेषकर दूसरे बच्चे को प्रभावित करेगा। उसमें भावनाएं नहीं होंगी। उसमें कार्यकुशलता और क्षमता होने के बाद भी उन्नति नहीं मिलेगी या देर से मिलेगी। अगर बच्चा खुद बहुत प्रयास करेगा तभी तरक्की मिल सकेगी। घर के सारे लोग लड़ते−झगड़ते हैं तो गुरु और सूर्य दोनों बिगड़ जाते हैं। तब पहले या तीसरे बच्चे को ज्यादा दोष होगा।
जानिए उपाय
- मंगल, बृहस्पति, सूर्य खराब होने पर लिवर की समस्या, मातृ ऋण, दोष पितृ दोष होगा। इसके लिए ऊँ ग्रां ग्रीम गौं सः गुरुवे नमः का जप करें। पहले और तीसरे बच्चे के उपर यह ज्यादा प्रभाव डालता है।
- आदित्य हृदय स्त्रोत और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और गायत्री मंत्र का नियमित रूप से जप करें।
- पिता अपने व्यवहार को बदलने का प्रयास करें। फेफड़े, सिर की परेशान हो तो इस तरह के बच्चों का सूर्य, चंद्र, बृहस्पति मजबूत करना चाहिए।
- जिन बच्चों का शनि, राहु, ज्यादा प्रभावी हो, वे सुबह सूर्य दर्शन जरूर करें। दिन में दो बार स्नान करें, रात को जल्दी सो जाएं। नियमित रूप से चंदन, केसर, हल्दी का तिलक सिर या नाभि पर लगाएं।
- सोमवार के दिन दूध, चांदी का दान, बुजुर्ग महिला या पुरुष को करें।
- सूर्य आराधना जीवन भर करें।
- गायत्री मंत्र का जप नियमित रूप से करें।
- घर में आक और तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं।
- अगर पिता किसी भी तरह का नशा करते हैं तो उसके बच्चे का सूर्य कमजोर होता है। अगर तंबाकू का सेवन करते हैं तो उनके बच्चों में फेफड़े, सांस की तकलीफ होगी।
संतान सुख की कामना से पूर्व जरूरी है कि पति−पत्नी पहले स्वयं के गुण−अवगुणों को पहचानें और उन्हें दूर करने का प्रयास करें। वहीं परिवार का आने वाला भविष्य जो आपकी संतान के रूप में होगा उसका भाग्य प्रकाशित रहे। किसी तरह के ग्रह दोष से बाधित न हो।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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