Parvati Chalisa Hindi Lyrics: माता पार्वती संग भगवान शंकर की परम कृपा पाने के लिए यहां पढ़ें श्री पार्वती चालीसा इन हिंदी
Parvati Chalisa Lyrics in Hindi (पार्वती चालीसा पाठ लिरिक्स हिंदी में): हिंदू धर्म में माता पार्वती उमा, गौरी, शक्ति और प्रेम, सौंदर्य संतान की देवी मानी जाती हैं। इन्हें सुहागिन महिलाओं द्वारा पूजा जाता है। कहते हैं पार्वती माता की विधिवत पूजा करने से भोलेनाथ भी प्रसन्न होते हैं। इनकी असीम कृपा पाने के लिए श्री पार्वती चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ होता है। यहां जानिए श्री पार्वती चालीसा के हिंदी लिरिक्स।
Shri Parvati Chalisa: ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे पंच बदन नित तुमको ध्यावे के हिंदी लिरिक्स
Parvati Chalisa Lyrics in Hindi (पार्वती चालीसा पाठ लिरिक्स हिंदी में): हिंदू धर्म में माता पार्वती को मातृत्व, शक्ति, प्रेम, सौंदर्य, सद्भाव और संतान की देवी माना जाता है। कहते हैं माता पार्वती स्वभाव से काफी दयालु और अपनी संतानों पर दया दृष्टि बनाए रखने वाली देवी हैं। इनकी पूजा और सच्चे मन से अगर पार्वती चालीसा पाठ कर लिया जाए तो वो अपने भक्तों से हमेशा प्रसन्न रहती हैं। साथ ही साधक के सारे दुख दूर होते हैं और सुहागिनों को अखंड सौभाग्यवती का वरदान मिलता है। पार्वती माता के चालीसा पाठ करने से स्वयं शंकर भगवान भी प्रसन्न होते हैं और घर परिवार में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती। यहां जानिए श्री पार्वती चालीसा लिरिक्स इन हिंदी।
Parvati Mata Ki Aarti Hindi Lyrics
श्री पार्वती चालीसा लिरिक्स इन हिंदी (Shri Parvati Chalisa Lyrics In Hindi)
।।दोहा।।
जय गिरि तनये दक्षजे शंभु प्रिये गुणखानि ।
गणपति जननी पार्वती अम्बे ! शक्ति ! भवानि ।।
।।चौपाई।।
ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे । पंच बदन नित तुमको ध्यावे ।।
षड्मुख कहि न सकत यश तेरो । सहसबदन श्रम करत घनेरो ।।
तेऊ पार न पावत माता । स्थित रक्षा लय हित सजाता ।।
अधर प्रवाल सदृश अरुणारे । अति कमनीय नयन कजरारे ।।
ललित ललाट विलेपित केशर । कुंकुम अक्षत शोभा मनहर ।।
कनक बसन कंचुकी सजाए । कटि मेखला दिव्य लहराए ।।
कंठ मदार हार की शोभा । जाहि देखि सहजहि मन लोभा ।।
बालारुण अनंत छबि धारी । आभूषण की शोभा प्यारी ।।
नाना जड़ित सिंहासन । तापर राजति हरि चतुरानन ।।
इंद्रादिक परिवार पूजित । जग मृग नाग रक्ष रव कूजित ।।
गिर कैलास निवासिनी जय जय । कोटिक प्रभा विकासिन जय जय ।।
त्रिभुवन सकल कुटुम्ब तिहारी । अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी ।।
हैं महेश प्राणेश ! तुम्हारे । त्रिभुवन के जो नित रखवारे ।।
उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब । सुकृत पुरातन उदित भए तब ।।
बूढ़ा बैल सवारी जिनकी । महिमा का गावै कोउ तिनकी ।।
सदा श्मशान बिहारी शंकर । आभूषण है भुजंग भयंकर ।।
कण्ठ हलाहल को छबि छाई । नीलकंठ की पदवी पाई ।।
देव मगन के हित अस कीन्हों । विष लै आरपु तिनहि अमि दीन्हों ।।
ताकी तुम पत्नी छवि धारिणि । दूरित विदारिणि मंगल कारिणि ।।
देखि परम सौंदर्य तिहारो । त्रिभुवन चकित बनावन हारो ।।
भय भीता सो माता गंगा । लज्जा मय है सलिल तरंगा ।।
सौत समान शम्भु पहआयी । विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी ।।
तेहिकों कमल बदन मुरझायो । लखि सत्वर शिव शीश चढ़ायो ।।
नित्यानंद करी बरदायिनी । अभय भक्त कर नित अनपायिनी ।।
अखिल पाप त्रयताप निकन्दिनि । माहेश्वरी हिमालय नंदिनि ।।
काशी पुरी सदा मन भायी । सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायी ।।
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री । कृपा प्रमोद सनेह विधात्री ।।
रिपुक्षय कारिणि जय जय अम्बे । वाचा सिद्ध करि अवलम्बे ।।
गौरी उमा शंकरी काली । अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली ।।
सब जन की ईश्वरी भगवती । प्रतिप्राणा परमेश्वरी सती ।।
तुमने कठिन तपस्या कीनी । नारद सों जब शिक्षा लीनी ।।
अन्न न नीर न वायु अहारा । अस्थि मात्रतन भयौ तुम्हारा ।।
पत्र गहस को खाद्य न भायउ । उमा नाम तब तुमने पायउ ।।
तप बिलोकि रिषि सात पधारे । लगे डिगावन डिगी न हारे ।।
तब तव जय जय जय उच्चारेउ । सप्तरिषी निज गेह सिधारेउ ।।
सुर विधि विष्णु पास तब आए । वर देने के वचन सुनाए ।।
मांगे उमा वर पति तुम तिनसों । चाहत जग त्रिभुवन निधि जिनसों ।।
एवमस्तु कहि ते दोऊ गए । सुफल मनोरथ तुमने लए ।।
करि विवाह शिव सों हे भामा । पुन: कहाई हर की बामा ।।
जो पढ़िहै जन यह चालीसा । धन जन सुख देइहै तेहि ईसा ।।
।।दोहा।
कूट चंद्रिका सुभग शिर जयति जयति सुख खानि ।
पार्वती निज भक्त हित रहहु सदा वरदानि ।।
पार्वती चालीसा से लाभ, Parvati Chalisa Benefits:
पार्वती चालीसा का पाठ शीघ्र फलदाई माना जाता है। विशेष चालीसा का पाठ करने से शंकर भगवान भी प्रसन्न हो जाते हैं और साधक पर अपनी कृपा बरसाते हैं। व्यक्ति को पारिवारिक कलह से मुक्ति मिलती है और जीवन में खुशहाली आती है।
पार्वती चालीसा पाठ की विधि (Parvati Chalisa Path Vidhi)
पार्वती चालीसा का पाठ करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजास्थल पर माता पार्वती की प्रतिमा या तस्वीर की कुमकुम, घी के दीपक, धुप, फूल, इत्र, चंदन, गुलाल, अक्षत आदि चीजों से पूजा करें। फिर सच्चे मन से श्री पार्वती चालीसा का पाठ करें।
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