Tripindi Shradh: त्रिपिंडी श्राद्ध क्या है, कब कर सकते हैं, इसका महत्व और विधि क्या है, जानें सबकुछ यहां

Tripindi Shradh 2024 Dates: त्रिपिंडी श्राद्ध अतृप्त पितरों की शांति के लिए किया जाता है। सनातन धर्म में इस श्राद्ध का विशेष महत्व माना गया है। ये श्राद्ध उन पूर्वजों के लिए किया जाता है जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो। चलिए जानते हैं त्रिपिंडी श्राद्ध कब, कैसे और कहां करना चाहिए।

Tripindi Shradh 2024

Tripindi Shradh 2024 Dates: 18 सितंबर से पितृ पक्ष लग रहा है। ये समय त्रिपिंडी श्राद्ध करने के लिए सबसे उचित माना जाता है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दौरान पितर पृथ्वी पर आते हैं। ऐसे में इस समय किया गया श्राद्ध या तपर्ण बेहद लाभकारी होता है। वैसे तो आप पितृ पक्ष में कभी भी त्रिपिंडी श्राद्ध कर सकते हैं। लेकिन श्राद्ध पक्ष की कुछ तिथियां इस श्राद्ध के लिए विशेष मानी जाती है। कहते हैं त्रिपिंडी श्राद्ध करने से घर में सुख-शांति आती है। चलिए जानते हैं त्रिपिंडी श्राद्ध कब, कैसे और कहां करना चाहिए।

त्रिपिंडी श्राद्ध की सामग्री (Tripindi Shradh Samagri List)

तीन देवताओं की सोना, चांदी तथा ताम्र से निर्मित मूर्ति, जौ, और चावल के बने पिंड, पिंडदान के लिए काला तिल,आसन, अगरबत्ती, कलेवा, गंगाजल, गाय का दूध, पंच रत्न, मिठाई, पंचमेवा, रुई बत्ती, माचिस, कपूर, अगरबत्ती, घंटा, शंख, हवन, खीर, देसी घी, ताम्र धातु से बने 3 कलश, सुपारी, चावल, गेहूं, हल्दी, सिंदूर, गुलाल,नारियल, लोटा, हल्दी पाउडर, फूल, पान के पत्ते,उपला, मूंग, उड़द, शहद, कुमकुम, रोली, लौंग, जनेऊ, रुद्राक्ष माला, चीनी, गुड़, तुलसी का पत्ता, इलायची, केला।

त्रिपिंडी श्राद्ध क्यों किया जाता है (Tripindi Shradh Kyon Kiya Jata Hai)

अगर परिवार की तीन पीढ़ियों में से किसी की अकाल मृत्यु या असामयिक मृत्यु हुई हो तो उनके आत्मा की शांति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है।
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