Parivartini Ekadashi 2023 Date: कब है परिवर्तिनी एकादशी 25 या 26 सितंबर ? नोट कर लें सही डेट और शुभ मुहूर्त

Parivartini Ekadashi 2023 Date: हिंदू धर्म में परिवर्तिनी एकादशी का बहुत महत्व है। एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सारे पाप मिट जाते हैं। इस बार परिवर्तिनी एकादशी के डेट को लेकर बहुत ही ज्यादा दुविधा चल रही है। ऐसे में आइए जानते हैं इस बार परिवर्तिनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा। यहां जानें सारी जानकारी।

Parivartini Ekadashi 2023 Date

Parivartini Ekadashi 2023 Date

Parivartini Ekadashi 2023 Date: परिवर्तिनी एकादशी व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है। इसे जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है। परिवर्तिनी एकादशी का व्रत, श्रीहरि मंत्र का जाप और तेल से अभिषेक करने से दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाता है। लोग कष्टों से मुक्त हो जाते हैं। अशुभ ग्रह नष्ट हो जाता है। इस साल परिवर्तिनी एकादशी की तारीख को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है। कुछ लोग ये एकादशी 25 सितंबर को कर रहे हैं कुछ 26 सितंबर को कर रहे हैं । ऐसे में आइए जानते हैं परिवर्तिनी एकादशी के सही डेट के बारे में और शुभ मुहूर्त के बारे में।

कब रखा जाएगा परिवर्तिनी एकादशी का व्रत ( Parivartini Ekadashi 2023 Date)

पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी सोमवार, 25 सितंबर सुबह 7:56 बजे से मंगलवार, 26 सितंबर सुबह 5:01 बजे तक रहेगी। 25 सितंबर को पूरे दिन एकादशी तिथि रहेगी, इसलिए इस दिन यह व्रत रखा जाएगा। इस दिन पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि, सिद्धि और सुकर्मा योग बन रहा है, जिससे इस व्रत का महत्व और बढ़ जाता है।

परिवर्तिनी एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त ( Parivartini Ekadashi Shubh Muhurat 2023)

भगवान विष्णु की पूजा का समय- सुबह 9:12 बजे से सुबह 10:42 बजे तक (25 सितंबर, 2023)
परिवर्तिनी एकादशी पारण समय - दोपहर 1:25 बजे से दोपहर 3:49 बजे तक (26 सितंबर, 2023)

परिवर्तिनी एकादशी पूजा विधि ( Parivartini Ekadashi Puja Vidhi)

जो लोग परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करना चाहते हैं उन्हें एक दिन पहले से ही नियमों का पालन करना चाहिए।
सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें और घर में किसी साफ स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति को पहले पंचामृत से और फिर सादे पानी से साफ कर लें। भगवान की मूर्ति पर तिलक लगाएं और माला पहनाएं। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके बाद गंध, फूल, धूप, दीप आदि चीजें रखें। विष्णु जी के चरणों में पीले फूल अर्पित करें। पूजा के समय मंत्रों का जाप करते हैं। उसके बाद एकादशी की कथा का पाठ करें और विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें। उसके बाद आरती करके भोग लगाएं।
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