Paush Purnima Vrat Katha In Hindi: पौष पूर्णिमा व्रत कथा पढ़ने से हर मनोकामना होगी पूरी

Paush Purnima Vrat Katha In Hindi: मान्यता है पौष पूर्णिमा व्रत कथा सुनने या पढ़ने से भगवान की असीम कृपा प्राप्त होती है। यहां देखें पौष पूर्णिमा की व्रत कथा।

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Paush Purnima Vrat Katha In Hindi

Paush Purnima Vrat Katha In Hindi: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का खास महत्व माना गया है। पौष महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहते हैं। मान्यता है इस दिन व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन स्नान, दान और सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा की जाती है। इसके अलावा इस दिन सत्यनारायण की कथा (satyanarayan vrat katha) सुनना अत्यंत शुभ माना जाता है। यहां पढ़ें पौष पूर्णिमा की व्रत कथा।

पौष पूर्णिमा पर खास संयोग

पौष पूर्णिमा के दिन कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। पंचांग अनुसार इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग और रवि योग रहेगा। मान्यता है इन योगों ने भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, इस दिन दान-पुण्य के कार्य करना भी बेहद शुभ फलदायी माना जाता है।

पौष पूर्णिमा व्रत कथा (Paush Purnima Vrat Katha In Hindi)

पौष पूर्णिमा व्रत कथा अनुसार कटक नगर में धनेश्वर नाम का एक ब्राह्मण और उनकी पत्नी रूपवती रहते थे। इस ब्राह्मण जोड़े के पास धन-संपत्ति किसी चीज की कमी नहीं थी। लेकिन फिर भी वे दुखी रहते थे। ऐसा इसलिए क्यों वे निसंतान थे। एक दिन इनके शहर में एक योगी महाराज आए। योगी ने उस शहर में मौजूद हर घर से दान दक्षिणा मांगी लेकिन धनेश्वर के घर से उन्होंने कुछ नहीं मांगा। फिर धनेश्वर ने ब्राह्मण से पूछा कि आपने हमसे कुछ क्यों नहीं मांगा।
योगी ने उन्हें कहा कि हम निःसंतान लोगों से दान दक्षिणा नहीं लेते हैं। योगी की बात सुनकर धनेश्वर को अत्यंत दुख हुआ लेकिन उन्होंने योगी जी का आशीर्वाद लिया और पूछा कि कृप्या करके हमें कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे हमें संतान की प्राप्ति हो? तब योगी ने धनेश्वर को प्रत्येक पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा की पूजा करने के लिए कहा। ब्राह्मण ने ऐसा ही किया जिसके बाद उन्हें संतान की प्राप्ति हुई।
इस बारे में श्रीकृष्ण ने भी स्वयं कहा था कि 32 पूर्णिमा के व्रत करने के परिणाम स्वरूप ही धनेश्वर को संतान सुख की प्राप्ति हुई। ऐसे में जो कोई भी व्यक्ति इस व्रत का पालन करता है उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होने के साथ-साथ उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
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