Paush Purnima Katha: पौष पूर्णिमा व्रत रखने वाले लोग इस दिन जरूर पढ़ें ये पौराणिक कथा, इसके बिना अधूरी है पूजा

Paush Purnima Katha (पौष पूर्णिमा कथा): हिंदू धर्म में पौष पूर्णिमा तिथि बेहद शुभ और फलदायी मानी जाती है। इस साल ये तिथि 13 जनवरी को पड़ रही है। इस दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं। यहां हम आपको बताएंगे पौष पूर्णिमा व्रत रखने वालों को किस कथा का पाठ जरूर करना चाहिए।

Paush Purnima Vrat Katha In Hindi

Paush Purnima Katha (पौष पूर्णिमा कथा): इस साल पौष पूर्णिमा व्रत 13 जनवरी को रखा जाएगा। इस दिन स्नान, दान, जप, तप और पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार पौष पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस दिन श्री हरि विष्णु भगवान की पूजा का विशेष महत्व होता है। चलिए आपको बताते हैं पौष पूर्णिमा व्रत के दिन कौन सी कथा पढ़ी जाती है।

पौष पूर्णिमा व्रत कथा (Paush Purnima Vrat Katha)

पौष पूर्णिमा की कथा अनुसार कटक में धनेश्वर नाम का एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी रूपवती रहती थी। इस जोड़े के जीवन में धन, संपत्ति किसी चीज की कोई कमी नहीं थी लेकिन फिर भी ये दुखी रहते थे। जिसका कारण था इनकी कोई संतान न होना। एक दिन इनके शहर में एक योगी महाराज आए। योगी ने वहां पर मौजूद हर घर से दान दक्षिणा मांगी लेकिन धनेश्वर के घर को छोड़ दिया। ऐसे में धनेश्वर ने योगी महाराज से पूछा कि आखिर आपने हमारे घर से दान-दक्षिणा क्यों नहीं ली? जिस पर योगी ने उन्हें बताया कि हम निसंतान लोगों से दान दक्षिणा नहीं लेते हैं।

योगी महाराज की बात सुनकर धनेश्वर को बहुत बुरा लगा लेकिन उन्होंने योगी जी का आशीर्वाद लिया और उनसे पूछा कि क्या आप हमें कोई ऐसा उपाय बता सकते हैं जिससे कि हमें संतान की प्राप्ति हो? तब योगी ने धनेश्वर को बताया कि आप चंद्रमा की पूजा करें। कहते हैं दोनों पति-पत्नी ने चांद की पूजा आरंभ की जिसके प्रभाव से उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई।

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