Paush Purnima 2024: पौष पूर्णिमा के दिन बन रहे हैं ये दुर्लभ संयोग, व्रत रखने से मिलेगा अक्षय फल
Paush Purnima 2024: 2024 की पहली पूर्णिमा पौष पूर्णिमा कुछ खास मानी जा रही है। इस दिन गुरु पुष्य योग समेत सात दुर्लभ योग बन रहे हैं, जिसमें मां लक्ष्मी की पूजा और खरीदारी का मन बनेगा। आइए जानते हैं इन शुभ संयोग और क्या- क्या फायदा होगा।
Paush Purnima 2024
Paush Purnima 2024: पौष माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में इसे बहुत ही खास माना जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में सुख, समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है और लोगों पर देवी लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। पौष पूर्णिमा को मक्षदिनी पूर्णिमा भी कहा जाता है जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन गंगा स्नान करने से कई जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं। वहीं, पवित्र ग्रंथों में उल्लेख है कि इस दिन से माघ मेले में गंगा स्नान किया जाता है। वहीं, पौष पूर्णिमा से ही प्रयागराज कल्पवास की शुरुआत हो जाती है। इस बार पौष पूर्णिमा के दिन शुभ संयोग बन रहे हैं। आइए जानते हैं उसके बारे में।
पौष पूर्णिमा 2024 शुभ संयोग ( Paush Purnima 2024 Shubh Sanyog)
पंचांग के अनुसार पौष पूर्णिमा पर गुरु पुष्य योग समेत सात चमत्कारी संयोग बन रहे हैं। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि, प्रीति योग, रवि योग, गुरुवार और त्रिग्रही योग का अभ्यास किया जाता है। गुरु पुष्य योग में मां लक्ष्मी की पूजा कर सोना, चांदी, जमीन, वाहन, संपत्ति आदि खरीदना चाहिए।
गुरु पुष्य योग - 25 जनवरी 2024, सुबह 8:16 - जनवरी 26, 2024, सुबह 7:12
सर्वार्थ सिद्धि योग- पूरे दिन
अमृत सिद्धि योग - 25 जनवरी 2024, सुबह 8:16 - जनवरी 26, 2024, सुबह 7:12
प्रीति योग - जनवरी 25, 2024, सुबह 7:32 - जनवरी 26, 2024, सुबह 7:42
रवि योग - 7:13 - 8:1
पौष पूर्णिमा 2024 शुभ मुहूर्त ( Paush Purnima Shubh Muhurat 2024)
पौष पूर्णिमा की तिथि 24 जनवरी 2024 को रात 9 बजकर 49 मिनट से शुरू हो रही है।
पौष पूर्णिमा तिथि समाप्त हो रही है 25 जनवरी 2024 को रात 11:23 बजे.
स्नान-दान मुहूर्त 05:26 – 06:20
सत्यनारायण पूजा 11:13 – 12:33
चंद्रोदय का समय 17:29
लक्ष्मी जी पूजा 12:07 – 13:00 देर रात तक।
पौष पूर्णिमा महत्व ( Paush Purnima Importance)
पौष पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान पुण्य का बहुत महत्व है। इस दिन से ही माघ मेले में कल्पवास की शुरुआत हो जाती है। इस दिन से लेकर एक महीने तक साधु संतों का कल्पवास चलता है। इस दिन प्रयागराज में गंगा स्नना करने का बहुत अधिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि प्रयागराज में गंगा स्नान करने से मुक्ति के द्वारा खुलते हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है।
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TNN अध्यात्म डेस्क author
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