Phulera Dooj Katha: फुलेरा दूज का त्योहार क्यों मनाया जाता है, जानिए इसकी पौराणिक कथा
Phulera Dooj Katha: फुलेरा दूज सनातन धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो हर साल फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। इस साल ये त्योहार 12 मार्च को मनाया जा रहा है। यहां जानिए इसकी पौराणिक कथा।
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Phulera Dooj Katha
Phulera Dooj Katha In Hindi: फुलेरा दूज का त्योहार विशेष रूप से मथुरा-वृंदावन में मनाया जाता है। इस दिन राधा रानी और भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। ये त्योहार होली से कुछ दिन पहले पड़ता है और होली के आगमन का प्रतीक माना जाता है। इस दिन से श्रीकृष्ण भगवान के मंदिरों में होली का रंग चढ़ने लगता है। इस त्योहार वाले दिन फूलों से रंगोली मनाई जाती है। साथ ही भगवान कृष्ण और राधा जी का भी फूलों से श्रृंगार किया जाता है। यहां जानिए फुलेरा दूज की पावन कथा।
फुलेरा दूज की कथा (Phulera Dooj Ki Katha)
फुलेरा दूज की पौराणिक कथा के अनुसार जब ब्रज में काम की वजह से भगवान कृष्ण वृंदावन में राधा जी से मिलने नहीं जा पा रहे थे तो इससे राधा जी काफी दुखी हुई थी क्योंकि, उन्होंने काफी दिनों से भगवान कृष्ण के दर्शन नहीं किए थे। ऐसे में राधा रानी को परेशान देखकर उनकी गोपियां भी दुखी हो गई। राधा जी के दुखी होने से ब्रज के सारे जंगल सूखने लगे और पेड़ों पर लगे फूल भी मुरझाने लगे।
ऐसे में जब भगवान कृष्ण को राधा रानी की हालत और वनों की स्थिति के बारे में पता चला तो वह तुरंत ही उनसे मिलने वृंदावन पहुंच गए। इतने दिनों बाद कृष्ण जी को देखकर राधा रानी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और उनकी खुशी के चलते फिर से चारों तरफ हरियाली छा गयी। राधा रानी के खुश होने से वन और फूल दोबारा खिल उठे और पक्षी चहचहाने लगे।
तब राधा रानी को छेड़ने के लिए भगवान कृष्ण ने पास में ही उगे फूलों को तोड़कर राधा रानी पर फेंकना शुरू कर दिया। श्री कृष्ण भगवान को ऐसा करते देख राधा रानी भी उन पर फूल डालने लगीं। धीरे-धीरे वहां मौजूद गोपियां और ग्वाल भी एक-दूसरे पर फूल बरसाने लगे। इस तरह से सभी ने फूलों की होली मनाई। माना जाता है कि, तभी से फुलेरा दूज के दिन फूलों की होली खेले जाने की परंपरा की शुरुआत हो गई।
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