Parshuram Jayanti Shlok And Wishes In Sanskrit: परशुराम जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं देने के लिए अपनों को भेजें ये संस्कृत श्लोक और कोट्स

Parshuram Jayanti Shlok: अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाती है। मान्यताओं अनुसार इसी दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। इस शुभ अवसर पर देखें परशुराम जी के श्लोक और मंत्र।

Parshuram Jayanti Shlok

Parshuram Jayanti Shlok

Parshuram Jayanti Shlok (परशुराम जयंती संस्कृत श्लोक): हिंदू धर्म में भगवान परशुराम जी को विष्णु जी का छठा अवतार माना जाता है। पौराणिक कथाओं अनुसार इनका जन्म वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी अक्षय तृतीया के दिन हुआ था। इसलिए इस दिन भगवान परशुराम की पूजा की जाती है। कहते हैं जो भक्त अक्षय तृतीया पर सच्चे मन से परशुराम जी की पूजा करता है उसे लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। यहां हम आपको बताएंगे परशुराम जयंती के श्लोक और मंत्र।

Parshuram Jayanti Puja Vidhi

Parshuram Jayanti Shlok

1. जितक्रोधो गुडाकेशो द्युतिमानरिमर्दनः। रेणुकातनयः साक्षादजितोऽव्यय एव च॥

अर्थ- रेणुका का वह तेजस्वी, घने बाल धारण करने वाला पुत्र जिसने अपने शत्रुओं को कुचल कर क्रोध को जीत लिया है, निःसंदेह वह अजेय और अविनाशी है।

परशुराम जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं

Akshaya Tritiya Wishes In Hindi

parshuram janmotsav ki shubhkamnaye

2. भार्गवं जामदग्न्यं तं राजराजविमर्दनम्। कैलासमिव दुर्धर्षं कालाग्निमिव दुःसहम्॥

अर्थ- भृगुवंशी जो राजाओं को पराजित करता है, वह कैलास के समान अदम्य है और कालरूपी अग्नि के समान असह्य है।

परशुराम जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं

Akshaya Tritiya Sanskrit Wishes

Parshuram Jayanti Wishes

3. शुद्धं बुद्धं महाप्रज्ञामण्डितं रणपण्डितम्।

अर्थ- शुद्ध, जागृत, महान बुद्धि से सुशोभित (और) युद्ध के मैदान में कुशल।

परशुराम जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं

4. ॐ जामदग्न्याय विद्महे। महावीराय धीमहि। तन्नो रामः प्रचोदयात्॥

अर्थ- ॐ हम जमदग्नि के पुत्र को जानते हैं। हम उस महावीर का ध्यान करते हैं। वह (परशु) राम हमें प्रेरित करे।

परशुराम जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं

परशुराम स्तुति (Parshuram Stuti Lyrics)

कुलाचला यस्य महीं द्विजेभ्यः प्रयच्छतः सोमदृषत्त्वमापुः ।

बभूवुरुत्सर्गजलं समुद्राः स रैणुकेयः श्रियमातनीतु ॥ १॥

नाशिष्यः किमभूद्भवः किपभवन्नापुत्रिणी रेणुका नाभूद्विश्वमकार्मुकं किमिति यः प्रीणातु रामत्रपा ।

विप्राणां प्रतिमन्दिरं मणिगणोन्मिश्राणि दण्डाहतेर्नांब्धीनो स मया यमोऽर्पि महिषेणाम्भांसि नोद्वाहितः ॥ २॥

पायाद्वो यमदग्निवंशतिलको वीरव्रतालङ्कृतो रामो नाम मुनीश्वरो नृपवधे भास्वत्कुठारायुधः ।

येनाशेषहताहिताङ्गरुधिरैः सन्तर्पिताः पूर्वजा भक्त्या चाश्वमखे समुद्रवसना भूर्हन्तकारीकृता ॥ ३॥

द्वारे कल्पतरुं गृहे सुरगवीं चिन्तामणीनङ्गदे पीयूषं सरसीषु विप्रवदने विद्याश्चतस्रो दश ।

एव कर्तुमयं तपस्यति भृगोर्वंशावतंसो मुनिः पायाद्वोऽखिलराजकक्षयकरो भूदेवभूषामणिः ॥ ४॥

इति परशुराममस्तुतिः

परशुराम जी के मंत्र (Bhagwan Parshuram Mantra)

-ॐ परशुरामाय नमः

-ॐ क्लिं परशुरामाय नमः

-ॐ ह्रीं श्रीं परशुराम धरणेन्द्राय नमः

-ॐ ऋणहर्ता परशुरामाय नमः

-ॐ जमदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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